पुरे विश्व में हृदय रोगियों के बढ़ती संख्या एक चिंता का विषय है। हालाँकि चिकित्सा विज्ञानं और तकनीक की बदौलत इनकी भयावहता को काफी हद तक कम किया जा सका है। ह्रदय रोग की चिकित्सा आम तौर पर दवाओं से की जाती है किन्तु स्थिति गंभीर होने पर कई बार शल्य चिकित्सा की भी आवश्यकता पड़ती है। आमतौर पर ह्रदय की शल्य चिकित्सा दो प्रकार से की जाती है ओपन हार्ट सर्जरी और बाईपास सर्जरी। ह्रदय रोगों के काफी गंभीर मामलों में जैसे वाल्व का काम नहीं करना आदि में ओपन हार्ट सर्जरी की जाती है जबकि धमनियों के ब्लॉकेज को दूर करने के लिए बाईपास सर्जरी का सहारा लिया जाता है। आज के इस पोस्ट में हम इन्ही दोनों के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे जैसे ओपन हार्ट सर्जरी क्या है, बाईपास सर्जरी क्या है। ओपन हार्ट सर्जरी और बाईपास सर्जरी में क्या अंतर है आदि।
ओपन हार्ट सर्जरी या कार्डियक सर्जरी एक सर्जिकल प्रक्रिया होती है जो हृदय के विभिन्न रोगों के इलाज के लिए किया जाता है। यह एक मेजर ऑपरेशन है जिसमे सीने के खांचे को खोलकर हृदय तक पहुंचा जाता है और हृदय की स्थिति को सुधारने के लिए विभिन्न सर्जिकल प्रक्रियाएं की जाती हैं। इस प्रक्रिया में हृदय को अस्थायी रूप से रोका जाता है और सर्जरी के दौरान शरीर को रक्त और ऑक्सीजन पंप करने के लिए हार्ट-लंग मशीन का उपयोग किया जाता है।
ओपन हार्ट सर्जरी को कोरोनरी धमनी रोग, हृदय वाल्व विकार और जन्मजात हृदय दोष जैसी कई हृदय संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। यह एक जटिल प्रक्रिया है जो एक कुशल सर्जिकल टीम और सावधान ऑपरेटिव की देखभाल की आवश्यकता होती है ताकि सफल रिकवरी हो सके।
ओपन हार्ट सर्जरी के दौरान, मरीज को सामान्य बेहोशी दी जाती है ताकि वह सर्जरी से अनजान रहे। इसके बाद, हृदय तथा फेफड़ों की कार्य क्षमता को स्थानांतरित करने वाली एक हृदय-फेफड़े बाइपास मशीन से मरीज को जोड़ा जाता है, जिससे सर्जन को हृदय पर अपना कार्य कर सके। इसके बाद सर्जन हृदय में एक कटाव बनाता है जिससे प्रभावित क्षेत्र तक पहुंचा जा सके। यह वाल्व, धमनियां या हृदय की अन्य संरचनाओं में हो सकती हैं। चिकित्सा की आवश्यकता के अनुसार, प्रभावित क्षेत्र को मरम्मत, बदला या हटाया जाता है, जो इलाज होने वाली स्थिति पर निर्भर करता है। प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद, हृदय को फिर से शुरू किया जाता है और बाइपास मशीन हटा दी जाती है। ब्रैस्ट बोन को वायर्स या अन्य सामग्रियों से बंद किया जाता है, और कटाव को विशेष धागे या स्टेपल से बंद किया जाता है।
ओपन हार्ट सर्जरी की आवश्यकता उन रोगियों को होती है जिन्हें हृदय से जुड़ी कुछ समस्याएं होती हैं, जिनमें से कुछ हैं:
1. कैबजी (CABG) – यह सर्जरी बंद या ठहराव किए गए धमनियों के लिए की जाती है जो हृदय के आसपास फैले होते हैं और जिनमें ब्लॉकेज होते हैं।
2. वाल्व संबंधी समस्याएं – हृदय वाल्व में कोई समस्या होने पर वाल्व को ठीक करने या बदलने के लिए यह सर्जरी की जाती है।
3. हृदय रोग – ऐसे रोगियों को जिन्हें हृदय रोग होता है और जिन्हें इलाज के बावजूद लक्षणों में सुधार नहीं होता है, उन्हें यह सर्जरी की जाती है।
4. हृदय ट्रांसप्लांट – एक मरीज के असामान्य हृदय को एक दानवी हृदय से बदलने के लिए इस सर्जरी की जाती है।
यदि रोगी को यह सर्जरी की जरूरत महसूस होती है तो वे अपने डॉक्टर से सलाह लेकर इस विषय में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
ओपन हार्ट सर्जरी के सबसे आम तरीके निम्नलिखित हैं:
1. कैबजी (CABG) : यह सर्जरी एक नया रास्ता बनाने के लिए अस्थायी रूप से बंद या ठहराव किए गए धमनियों के साथ किया जाता है जो हृदय के आसपास फैले होते हैं। इसमें डॉक्टर हृदय के आर्टरीज को ब्लॉक होने से बचाने के लिए नए रास्ते बनाते हैं। डॉक्टर एक या एक से अधिक वेन्स को भी इसमें शामिल कर सकते हैं।
2. वाल्व रिप्लेसमेंट : इस सर्जरी में, एक पुरानी या अस्थायी हुई हृदय वाल्व को एक नई वाल्व से बदल दिया जाता है।
3. हृदय ट्रांसप्लांट : इसमें एक मरीज के असामान्य हृदय को एक दाता हृदय से बदला जाता है।
4. औरोलिक डिसेक्शन : यह सर्जरी हृदय में आई लम्बईदार अंगूठे के साथ की जाती है जो रक्त को हृदय से अलग करता है ताकि रक्त ज्यादा स्पष्ट रूप से बह सके।
5. इन्फेक्टीव एंडोकार्डाइटिस : इसमें हृदय के इन्फेक्शन को दूर करने के लिए सर्जरी की जाती है।
4. Open-heart repair of Tetralogy of Fallot : यह एक जन्मजात संक्रमण होता है जो हृदय के विभिन्न हिस्सों में विकारों के कारण होता है। डॉक्टर हृदय के नाडे को खोलते हैं और इसमें परिवर्तन करते हैं ताकि रक्त सही ढंग से हृदय में पहुंच सके।
3 . Closure of Atrial Septal Defect : इसमें डॉक्टर हृदय के दो अंगों के बीच मौजूद एक नस से नाडा बंद करते हैं जो नस के वजह से नहीं बंद हो पाती है।
ओपन हार्ट सर्जरी एक बड़ी चिकित्सा प्रक्रिया है, जो कुछ लोगों के लिए संभव नहीं होती है। निम्नलिखित लोगों को ओपन हार्ट सर्जरी से दूर रहना चाहिए:
1. अत्यधिक वजन वाले लोग।
2. जिन लोगों को संक्रमण है या इन्फेक्शन से जूझ रहे हैं।
3. अत्यधिक दुर्बलता वाले लोग।
4. जिन लोगों को हार्ट अटैक, स्ट्रोक या दिल की गंभीर समस्याएं होती हैं।
5. जिन लोगों को वृद्धावस्था या अन्य अस्थिर स्थितियों की वजह से आम ऑपरेशन अवधि से अधिक समय लगता है।
अगर आप इन लोगों में से किसी एक हैं, तो आपको अपने चिकित्सक से इस विषय पर सलाह लेनी चाहिए कि क्या आप ओपन हार्ट सर्जरी के लिए उपयुक्त होंगे या नहीं।
ओपन हार्ट सर्जरी एक बड़ी चिकित्सा प्रक्रिया है जिसमें कुछ रिस्क हो सकते हैं। निम्नलिखित हैं कुछ रिस्क जो ओपन हार्ट सर्जरी के दौरान हो सकते हैं:
1. अस्थिर हृदय धड़कन या हृदय अरिथ्मिया (irregular heartbeat)
2. खून के थक्कों का बना रहना या उत्पन्न होना जो धमनियों में ब्लॉक कर सकते हैं।
3. निश्चित रूप से आवश्यक होने पर भी, रक्त संचार (blood circulation) को नियंत्रित करने में मुश्किल हो सकती है।
4. जीवन खतरे से जुड़ी समस्याएं जैसे कि हार्ट अटैक, स्ट्रोक आदि।
5. अत्यधिक खून का लोस या रक्तस्राव।
6. फेफड़ों या फेफड़ों के आसपास के संदर्भ में संक्रमण या अन्य समस्याएं।
7. संक्रमण, रक्तस्राव या वायरस संक्रमण के लिए संभावित अतिरिक्त रिस्क।
इन रिस्क के बावजूद, अधिकांश मामलों में ओपन हार्ट सर्जरी सफल होती है और लोग जल्द ही अपने दिनचर्या को फिर से शुरू कर सकते हैं।
ओपन हार्ट सर्जरी का खर्च विभिन्न कारणों पर निर्भर करता है, जैसे रोगी का स्थान, उपलब्ध सुविधाएं और चिकित्सा विशेषज्ञों का चयन। इसके अलावा, यह भी निर्भर करता है कि चिकित्सा की आवश्यकता कितनी है और संभव नुकसान की तुलना में चिकित्सा उपचार कितनी ज़रूरी है।
ओपन हार्ट सर्जरी के लिए कुल खर्च का अनुमान अलग-अलग देशों और क्षेत्रों में भिन्न होता है। जैसे अमेरिका में लगभग $100,000 से $200,000 तक हो सकता है। भारत में, अधिकतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदाताओं के पास ओपन हार्ट सर्जरी का खर्च कम होता है और लगभग 3 लाख से 8 लाख रुपये तक हो सकता है।
कुछ मामलों में, सरकारी या अन्य संस्थाओं द्वारा निःशुल्क चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध हो सकती हैं। इसलिए, ओपन हार्ट सर्जरी की जरूरत होने पर लोगों को अपने स्थानीय चिकित्सा प्रदाता से संपर्क करना चाहिए और उन्हें अपनी स्थिति और उपलब्ध सुविधाओं के बारे में बताना चाहिए।
ओपन हार्ट सर्जरी एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो कुछ खतरे और समय लेती है। हालांकि, कुछ हृदय संबंधी स्थितियों के लिए यह जीवन बचाने वाली प्रक्रिया हो सकती है और कुछ मरीजों के लिए फायदे जोखिम से अधिक हो सकते हैं। आपके डॉक्टर आपको बताएंगे कि आपके विशेष स्थिति के लिए ओपन हार्ट सर्जरी जरूरी है या नहीं और प्रक्रिया के दौरान और उसके बाद क्या उम्मीद करनी चाहिए।
बाईपास सर्जरी (Bypass Surgery) एक सर्जिकल प्रक्रिया है जो दिल की कोरोनरी धमनियों में जमी हुई चर्बी को दूर करने के लिए की जाती है। यह जमी हुई चर्बी दिल के अंगों को ऑक्सीजन प्रदान करने वाले रक्त संचार में रुकावट पैदा कर सकती है जिससे दिल की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
इस सर्जरी को कॉरोनरी धमनी बाईपास ग्राफ्टिंग (CABG) भी कहा जाता है जिसमे हृदय मांसपेशियों को ब्लॉक करने या संकुचित करने के लिए उपयोग की जाती है। प्रक्रिया के दौरान, सर्जन ब्लॉक या संकुचित हिस्से के आस-पास एक बाईपास बनाता है, जो हृदय मांसपेशियों में रक्त को स्वतंत्र रूप से बहने देता है।
इस शल्य चिकित्सा में, हृदय तक पहुंचने के लिए ब्रैस्ट बोन को अलग करने के लिए सीने में एक छेद बनाया जाता है। मरीज को संचारित एनेस्थेजिया दी जाती है ताकि उन्हें शल्य चिकित्सा के बारे में जागरूकता नहीं होती है। उसके बाद, हृदय अस्थायी रूप से बंद कर दिया जाता है और मरीज को हृदय-फेफड़ा बाईपास मशीन से कनेक्ट किया जाता है, जो हृदय और फेफड़ियों के कार्य को संभालती है, जिससे सर्जन हृदय पर काम कर सकते हैं। फिर सर्जन एक स्वस्थ रक्त वेसल लेता है, जो आमतौर से टांग या छाती से लिया जाता है, और उसे ब्लॉकेज से ऊपर एक बिंदु पर और दूसरे बिंदु पर नीचे जोड़ता है, जिससे ब्लॉक के भाग के आसपास एक बायपास या डिटूर detour बनता है। इससे रक्त हृदय के मांसपेशियों में स्वतंत्र रूप से फ्लो होता है, जो उसे सही ढंग से काम करने के लिए ऑक्सीजन और पोषक तत्वों से परिपूर्ण करता है।
जब ऑपरेशन पूरा होता है, तो हृदय को पुनः शुरू किया जाता है और बायपास मशीन को हटा दिया जाता है। छाती की हड्डी को वायर या अन्य सामग्री से बंधा जाता है, और छेद को सूत्र या स्टेपल्स से बंध दिया जाता है।
बाईपास सर्जरी का उपयोग कोरोनरी धमनी रोग के इलाज के लिए किया जाता है, जो हृदय मांसपेशियों को खून सप्लाई करने वाली धमनियों में प्लाक के बढ़ने से होता है। इस सर्जरी से हृदय के लिए रक्त प्रवाह में सुधार होता है, सीने में दर्द को कम किया जा सकता है और हृदयघात के खतरे को कम किया जा सकता है। यह एक जटिल प्रक्रिया है जो एक कुशल शल्य चिकित्सा टीम और सतर्क पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल की आवश्यकता होती है ताकि सफल रिकवरी हो सके।
यह सर्जरी उन रोगियों के लिए अनुकूल होती है, जिनमे दिल की कोरोनरी धमनियों के संकुचित हो जाने से दिल के अंगों में रक्त संचार में बाधा होती है। इस प्रक्रिया में अधिकतर समय लगता है, और इसमें अंतिम चरण में रोगी को अस्थायी पेसमेकर लगाया जाता है।
बाइपास सर्जरी कई प्रकार की होती है। इनमें से कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:
बाइपास सर्जरी उन मरीजों के लिए सुझाई जाती है जिनके ह्रदय की धमनियों में गंभीर अवरोध होते हैं और ये अवरोध अन्य उपचार या दवाई से ठीक नहीं होते हैं। कुछ महत्वपूर्ण कारक निम्नलिखित हैं:
निम्न स्थितियों में बाईपास सर्जरी की सिफारिश नहीं की जाती है :
बायपास सर्जरी का खर्च अलग-अलग फैक्टर्स पर निर्भर करता है, जैसे कि अस्पताल के बड़े शहर में होने की वजह से खर्च अधिक हो सकता है। इसके अलावा, सर्जरी की कम्प्लेक्सिटी, मरीज की उम्र, मेडिकल हिस्ट्री और सर्जरी के बाद की देखभाल के लिए जरूरी समय की आवश्यकता के अनुसार खर्च बढ़ सकता है।
भारत में बायपास सर्जरी की कीमत भी बहुत भिन्न होती है, जैसे कि सरकारी अस्पतालों में लगभग 1-2 लाख रुपये तक खर्च आता है, जबकि निजी अस्पतालों में खर्च 3-6 लाख रुपये तक भी जा सकता है। इसके अलावा, सर्जरी के बाद की देखभाल के लिए लगने वाले खर्च को भी शामिल करना होता है।
यह खर्च आम अनुमान है और आपके जगह और आपके डॉक्टर के साथ किए जाने वाले व्यवहार पर निर्भर करेगा।
बाइपास सर्जरी एक महत्वपूर्ण और जटिल सर्जिकल प्रक्रिया है जो कुछ खतरों और सावधानियों के साथ आती है। इनमें से कुछ हैं:
अनेस्थेसिया से जुड़ी समस्याएं: सामान्यतया बाइपास सर्जरी के दौरान जनरल एनेस्थेसिया दी जाती है। इससे संबंधित समस्याएं हो सकती हैं जैसे कि अस्थमा, श्वसन संकोच, जी मिचलाना या नींद न आना।
संक्रमण: जब किसी व्यक्ति को बाइपास सर्जरी के दौरान चीर लगाई जाती है, तो रक्तस्राव होता है। इसलिए, अनुमति के बिना रक्त संचार के कारण संक्रमण का खतरा होता है।
ब्लीडिंग या हेमोरेज: बाइपास सर्जरी के दौरान लंबे समय तक किसी व्यक्ति के खून का शोधन होता है। इससे थकान और ब्लीडिंग हो सकती है।
धमनी के गांठ या अन्य समस्याएं: बाइपास सर्जरी के दौरान धमनी के अन्य समस्याओं का खतरा होता है, जैसे कि धमनी में गांठ या दूसरे फंगल संक्रमण।
श्वसन संबंधी समस्याएं: बाइपास सर्जरी के दौरान
दोनों सर्जरी के बाद मरीजों को काफी सावधानी और देख-रेख की जरूरत होती है। रिकवरी अवधि और सर्जरी के जोखिम पेशेंट की मेडिकल स्थिति पर निर्भर करते हैं।
ओपन हार्ट सर्जरी और बाईपास सर्जरी दोनों हार्ट संबंधी सर्जिकल प्रक्रियाएं हैं, लेकिन दोनों अलग-अलग होते हैं। ओपन हार्ट सर्जरी में सर्जन हृदय को एक्सेस करने के लिए स्टर्नम को काटता है और हृदय को अस्थायी रूप से बंद करता है। जबकि बाईपास सर्जरी में, सर्जन ब्लॉक या नैरोव्ड अर्टरी के आसपास एक नया रास्ता बनाता है हेल्दी ब्लड वेसल से और ब्लॉकेज को टालता है।
दोनों सर्जरी की रिकवरी टाइम, रिस्क फैक्टर्स और लॉन्ग-टर्म बेनिफिट अलग-अलग होते हैं, और दोनों के लिए अलग-अलग कंडीशंस का उपयोग किया जाता है। ओपन हार्ट सर्जरी में, वाल्व रिप्लेसमेंट, बाईपास सर्जरी, एन्यूरिज्म रिपेयर, और हार्ट ट्रांसप्लांट जैसी अन्य सर्जिकल प्रक्रियाएं शामिल होती हैं।