आज पूरी दुनिया कोरोना वायरस के प्रकोप को झेल रही है और हजारों की संख्यां में लोग मर रहे हैं। कोरोना वायरस सामान्य सर्दी से लेकर घातक सार्स और नॉवल कोरोना जैसी खतरनाक बीमारियों के जनक होते हैं। ये एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे में कई तरीके से जा सकते हैं और इनका गुणन की क्षमता भी अद्भुत होती है। कुछ ही समय में ये पुरे समुदाय और एक बड़ी जनसँख्या को अपने चपेट में ले सकते हैं। कई बार लोग कोरोना वायरस और नावेल कोरोना वायरस को एक ही समझ लेते हैं और समाज में भ्रम फैलाते हैं कि इस वायरस का तो पहले से ही किताबों में वर्णन है। यह सही नहीं है नावेल कोरोना वायरस अन्य कोरोना वायरस से अलग और नया है। यह ज्यादा घातक और तेजी से फैलने वाला है। आज के इस पोस्ट कोरोना वायरस और नावेल कोरोना वायरस COVID 19 के बारे में है जिसमे कोरोना वायरस और COVID 19 में क्या अंतर है स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है।
कोरोना वायरस वैसे वाइरसों को कहा जाता है जो सांस की विभिन्न बीमारियों जैसे आम फ्लू, इन्फुलेंज़ा आदि रोगों को उत्पन्न करने का उत्तरदायी होता है। कोरोना वायरस नाम से कई वायरस होते हैं। कोरोना वायरस की एक मुख्य विशिष्टता इसका संचरण है जो पशु से पशु/पक्षी और फिर उनसे मनुष्य में होना होता है।
कोरोना वायरस Coronaviridae फैमिली से सम्बन्ध रखते हैं। इनकी खोज सबसे पहले 1930 मुर्गियों के संक्रमण के दौरान की गयी थी। मनुष्य में इसके संक्रमण का सबसे पहले पता 1960 में लगा जो सामान्य सर्दी के केस का था। बाद में इसका ह्यूमन कोरोना वायरस 229 ई और ह्यूमन कोरोना वायरस oc 43 दिया गया। कोरोना वायरस द्वारा उत्पन्न रोग सामान्य भी हो सकते है और काफी गंभीर और घातक भी। सामान्य सर्दी, जुकाम कोरोना से होने वाले कुछ हलके फुल्के रोग हैं जो सामान्यतः तीन से चार दिन में बिना किसी दवा के ठीक हो जाते हैं। किन्तु इस वायरस से कई गंभीर रोग भी हो सकते हैं जो सांस की तकलीफ और फेफड़े के संक्रमण के रूप में सामने आता है। कोरोना वायरस ही SARS सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम और MERS मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम जैसी घातक बीमारियों के जनक थें जिसमे हजारों लोगों की जाने गयी।
कोरोना वायरस चूँकि आम सर्दी, जुकाम, बुखार आदि छोटी छोटी बीमारियों से लेकर सार्स और नॉवल कोरोना जैसी गंभीर बीमारी का भी कारक है और एक दूसरे से संक्रमण के द्वारा फैलने वाली बीमारी है अतः इसमें वे सारे उपाय करने चाहिए जिससे यह संक्रमण एक से दूसरे व्यक्ति तक न जाने पावे।
COVID 19 वायरस कोरोना वायरस परिवार का ही एक नया सदस्य है जो सबसे पहले 2019 में चीन के वुहान शहर में सामने आया। इसे COVID 19 का नाम मिलने के पीछे इसका संक्षिप्त नाम है जो COrona VIrus DIsease तीनों ही शब्दों के पहले दो दो अक्षरों को मिलकर बनाया गया और 2019 में इसके खोजे जाने के वर्ष की वजह से 19 नाम दिया गया है। इस वायरस का नया नाम देने के पीछे इसे अन्य कोरोना वायरस से अलग दिखाना और उनके बीच के कन्फ्यूजन को दूर करना था। हालाँकि इस कोरोना वायरस का आधिकारिक नाम कुछ और ही है। इसका आधिकारिक नाम SARS -nCoV -2 दिया गया है जिसका फुलफॉर्म है Severe Acute Respiratory Syndrome इसे नोवेल कोरोना वायरस सेकंड स्ट्रेन यानी nCoV -2 भी कहा जाता है। यह नाम इंटरनेशनल कमिटी ऑन टेक्सोनोमी ऑफ़ वाईरसेज के द्वारा दिया गया है।
कोरोना वायरस काफी तेजी से फैलने वाला वायरस है। यह रोगी के संसर्ग में आने से, उसके खांसी और छींक की सीमा में आने से, रोगी द्वारा इस्तेमाल या स्पर्श की गयी वस्तुओं को छूने से यह स्वस्थ व्यक्तियों में चला जाता है। रोगी से समीपता भी संक्रमित होने की आशंका बढ़ा देती है। COVID-19 के संक्रमण की चार स्टेज होती है
फर्स्ट स्टेज : संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने से बीमार होना। दूसरे देशों से जो लोग अपने देश में आये हैं वे किसी न किसी संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने के बाद वापस अपने देश में आये और उनमे COVID-19 के लक्षण दिखने लगे। यह पहली अवस्था होती है।
सेकंड स्टेज : फर्स्ट स्टेज में बीमार लोगों के संपर्क में आये उनके मित्र और रिश्तेदारों में जब इसके लक्षण दिखने लगे।
थर्ड स्टेज : यह बहुत ही खतरनाक स्थिति होती है। इसमें पता नहीं चलता किससे और कहाँ से संक्रमण हो रहा है। इसमें बीमारी समुदाय स्तर पर चली जाती है और बड़ी संख्या में एक साथ लोग बीमार होने लगते हैं। ऐसी स्थिति महामारी का रूप ले लेती है।
फोर्थ स्टेज : इसमें स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाती है। चूँकि इसका अभी तक कोई टीका या उपचार नहीं है अतः बड़ी संख्या में लोग मरने लगते हैं।
COVID-19 का सबसे ज्यादा असर 65 वर्ष से ज्यादा के लोगों पर या उनके जिनकी इम्यून पावर कमजोर है, होता है। ऐसे लोग इस बीमारी में जल्दी संक्रमित हो जाते हैं और इनके बचने की उम्मीद कम होती है। डायबिटीज तथा हार्ट सम्बन्धी बीमारी से ग्रसित व्यक्तियों में भी इस बीमारी का खतरा ज्यादा और जल्दी होता है।
COVID-19 से ग्रसित लोगों के इलाज के लिए हॉस्पिटल्स में अलग से वार्ड बनाये जाते हैं जिन्हे आइसोलेशन वार्ड कहते हैं। इसमें मरीजों को अन्य मरीजों से एकदम अलग रखा जाता है। इस वार्ड में जाने वाले डॉक्टर, नर्स तथा अन्य सहायक मास्क, गाउन, ग्लब्स आदि का प्रयोग करते हैं। जिन लोगों में COVID-19 होने की आशंका होती है उन्हें भी समाज से अलग कर दिया जाता है और उनपर निगरानी राखी जाती है। इस प्रक्रिया को क्वारंटाइन कहते हैं।
चूँकि अभी तक COVID-19 कोई सटीक इलाज नहीं ढूंढा जा सका है अतः इससे बचने के लिए सावधानियां बरतना ही उत्तम है। यह बीमारी लोगों में न फैले इसके लिए विभिन्न सरकारें गाइडलाइन्स जारी करती हैं जिसमे बार बार कम से कम 20 सेकंड तक साबुन से हाथ धोना, सोशल डिस्टेंस मैंटेन करना, बाहर कम से कम निकलना, मास्क पहनना, सैनिटाइजर प्रयोग करना आदि है। थर्ड स्टेज में बीमारी जाने न पाए इसके लिए सरकारें लॉक डाउन या कर्फ्यू का भी सहारा लेती है।
उपसंहार
सामान्य कोरोना वायरस हो या COVID 19 दोनों ही मानव स्वास्थ्य के लिए चुनौती बने हुए हैं। दुनिया के विभिन्न देशों में इन पर रिसर्च हो रहे हैं और इनसे निबटने के लिए टीके बनाने के प्रयास हो रहे हैं। उम्मीद है जल्द ही सफलता मिलेगी। वैसे सफलता जब भी मिले हम कुछ सावधानियां बरत कर इनके प्रभाव को काफी कम कर सकते हैं।