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गधे और खच्चर में क्या अंतर है : एक रोचक जानकारी

Science4 years ago



गधे और खच्चर में क्या अंतर है 






जब भी बोझ ढोने की बात आती है तो दिमाग में गदहे या खच्चर का चित्र बन कर आता है। बात सही भी है इन दो प्राणियों ने मानव जाति का वजन सदियों से ढोया है और अपने धीर गंभीर स्वाभाव और सेवा भावना की बदौलत इंसान का सबसे बड़ा सहायक बनने का गौरव हासिल किया है। बड़े बड़े पुलों, भवनों के निर्माण में इनकी भूमिका को हमेशा ही नजरअंदाज किया गया है। पेश है गदहों और खच्चरों के बारे में दिलचस्प जानकारी। इसके साथ ही गदहे और खच्चरों में क्या अंतर है ?


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गदहा : प्रकृति का शांत और सहनशील प्राणी


गदहा घोड़े की फॅमिली का एक पालतू जानवर है जो प्रायः बोझ ढोने के काम आता है। यह काफी मेहनती और खूब स्टेमिना वाला जानवर है। पूरी दुनियां में लगभग 40 मिलियन से अधिक गदहे हैं जिनमे अधिकांश विकासशील और अविकसित देशों में हैं।

नर गदहे को अंग्रेजी में जैक और मादा को जेनी कहा जाता है जबकि इनके बच्चे को फॉल कहा जाता है। मिश्र में ईशा से करीब 3000 साल पूर्व से ही गदहों को पालतू बनाया जाने लगा और ये तब से इंसानों के साथ उनकी मदद के लिए हमेशा ही काम आते रहे हैं।


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गदहे का जीववैज्ञानिक नाम एक्वुस एसिनस एसिनस होता है और ये एक्वीडी फॅमिली से सम्बन्ध रखते हैं।

गदहों का आकार और वजन इनके नस्ल और पोषण पर निर्भर करता है फिर भी एक सामान्य गदहे की औसत लम्बाई 79 से 160 सेमी होती है और वजन 80 से 480 किलोग्राम होता है। सामान्य तौर पर गदहों की औसत आयु 30 से 50 वर्ष होती है। मादा गदही का गर्भकाल करीब 12 महीने का होता है। गदहे धूसर रंग के होते हैं। इनका सर लम्बा और कान बड़े बड़े होते हैं। गदहों का पेट बड़ा और पूछ मोटी होती है। गदहों की चिल्लाने की आदत होती है जिसे रेंकना कहते हैं। ये ढेंचू ढेंचू चीखते हैं।


गदहों में कड़ी मेहनत करने की क्षमता होती है किन्तु ये अपने हठ और जिद्दीपन के लिए भी खूब जाने जाते हैं। प्रायः ये शांत, साबधान और भरोसे वाले जानवर होते हैं। इनकी काम करने की आदत की वजह से ही ये इंसानों के सबसे उपयोगी सहायक के रूप में जाने जाते हैं। ये भरोसे के साथ काम करते हैं। गदहे कभी कभी उग्र भी हो जाते हैं और तब वे अपने पिछले पैरों से दुलत्ती मारते हैं। नर गदहों का उपयोग खच्चर के जन्म के लिए भी होता है।

खच्चर किसे कहते हैं


खच्चर एक अप्राकृतिक तरह से पैदा किया गया घोड़े तथा गदहे के मिले जुले गुणों वाला जानवर है जिसे बोझ ढोने तथा कई अन्य कार्यो में प्रयोग में लाया जाता है। यह एक पालतू जानवर है और यह गदहों से ज्यादा दक्षता पूर्वक काम करने के लिए जाना जाता है। खच्चर गदहों की तुलना में कम हठी और ज्यादा बुद्धिमान माने जाते हैं। खच्चर संकर प्रजाति का दुनियां में संभवतः सबसे पुराना जानवर है। इसका जन्म तुर्की और मिस्र में माना जाता है। खच्चरों का उल्लेख होमर ने 800 ईसापूर्व में अपनी पुस्तक इलियड में किया था। बाइबिल कुछ हिस्सों में भी इनकी चर्चा हुई है।




खच्चर प्रकृति में स्वयं पैदा नहीं होते बल्कि इन्हें क्रॉस ब्रीडिंग के जरिए पैदा कराया जाता है। खच्चर पैदा करने के लिए नर गदहे को मादा घोड़ी से संसर्ग कराया जाता है। कई बार घोड़े और गदही के संसर्ग से भी इस तरह के संतान पैदा कराये जाते हैं। इस तरह की संतान हिन्नी कहलाती है परन्तु हिन्नी की अपेक्षा खच्चर पैदा आसान होता है।


खच्चर प्रायः 370 किलोग्राम से 460 किलोग्राम के बीच के वजन के होते हैं। खच्चर संतान उत्पन्न करने लायक नहीं होते हैं। खच्चरों में लगभग 99.9 प्रतिशत एकदम से संतानोत्पत्ति के गुण से वंचित होते हैं हालाँकि मादा खच्चर कभी कभी संतान उत्पन्न करती हैं लेकिन ऐसी घटना बहुत ही कम होती है। खच्चरों की औसत आयु 35 से 40 वर्ष होती है। हालाँकि कुछ खच्चर 50 सालों तक भी जीवित रहते हैं।खच्चर प्रायः भूरे तथा रंगहीन होते हैं। 

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खच्चर का सर छोटा और मोटा होता है। इसके कान लम्बे और खुर संकरे होते हैं। इन सारे गुणों में वे गदहों से मेल खाते हैं पर ऊंचाई, गर्दन और दुम, दांतों की एकरूपता आदि इसे घोड़ों के सामान बनाते हैं।

खच्चरों के उत्पादन में चीन दुनियां में सबसे ऊपर है। चीन के बाद खच्चर सबसे ज्यादा मेक्सिको में पैदा किये जाते हैं।

गदहे और खच्चर में क्या अंतर है

  • गदहे हमारी पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं और उनका जन्म भी प्राकृतिक तरीके से होता है वहीँ खच्चर इस धरती पर प्राकृतिक रूप से नहीं पाए जाते हैं। खच्चरों को गदहे और घोड़ी के संसर्ग द्वारा पैदा कराया जाता है।


  • गदहे संतान उत्पन्न करने में सक्षम होते हैं किन्तु खच्चर में सन्तानोत्त्पत्ति का गुण नहीं होता है। खच्चर लगभग नपुंसक होते हैं।


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  • अनुवांशिक रूप से देखा जाये तो गदहों में 62 क्रोमोसोम्स होते हैं जबकि खच्चरों में 63 क्रोमोसोम्स होते हैं।


  • गदहे की पूंछ मोटी और गाय के सामान होती है जबकि खच्चर की पूंछ घोड़े के सामान होती है।


  • गदहा प्रायः ग्रे कलर होता है और इसके पेट तथा मुख के चारों ओर सफ़ेद होता है वहीँ खच्चर भूरा,या रंगहीन होता है।

  • गदहे की ऊंचाई 79 से 160 सेंटीमीटर तक होती है। खच्चर गदहे की अपेक्षा ज्यादा ऊँचा और लम्बा होता है।

  • गदहे बुद्धिमान और जिद्द्दी होते हैं किन्तु खच्चर गदहों की अपेक्षा ज्यादा बुद्दिमान और कम जिद्दी होते हैं।

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  • गदहे का वजन 80 से 480 किलोग्राम तक होता है वहीँ खच्चर का वजन 370 से 460 किलोग्राम तक हो सकता है।

  • गदहे वजन ढोने में माहिर होते हैं और धैर्य पूर्वक अपना काम करते हैं जबकि खच्चर बोझ ढोने के साथ साथ पहाड़ी रास्तों पर भी आसानी से चढ़ सकते हैं।

उपसंहार :
गदहे जहाँ प्राकृतिक रूप से पैदा होते हैं वहीँ खच्चरों को पैदा करने के लिए गदहे और घोड़ी का संसर्ग कराना पड़ता है। गदहे की अपेक्षा खच्चर ज्यादा कुशल, सक्षम और कम हठी होते हैं। इसका कारण आनुवंशिक है। चूँकि ये गदहे और घोड़े दोनों की ही संतान हैं अतः इनमे दोनों के ही गुण मिलते हैं। किन्तु खच्चरों में एक कमी है ये अपनी संतान उत्पन्न करने लायक नहीं होते हैं।

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