पौधों में जल तथा खनिज लवण को पत्तियों तक पहुंचाने तथा पत्तियों में तैयार भोजन को पौधे के पुरे शरीर में पहुंचाने के लिए पौधों में अपना एक पूरा जटिल तंत्र होता है। इसे पौधों का परिवहन तंत्र या ट्रांसपोर्ट सिस्टम कहते हैं। यह परिवहन तंत्र दो तरह के उत्तकों द्वारा संचालित होता है जाइलम और फ्लोएम। ये दोनों जाइलम और फ्लोएम उत्तक मिलकर संवहनी उत्तक प्रणाली का निर्माण करते हैं जिसे वैस्कुलर बंडल कहा जाता हैं। हालाँकि जाइलम और फ्लोएम दोनों ही अलग अलग तरह के जटिल संवहनी उत्तक हैं फिर भी दोनों एक साथ एक इकाई के रूप में काम करते हैं। जाइलम जल तथा अन्य मिनरल्स को जड़ों से लेकर पत्तियों तक पहुंचाता है जबकि पत्तियों द्वारा तैयार भोजन फ्लोएम के द्वारा पौधे के सभी भागों में पहुंचाया जाता है।
जाइलम और फ्लोएम उत्तक |
जाइलम किसी पौधे के सबसे महत्वपूर्ण उत्तकों में से एक होता है। यह पौधे के वैस्कुलर सिस्टम का एक महत्वपूर्ण भाग होता है और पौधे में जड़ों द्वारा अवशोषित जल तथा घुलनशील मिनरल्स को पौधे के सभी भागों में पहुंचाने का कार्य करता है। जाइलम वैसे तो पौधे के सभी भागों में पाया जाता है किन्तु तने के मुख्य भाग या वुडी भाग में यह ज्यादा होता है।
जाइलम शब्द की उत्त्पत्ति ग्रीक भाषा के ‘xylon’ से हुई है जिसका अर्थ होता है लकड़ी। वास्तव में अधिकांश जाइलम उत्तक पौधे के तने के लकड़ी वाले हिस्से में ही पाए जाते हैं। माइक्रोस्कोप से देखने पर जाइलम उत्तक का आकार स्टार की तरह दीखता है। जाइलम उत्तक में पायी जाने वाली अधिकांश कोशिकाएं डेड यानि मृत होती हैं। इन कोशिकाओं की सेल वाल मोटी और लिग्निन की बनी होती हैं। जाइलम वैस्कुलर बंडल के केंद्र में स्थित होती है और इसकी मात्रा फ्लोएम उत्तक से ज्यादा होती है। जाइलम उत्तक कई तरह कोशिकाओं से बनती है। इनमे Tracheids और Trachery मुख्य हैं। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य कोशिकाएं vessel elements पायी जाती हैं। ये कोशिकाएं tracheids से छोटी होती हैं। इन कोशिकाओं की कोशिका झिल्ली छिद्रित होती है जिससे आसानी से पानी तथा घुलनशील लवणों को अवशोषित करके उनके ट्रांसपोर्टेशन में मदद करती हैं।
इसके अतिरिक्त जाइलम उत्तक में parenchyma पाया जाता है। यह लम्बे रेशे की तरह होता है तथा पौधो के सॉफ्ट हिस्सों में सपोर्ट की तरह काम करता है। जाइलम उत्तक की उत्पत्ति एक्टिव रुट सेल्स तथा apical meristem से होती है। बड़े तथा कठोर पेड़ों में प्राइमरी जाइलम के चारों ओर रिंग की तरह सेकेंडरी जाइलम का निर्माण होता जाता है। धीरे धीरे प्राइमरी जाइलम की कोशिकाएं मृत हो जाती हैं और प्राइमरी जाइलम केवल सहारा प्रदान करने का कार्य करता है। ऐसी स्थिति में सेकेंडरी जाइलम जल तथा मिनरल्स के परिवहन का कार्य करती है।
जाइलम |
फ्लाएम क्या है
पौधों की पत्तियों और हरे भागों में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के फलस्वरूप तैयार घुलनशील कार्बनिक यौगिकों को पौधों के सभी भागों में पौधे के जिस अंग के द्वारा पहुंचाया जाता है उसे फ्लोएम कहते हैं। फ्लोएम एक vascular tissue है जो vascular bundle का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और पौधे के परिवहन तंत्र का निर्माण करता है।
फ्लोएम शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के शब्द “Phloios” से हुई है जिसका अर्थ छाल होता है। वास्तव में पौधों की छाल का अधिकांश हिस्सा फ्लोएम ही होता है।
फ्लोएम उत्तक vascular bundle के चारों ओर किनारे की तरफ स्थित होता है और इसकी मात्रा जाइलम उत्तक से काफी कम होती है। फ्लोएम उत्तक का निर्माण कई तरह की कोशिकाओं द्वारा होता है जिनमे sieve tubes (छिद्रित नलिकाएं), companion cells, फ्लोएम फाइबर, फ्लोएम parenchyma प्रमुख हैं। ये जीवित कोशिकाएं होती हैं और ये लिग्निफ़िएड नहीं होती हैं। फ्लोएम फाइबर सेल्स लम्बी होती हैं। sieve tubes की दीवारें क्षैतिज रूप से छिद्रित होती हैं जिससे होकर घुलनशील भोजन का परिवहन होता है। Phloem parenchyma companion cells और albuminous cells की बनी होती हैं और ये sieve cells को सहारा प्रदान करती हैं। इनके अतिरिक्त sclerenchyma cells भी फ्लोएम उत्तक को सहारा और कठोरता प्रदान करती हैं।
फ्लोएम |
फ्लोएम उत्तक का मुख्य कार्य प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में तैयार भोजन जिसमे शुगर और एमिनो अम्ल शामिल हैं तथा अन्य पोषक तत्वों पौधों के सभी भागों में पहुँचाना है। फ्लोएम का प्रवाह ऊपर नीचे दोनों तरफ होता है। फ्लोएम जड़ों, बल्ब (Bulbs) और Tubers जैसे अंगों के भंडारण के लिए पौधों के प्रकाश संश्लेषक क्षेत्रों द्वारा संश्लेषित शर्करा का परिसंचरण करता है। इसके अतिरिक्त यह पूरे पौधे में प्रोटीन और mRNAs के परिवहन के लिए जिम्मेदार है।
फ्लोएम |
जाइलम और फ्लोएम |
उपसंहार