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नयी दिल्ली और पुरानी दिल्ली में क्या अंतर है : एक रोचक जानकारी

Desh4 years ago


नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली में क्या अंतर है


दिल्ली को भारत की राजधानी ही नहीं बल्कि हिंदुस्तान का दिल भी कहा जाता है। यहाँ भारत ही नहीं बल्कि पुरे विश्व के लोग मिल जायेंगे। तरह तरह की भाषा, संस्कृति, मजहब,पहनावा और रिवाजों को मानने वाले लोगों से भरी है यह दिल्ली। दिल्ली में एक ओर जहाँ आपको किसी आधुनिक और बड़े ही नियोजित ढंग से बसे शहर में होने की अनुभूति होती है वहीँ दूसरी ओर पुरानी दिल्ली आपको किसी ऐतिहासिक शहर में होने का अहसास कराती है। हालाँकि नयी दिल्ली और पुरानी दिल्ली दोनों एक ही सिक्के के दो पहलु के समान है फिर भी कुछ ऐसी बातें हैं जो नयी दिल्ली को पुरानी दिल्ली से अलग करती हैं।  


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नई दिल्ली : लुटियंस की एक महान कृति

नई दिल्ली जिसे न्यू डेल्ही कहा जाता है, भारतवर्ष की राजधानी है।नई दिल्ली को लुटियंस दिल्ली भी कहा जाता है। भारत सरकार के समस्त राजधानी क्षेत्र के कार्यालय, संसद भवन, राष्ट्रपति भवन आदि इसी क्षेत्र में है। चौड़ी चौड़ी हरी भरी सड़कें, आधुनिक भवन, नियोजित ढंग से बसा शहर नई दिल्ली को एक आधुनिक शहर का दर्जा प्रदान करती है।



नई दिल्ली वास्तव में पुरानी दिल्ली का ही एक हिस्सा है। यह दिल्ली महानगरपालिका क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यह यमुना नदी के पश्चिमी किनारे पर तथा पुरानी दिल्ली के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित है। नई दिल्ली क्षेत्र का क्षेत्रफल 42.7 वर्गकिलो मीटर है और 2011 की जनगणना के अनुसार जनसँख्या 14,2004 है।


नई दिल्ली की स्थापना की नींव जॉर्ज पंचम के द्वारा 15 दिसंबर 1911 को रखी गयी थी और इसे बनाने की जिम्मेदारी प्रसिद्ध ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर को सौंपी गयी। नयी दिल्ली शहर को बनने में लगभग बीस वर्ष लग गए। भारत की इस नयी राजधानी का उद्घाटन ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लार्ड इरविन के द्वारा 13 फ़रवरी 1931 को किया गया था । पहले इसे लुटियंस दिल्ली कहा जाता था।


नई दिल्ली में ही भारत सरकार के सभी दफ्तर स्थित हैं। इसी क्षेत्र में इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, केंद्रीय सचिवालय आदि महत्वपूर्ण संस्थाएं स्थित हैं। नई दिल्ली में ही प्रसिद्ध कनाट प्लेस भी स्थित है। नई दिल्ली का अपना रेलवे स्टेशन नई दिल्ली के नाम से है जहाँ भारत के लगभग सभी जगहों के लिए ट्रेनें मिल जाएँगी।


पुरानी दिल्ली : एक ऐतिहासिक धरोहर 


पुरानी दिल्ली वृहत दिल्ली यानि एनसीआर का ही एक भाग है जो मुग़ल काल के किलों, भवनों, मकबरों और कई अन्य ऐतिहासिक स्थलों के लिए मशहूर है। पुरानी दिल्ली काफी घनी बसी हुई है जहाँ भीड़ भाड़ वाले बाजार, संकरी गलियां, मुग़लकालीन मस्जिदें, पुरानी हवेलियां खूब देखने को मिल जाएँगी।


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पुरानी दिल्ली या दिल्ली जिसे देहली भी कहा जाता था छठी शताब्दी में अस्तित्व में आया। हालाँकि इसे पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ के रूप में देखा जाय तो इसकी स्थापना पांच हज़ार साल पीछे की होगी। दिल्ली को राजधानी बनाने का निर्णय शाहजहाँ का था जब 1639 में उसने आगरा को छोड़ दिल्ली को राजधानी बनाने के लिए हामी भरी। उसने दिल्ली को शाहजहानाबाद के रूप में एक दीवारों से घिरा हुए शहर के रूप में बसाने की योजना बनायी। दिल्ली शहर 1648 में बन कर तैयार हुआ और यह मुग़ल शासन के पतन तक भारत की राजधानी बना रहा। भारत में 1857 में अंग्रेजी शासन की स्थापना होने पर कलकत्ता को (वर्तमान कोलकाता )को भारत की राजधानी बनाया गया।

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दिल्ली को भारत का ह्रदय भी कहा जाता है। यहाँ भारत के अलग अलग प्रांतों के अलग अलग भाषा बोलने वाले लोग मिल जायेंगे। यहाँ कई मशहूर बाजार हैं जैसे चांदनी चौक, खारी बावली का मसाला बाजार , चावड़ी बाजार, दरीबा कलान, चोर बाजार आदि। पुरानी दिल्ली में ही भारत की सबसे बड़ी मस्जिद जामा मस्जिद स्थित है। यहीं पर लाल किला, दिल्ली गेट, अजमेरी गेट, जैन मंदिर आदि स्थित है।


नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली में क्या अंतर है


वैसे तो नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली दोनों ही वृहत दिल्ली के ही हिस्से हैं फिर भी दोनों की स्थापना, स्थापत्य आदि में कई अंतर देखने को मिलते हैं

  • नई दिल्ली की भारत की राजधानी बनने का गौरव 1911 में हासिल हुआ जबकि पुरानी दिल्ली शाहजहां के जमाने से भारत की राजधानी रही है।

  • नई दिल्ली शहर की नींव जॉर्ज पंचम के द्वारा 1911 में रखी गयी थी वहीँ पुरानी दिल्ली की स्थापना शाहजहां ने 1639 ईस्वी में की थी।

  • नई दिल्ली एक योजनावद्ध तरीके से बसाया गया आधुनिक शहर है जहाँ चौड़ी चौड़ी हरे भरे वृक्षों से भरी हुई सड़के हैं जबकि पुरानी दिल्ली में घनी आबादी के बीच पतली और संकरी गलियों से युक्त सड़कें और काफी भीड़ भाड़ वाले बाजार हैं।

  • नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, सचिवालय, अक्षरधाम मंदिर आदि कई दर्शनीय स्थल हैं वहीँ पुरानी दिल्ली में लाल किला, चांदनी चौक, जामा मस्जिद, अजमेरी गेट आदि दर्शनीय स्थल हैं।

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  • नई दिल्ली को पहले लुटियंस दिल्ली कहा जाता था जबकि पुरानी दिल्ली का पुराना नाम शाहजहांनाबाद है।

उपसंहार
नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली में अलग करने की न तो कोई भौगोलिक संरचना है और न ही कोई मानव निर्मित दीवार। दोनों ही भारत के राष्ट्रिय राजधानी क्षेत्र के हिस्से हैं। दोनों ही मिलकर दिल्ली को विश्व के पटल पर एक बड़े और आधुनिक शहर के रूप में पहचान कराते हैं।नई दिल्ली वास्तव में पुरानी दिल्ली का ही विस्तारित और आधुनिक रूप माना जा सकता है जहाँ आधुनिकता और सुख सुविधाएँ उसे विश्व के किसी भी मॉडर्न शहर के टक्कर में ला खड़ी करती है वहीँ अपने इतिहास और परम्पराओं को बखूबी से संजोने का हूनर पुरानी दिल्ली को एक हेरिटेज शहर होने का गौरव प्रदान करती है।

One Comment

(Hide Comments)
  • Dharmendra Verma

    October 28, 2021 / at 5:48 amsvgReply

    आपके द्वारा दी गई जानकारी काफी अच्छी है। मैंने आपकी वैबसाइट को बूकमार्क कर लिया है। हमे उम्मीद है की आप आगे भी ऐसी ही जानकारी देते रहेंगे। हमने भी लोगो को जानकारी देने की छोटी सी कोशिश की है अगर आपको अच्छी लगे तो आप हमारी वैबसाइट को एक backlink जरूर दे। हमारी वैबसाइट का नाम है DelhiCapitalIndia.com जहां हमने केवल दिल्ली से संबन्धित पोस्ट लिखा है। जैसे – Leela Hotel || Leela Palace दिल्ली का लीला होटल

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