आज पूरा विश्व कोरोना वायरस के प्रकोप से जूझ रहा है। हजारों जाने जा चुकी हैं और लाखों लोग संक्रमण के दौर से गुजर रहे हैं। हमारी सभ्यता ने अनेकों बार इस तरह की महामारियों से मुकाबला किया है। इसमें लाखों करोड़ों लोगों ने अपनी जान गवाईं है किन्तु फिर भी मानव ने उन पर विजय पायी है। इन सभी महामारियों की वजह बड़े ही नन्हें से दो जीव हैं जिन्हें हम अपनी नंगी आँखों से देख भी नहीं पाते। ये दो खतरनाक जीव हैं बैक्टीरिया और वायरस। सच कहा जाए तो जितना नुकसान एटम बम और हाइड्रोजन बम ने नहीं किया होगा उतना नुकसान इन दो जीवों ने इस धरती पर किया है। बैक्टीरिया और वायरस हैं तो दोनों सूक्ष्मजीव हीं किन्तु दोनों में कई अंतर है जो दोनों के एक दूसरे से अलग करती है। आईये देखते हैं बैक्टीरिया और वायरस क्या हैं और इन बैक्टीरिया और वायरस में अंतर क्या है।
बैक्टीरिया एक तरह के सूक्ष्मजीव हैं जो हमारे वातावरण के साथ साथ हमारे शरीर में भी प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं। बैक्टीरिया इतने छोटे होते हैं कि उन्हें नंगी आँखों से नहीं देखा जा सकता। यद्यपि कुछ बैक्टीरिया जीवों के लिए कई खतरनाक और जानलेवा बीमारीओं के कारक होते हैं तथापि कई अन्य तरह के बैक्टीरिया हमारे लिए लिए उपयोगी भी होते हैं।
बैक्टीरिया वास्तव में एककोशिकीय जीव होते हैं। ये इतने सूक्ष्म होते हैं कि मात्र एक मिली लीटर पानी में इनकी संख्या दस लाख तक हो सकती है। इनका आकार 200 से 1000 नैनों मीटर तक हो सकता है। ध्यान रहे एक नैनो मीटर एक मीटर का एक बिलियनवां भाग होता है। ये कई प्रकार के होते हैं। माइक्रोस्कोप से देखने से पता चलता है कि कुछ बैक्टीरिया रॉड के शेप में होते हैं तो कुछ गेंद के सामान गोल, कुछ बैक्टीरिया स्पाइरल भी होते हैं। बैक्टीरिया के अंदर बहुत ही कम समय में अपनी संख्या बढ़ाने की अद्भुत क्षमता होती है। अनुकूल परिस्थितियों में ये बहुत कम ही समय में कई गुणा बढ़ सकते हैं। बैक्टीरिया को पहले पादप की श्रेणी में रखा जाता था किन्तु आधुनिक शोधों ने इसे एक अलग वर्ग प्रोकैर्योट्स के रूप में वर्गीकृत किया है।
धरती पर पाए जाने वाले सभी बैक्टेरिया हानिकारक नहीं होते हैं। बल्कि यों कहें कि एक प्रतिशत से भी कम बैक्टीरिया हमारी बीमारियों के कारण होते हैं। इस तरह के बैक्टीरिया को पैथोजेनिक बैक्टीरिया कहते हैं।
बैक्टीरिया की वजह से होने वाले मुख्य रोग टीबी, मूत्र मार्ग का संक्रमण,टाइफाइड, प्लेग,निमोनिया, हैजा, स्ट्रेप गले का रोग, गोनोरिया , बैक्टेरियल मेनेंजाइटिस, टेटेनस आदि हैं।
बैक्टीरिया से होने वाले रोगों के उपचार के लिए एंटीबायोटिक का प्रयोग किया जाता है हालाँकि हमारा शरीर का इम्यून सिस्टम ही कई मामलों में बैक्टीरिया से लड़कर बीमारियों से हमारी रक्षा करता है।
बैक्टीरिया का संक्रमण कई तरह से फैलता है। इसमें संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से, संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकले स्राव के संपर्क में आने से, माँ से गर्भ में पल रहे बच्चे को, रोगी द्वारा इस्तेमाल किये गए सामानों को छूने से ये फैलते हैं।
बैक्टीरिया केवल नुकसान ही करते हैं ऐसी बात नहीं। कई बैक्टीरिया हमारे लिए काफी लाभदायक होते हैं। वायुमंडल में नाइट्रोजन स्थिकरण में बैक्टीरिया की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। दही और पनीर का निर्माण बैक्टीरिया के द्वारा ही संभव हो पाता है।
कुछ मुख्य बैक्टीरिया हैं कोलाई, साल्मोनेला, माइक्रो बैक्टीरिआ, बैसिलस एन्थ्रेसिस, लिस्टिरिया आदि
वायरस भी एक सूक्ष्म जीव है परन्तु इनके जीवित रहने के लिए किसी दूसरे जीवित प्राणी के शरीर की आवश्यकता पड़ती है जिन्हें हम होस्ट कहते हैं। वायरस अति सूक्ष्म होते हैं यहाँ तक कि बैक्टीरिया भी उनके मुकाबले बड़े मालुम पड़ते हैं। वायरस कई खतरनाक रोगों की वजह होते हैं।
वायरस एक अकोशिकीय सूक्ष्म जीव है जिसको क्रियाशील होने के लिए जीवित कोशिका की आवश्यकता पड़ती है। इनका आकार मात्र 20 से 400 नैनों मीटर तक होता है। वायरस की संरचना नाभिकीय अम्ल और प्रोटीन के मिलने से होती है। ये बाहर से एकदम मृत या निर्जीव मालुम पड़ते हैं और स्वयं में एकदम अक्रिय होते हैं किन्तु किसी होस्ट की कोशिका में प्रवेश के बाद ये कोशिका के मूल आरएनए एवं डीएनए की जेनेटिक संरचना को अपनी जेनेटिक सूचना से बदल देता है और संक्रमित कोशिका अपने जैसे संक्रमित कोशिकाओं का पुनरुत्पादन शुरू कर देती है। इनकी संख्या बड़ी तेजी से बढ़ती है और इसका परिणाम यह होता है कि वह प्राणी बीमार पड़ जाता है। बाहरी वातावरण में निर्जीव रहने के कारण ही इन्हें सजीव और निर्जीवों के बीच की कड़ी कहा जाता है।
वायरस मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं प्लांट वायरस, एनिमल वायरस और बैक्टीरियोफाज वायरस। सबसे पहले 1796 में डॉक्टर एडवर्ड जेनर ने चेचक रोग के वायरस का पता लगाया था। फिर 1886 में अडोल्फ मेयर और 1892 इवानोवस्की ने तम्बाकू के पौधे के अध्ययन के दौरान वायरस के अस्तित्व का पता लगाया।
वायरस मानव के सबसे बड़े दुश्मनों में से एक हैं। इनकी वजह से कई खतरनाक बीमारियां फैलती हैं। इनकी वजह से ही साधारण फ्लू, चेचक, इन्फुलेन्जा, एड्स, पोलियो,कोरोना आदि बीमारियां होती हैं।
वायरस का संक्रमण बड़ी तेजी से फैलता है। इसका संक्रमण रोगी के स्पर्श से, उसकी चीज़ों के इस्तेमाल से, उसके छींकने और खांसने के रेंज में आने से होता है।
वायरस जहाँ एक ओर हमारा नुकसान करते हैं वहीँ कुछ वायरस ऐसे हैं जो हमारे मददगार हैं जीवाणुभोजी वायरस यानि बैक्टीरियोफाज इसी प्रकार का एक वायरस होता है जो हैजा, पेचिस, टाइफाइड उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया को नष्ट कर उनसे हमारी रक्षा करता है।
वायरस के कुछ उदहारण हैं इन्फुलेंज़ा वायरस, एचआईवी, पोलियो वायरस, इबोला वायरस, चेचक वायरस आदि।
उपसंहार
बैक्टीरिया और वायरस दोनों ने ही मानव सभ्यता को बार बार संकट के मुहाने पर ला खड़ा किया है। बैक्टीरिया और वायरस के बारे में काफी अध्ययन किये गए हैं और आज भी उनपर शोध चलते रहे हैं। इन वैज्ञानिक रिसर्चों का ही परिणाम है कि हम बैक्टीरिया और वायरस के बारे में काफी कुछ जानते हैं और इनसे बचने की दवाएं और टीके बना सके हैं। वैज्ञानिक अध्ययनों का ही परिणाम है कि हम बैक्टीरिया और वायरस के बार बार हमले से अपना बचाव कर सके हैं।