मुस्लिमों के मज़हबी केंद्रों की जब बात आती है तो दो चीज़ें सामने आती हैं मस्जिद और ईदगाह। दोनों जगह अल्लाह के इबादत के लिए बनायीं जाती हैं दोनों जगह नमाज अदा की जाती है। किन्तु एक प्रश्न सामने आता है जब दोनों जगह नमाज अदा की जाती है तो दो तरह की चीजों की क्या आवश्यकता है ? कई लोगों के दिमाग में यह प्रश्न उठता है आखिर मस्जिद और ईदगाह में अंतर क्या है ? इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए आइये देखते हैं मस्जिद और ईदगाह किसे कहते हैं
मस्जिद क्या होता है
मस्जिद मुसलमानों का धार्मिक स्थल होता है। इस जगह पर वे इकठ्ठा होकर नमाज अदा करते हैं। यह एक ईमारत होती है जहाँ नमाज पढ़ने के लिए एक बड़ा हाल होता है। कई मस्जिदों में मीनारें भी होती हैं जिसपर चढ़ कर अजान किया जाता है ताकि अजान की आवाज दूर तक सुनाई पड़े। मस्जिदों का ऊपरी हिस्सा प्रायः गुम्बद की तरह होता है।
मस्जिद अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है प्रार्थना करने का स्थान। अंग्रेजी और अन्य यूरोपियन भाषाओँ में इसके लिए मोस्क शब्द का प्रयोग किया जाता है।
कुछ मस्जिदों में जुमे के दिन भी नमाज पढ़ी जाती है। इन मस्जिदों को जामा मस्जिद कहते हैं। दुनियां की सबसे पहली मस्जिद काबा थी जहाँ सबसे पहले हज़रत अलैहिस्सलाम और हज़रात हव्वा अलैहिस्सलाम ने नमाज पढ़ी थी।
मस्जिदें शिक्षा का केंद्र भी रही हैं। यहाँ से इस्लाम की शिक्षा दी जाती रही है। अधिकांश मस्जिदों में मदरसे भी हैं जहाँ लाखों बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं।
ईदगाह भी मुस्लिम मज़हबी केंद्र होता है। ईदगाह वास्तव में सामूहिक नमाज़ अदा करने के उद्दैश्य से बनाया जाता है। ईद उल जहा और ईद उल फ़ित्र के दिन यहाँ मुसलमान इकठ्ठा होकर नमाज पढ़ते हैं। ईदगाह गॉंव या रिहाइशी इलाकों के बाहर एक खाली जगह या मैदान होता है।
मस्जिद और ईदगाह में क्या अंतर है
इस प्रकार हमने देखा कि समान उद्द्येश्य होते हुए भी मस्जिद और ईदगाह में कई फर्क हैं। दोनों अपनी अपनी जगह अपने अपने अवसर के लिए महत्वपूर्ण हैं। जब भारी संख्या में लोग नमाज पढ़ने आते हैं तो वहां ईदगाह ही उनके लिए उपयुक्त जगह हो सकती है।