पुरे विश्व में शासन व्यवस्था का सबसे लोकप्रिय स्वरुप लोकतंत्र और गणतंत्र ही है जिसे संसार के अधिकांश देशों ने अपनाया है। भारत भी उनमे से एक है जहाँ लोकतान्त्रिक गणतांत्रिक शासन व्यवस्था है। लोकतंत्र और गणतंत्र दोनों एक नज़र में एक ही लगते हैं किन्तु दोनों तरह की शासन प्रणाली में थोड़ा फर्क होता है। लोकतंत्र में जहाँ जनता के बहुमत को सर्वोपरि माना जाता है वहीँ गणतंत्र में शासन व्यवस्था का आधार संविधान होता है। सरकारें बहुमत होने के बावजूद कानून के आधार पर ही निर्णय लेती हैं। अतः इस प्रणाली में प्रत्येक नागरिक के अधिकार सुरक्षित होते हैं। आईये देखते हैं लोकतंत्र और गणतंत्र क्या हैं और दोनों में क्या फर्क हैं
लोकतंत्र क्या है
प्रजातंत्र या लोकतंत्र जिसे अंग्रेजी में डेमोक्रेसी कहते हैं यह ग्रीक भाषा का शब्द है। वास्तव में डेमोक्रेसी दो शब्दों से मिलकर बना है Demos और Kratein ये दोनों ग्रीक भाषा के शब्द हैं जिसमे Demos का अर्थ होता है लोग और Kratein मतलब शासन करना होता है। वास्तव में डेमोक्रेसी जनता का ही शासन होता है। लोकतंत्र या प्रजातंत्र जनता के द्वारा जनता पर शासन होता है। लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था में शासन वास्तव में जनता या उसके बहुमत की इच्छा से चलता है। इसमें जनता की शासन में सक्रीय और सीधी भागीदारी होती है। लोकतंत्र में निर्वाचित राष्ट्राध्यक्ष की अवधारणा नहीं होती। इनकी जगह कई देशों में वंशानुगत शासक होते हैं।
लोकतंत्र में जनता सरकार बनाने के लिए प्रतिनिधियों का चुनाव करती है। ये प्रतिनिधि भी एक खास अवधि के लिए चुने जाते हैं। यानि सरकार एक निश्चित समय के लिए बनती है उसके बाद फिर चुनाव द्वारा प्रतिनिधियों को चुनकर आना पड़ता है। लोकतंत्र में सभी व्यक्तियों के सामान अधिकार होते हैं और उनपर एक सामान कानून लागू होता है।
गणतंत्र किसे कहते हैं
गणतंत्र शासन या रिपब्लिक में जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधयों के द्वारा शासकों का चुनाव होता है। रिपब्लिक एक लैटिन शब्द है जो दो शब्द res और publica से मिलकर बना हुआ है जिसका मतलब होता है जनता की चीज़ अर्थात विधि या कानून। गणतंत्र में सरकार को सार्वजानिक मामला माना जाता है। गणतंत्र में जनता अपने अपने क्षेत्रों से चुनाव के द्वारा प्रतिनिधियों का चुनाव करती है। ये प्रतिनिधि सरकार बनाते हैं और निश्चित कानून या संविधान के आधार पर देश का शासन चलाते हैं। गणतंत्र में राष्ट्राध्यक्ष भी सामान्य जनता में से ही कोई हो सकता है जिसे जनता ने निर्वाचित किया हो। गणतंत्र में सभी लोगों के अधिकार समान होते हैं और सबके लिए समान कानून होते हैं। इस व्यवस्था में किसी भी व्यक्ति के अधिकारों का क्षरण बहुसंख्य जनता के द्वारा नहीं किया जा सकता।
लोकतंत्र या प्रजातंत्र और गणतंत्र में क्या अंतर है
- लोकतंत्र या प्रजातंत्र जनता का शासन होता है जिसमे जनता अपने प्रतिनिधियों का निर्वाचन करती है जबकि गणतंत्र लोगों के चुने हुए प्रतिनिधियों की सरकार होती है जिसमे वे जनता द्वारा चुने हुए राष्ट्राध्यक्ष द्वारा शासन करते हैं।
- लोकतंत्र में राष्ट्राध्यक्ष जनता का प्रतिनिधि नहीं होता जबकि गणतंत्र में राष्ट्राध्यक्ष जनता का ही प्रतिनिधि होता है।
- लोकतंत्र में बहुमत के द्वारा शासन सम्बन्धी निर्णय लिए जाते हैं जबकि गणतंत्र में कानून या संविधान को आधार बना कर निर्णय लिए जाते हैं।
- लोकतंत्र में सरकार अपना रेवेन्यू वैध अवैध टैक्स, फीस, पेनल्टी और लाइसेंस द्वारा कलेक्ट करती है वहीँ गणतंत्र में सरकार वैध टैक्स और फीस द्वारा अपना रेवेन्यू वसूलती है।
- लोकतंत्र अकसर भीड़तंत्र का शासन भी कहलाता है वहीँ गणतंत्र भीड़तंत्र का कोई स्थान नहीं है सारा शासन कानून के अनुसार चलता है।
- प्रजातंत्र में अल्पसंख्यकों के अधिकार सुरक्षित नहीं होते जबकि गणतंत्र में हर व्यक्ति का अधिकार बराबर होता है। अल्पसंख्यकों के अधिकार की सुरक्षा होती है।
- लोकतान्त्रिक शासन वाले देशों में ब्रिटेन, जापान, सऊदी अरब आदि आते हैं जबकि गणतांत्रिक प्रणाली वाले देशों में अमेरिका, भारत आदि हैं।
इस प्रकार हम देखते हैं कि लोकतंत्र और गणतंत्र दोनों तरह के शासन वास्तव में जनता का ही शासन होता है जिसमे जनता अपने शासन के लिए प्रतिनिधियों का चुनाव करती है।
Unknown
👍
बेनामी
Loktantra Ganatantra sapa Tantra rajtantra prajatantra ke upar tippani kijiye