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वाइट फंगस और ब्लैक फंगस में क्या अंतर है

Health3 years ago


वाइट फंगस और ब्लैक फंगस में क्या अंतर है


अभी भारत में कोरोना की लहर थमी नहीं कि एक और महामारी ने अपने आगमन की सूचना दर्ज करा दी। इस महामारी ने कोरोना से मुकाबला कर रही सरकारों और जनता दोनों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।यह महामारी वास्तव में एक तरह का फंगल इन्फेक्शन है जो कमजोर इम्यून वाले रोगियों को ख़ासकर कोरोना से संक्रमित और इससे ठीक हुए लोगों के लिए काफी खतरनाक साबित हो रहा है। भारत में यह वाइट फंगस, ब्लैक फंगस और अब येलो फंगस के रूप में सामने आया है।

वाइट फंगस और ब्लैक फंगस दोनों ही फंगल डिजीज हैं किन्तु दोनों को उत्पन्न करने वाले फंगस अलग अलग होते हैं। इनके लक्षण और प्रभावित अंगों में भी अंतर होता है।

वाइट फंगस और ब्लैक फंगस दोनों ही घातक बीमारियां हैं और निम्न रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को अपना शिकार बनाती हैं। आज के इस पोस्ट में हम पढ़ेंगे वाइट फंगस क्या है, वाइट फंगस के लक्षण, वाइट फंगस से प्रभावित अंग, ब्लैक फंगस क्या है, ब्लैक फंगस के लक्षण, ब्लैक फंगस किन अंगों पर अपना प्रभाव डालता है, वाइट फंगस और ब्लैक फंगस में क्या अंतर है आदि।


Table of Contents 

  • फंगस क्या है 
  • वाइट फंगस क्या है  What is White Fungus 
  • वाइट फंगस क्यों होता है 
  • वाइट फंगस किन्हें हो सकता है 
  • वाइट फंगस किन अंगों पर प्रभाव डालता है
  • वाइट फंगस की जांच कैसे होती है
  • वाइट फंगस के लक्षण
  • वाइट फंगस को वाइट क्यों कहा जाता है
  • ब्लैक फंगस क्या है  What is Black Fungus 
  • ब्लैक फंगस किन लोगों को हो सकता है
  • ब्लैक फंगस से कौन से अंग प्रभावित होते हैं
  • ब्लैक फंगस के लक्षण
  • ब्लैक फंगस को ब्लैक क्यों कहा जाता है
  • वाइट फंगस और ब्लैक फंगस में क्या अंतर है


फंगस क्या है 

फंगस जिसे हिंदी में फफूंद या कवक कहते हैं एक प्रकार के जीव होते हैं जो अपना भोजन सड़े गले मृत कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त करते हैं। ये संसार में प्राकृतिक अपमार्जक की भूमिका निभाते हैं यानि मृत कार्बनिक पदार्थों को भोजन के रूप में लेकर उन्हें अपघटित करते हैं।
फंगस संसार प्राचीन जीवों में से एक हैं। वैसे तो इनका वर्गीकरण वनस्पतियों में किया जाता है किन्तु ये क्लोरोफिल से रहित होते हैं और इनमे जड़,तना और पत्तियां भी नहीं होती हैं। इसके साथ ही इनमे वैस्कुलर बंडल का भी आभाव होता है। पहले इस प्रकार के सभी जीवों को कवक वर्ग में रखा जाता था किन्तु अब इनमे से बैक्टीरिया और स्लाईम मोल्ड को अलग करके दो अन्य वर्ग बना दिया गया है। फंगस का अध्ययन कवक विज्ञानं यानि माइकोलॉजी कहलाता है।
वैसे तो मानव के लिए फंगस बड़े काम के होते हैं। किन्तु कुछ फंगस कई घातक बीमारियों के भी कारक होते हैं। जैसे aspergillosis, candidiasis histoplasmosis आदि। कुछ फंगस जिन्हें dermatophytic और kerationophilc कहा जाता है आँखों, नाखूनों, त्वचा तथा बालों को नुकसान पँहुचाते। हैं

वाइट फंगस 

वाइट फंगस क्या है 
What is White Fungus 
वाइट फंगस क्यों होता है 
वाइट फंगस किन्हें हो सकता है 
वाइट फंगस किन अंगों पर प्रभाव डालता है
वाइट फंगस की जांच कैसे होती है
वाइट फंगस के लक्षण
वाइट फंगस को वाइट क्यों कहा जाता है
वाइट फंगस क्या है 

वाइट फंगस जिसे Candidiasis भी कहा जाता है एक प्रकार का फंगल इन्फेक्शन होता है। यह एक प्रकार के यीस्ट की वजह से होता है जिसे candida कहते हैं। Candida प्रायः त्वचा पर तथा शरीर के अंदर कई स्थानों पर पाए जाते हैं जैसे मुख, गला, योनि आदि । प्रायः यह फंगस बिना कोई नुकसान पहुँचाये शरीर में पड़े रहते हैं। परन्तु जब इनकी संख्या बहुत अधिक हो जाती है अथवा ये शरीर के काफी अंदर तक प्रवेश कर जाते हैं जैसे रक्त, ह्रदय, किडनी या मष्तिष्क में तो ये काफी घातक हो जाते हैं। इस संक्रमण के लिए सबसे ज्यादा Candida albicans जिम्मेदार होता है।


वाइट फंगस और ब्लैक फंगस में क्या अंतर है


वाइट फंगस क्यों होता है

वाइट फंगस के इन्फेक्शन की सबसे बड़ी वजह लो इम्युनिटी का होना है। किसी रोग की वजह से या फिर किसी अन्य कारण से यदि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है तब इस बीमारी के होने का खतरा बढ़ जाता है। कोरोना से संक्रमित मरीज या फिर इससे ठीक हुए मरीजों की इम्मून पावर एकदम कम हो जाती है। अतः ऐसे लोग इसका आसानी से शिकार हो जाते हैं। शुगर के मरीज या काफी मात्रा में स्टेरॉइड्स का सेवन करने वाले भी इसकी चपेट में आ जाती हैं।

वाइट फंगस किन्हें हो सकता है

वाइट फंगस निम्न रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले रोगियों को आसानी से अपना शिकार बनाता है।
छोटे बच्चे और महिलाओं में इसके संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है।
कोरोना के मरीज, कोरोना से ठीक हुए लोग, डायबिटीज के रोगी, एड्स या किडनी ट्रांसप्लांट कराये लोगों में इसका खतरा ज्यादा होता है।

वाइट फंगस किन अंगों पर प्रभाव डालता है

वाइट फंगस मुख्य रूप से फेफड़ों, नाख़ून, त्वचा, आमाशय, किडनी, ब्रेन, मुख तथा गुप्त अंगों पर अपना प्रभाव दिखलाता है।

वाइट फंगस की जांच कैसे होती है

CT स्कैन और X ray द्वारा इसका पता लगाया जा सकता है।

वाइट फंगस के लक्षण


वाइट फंगस के कई लक्षण कोविड से मिलते जुलते हैं। इस फंगस से संक्रमित व्यक्ति को खांसी, बुखार, डायरिया आदि की शिकायत होती है। इसके मरीजों का ऑक्सीजन लेवल काफी गिर जाता है और उनके फेफड़ों पर काले धब्बे पड़ जाते हैं।

वाइट फंगस को वाइट क्यों कहा जाता है

यह फंगस कैंडिडा शरीर पर दही के सामान दिखती है। दही के समान दिखने की वजह से इसका नाम वाइट फंगस पड़ गया।



वाइट फंगस और ब्लैक फंगस में क्या अंतर है

ब्लैक फंगस 


ब्लैक फंगस क्या है 
What is Black Fungus 
ब्लैक फंगस किन लोगों को हो सकता है
ब्लैक फंगस से कौन से अंग प्रभावित होते हैं
ब्लैक फंगस के लक्षण
ब्लैक फंगस को ब्लैक क्यों कहा जाता है

ब्लैक फंगस क्या है 

पिछले कुछ हफ्तों से कोविड वैश्विक महामारी के साथ ही भारत में एक और महामारी ने दस्तक दी है। इस बीमारी के थोड़े ही समय में काफी घातक प्रभाव देखने को मिले हैं। यह बीमारी है ब्लैक फंगस यानि म्यूकोरमाइकोसिस। निम्न रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों जैसे कोरोना मरीज या कोरोना से ठीक हुए मरीज पर इसका काफी घातक असर देखने को मिला है।

ब्लैक फंगस यानि म्यूकोरमाइकोसिस एक प्रकार के सूक्ष्म जीवों समूह होता है जिन्हें म्यूकोरमाइसिटिस कहा जाता है। यूएस के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार म्यूकरमायकोसिस म्यूकर या रेसजोपस फ़ंगस के कारण होता है जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों, खाद, सड़े हुए फल और सब्ज़ियों में पनपता है।


वाइट फंगस और ब्लैक फंगस में क्या अंतर है


ब्लैक फंगस किन लोगों को हो सकता है

ब्लैक फंगस लो इम्युनिटी वाले मरीजों को आसानी से अपना शिकार बना लेता है। कोरोना से संक्रमित मरीजों या कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों की इम्युनिटी काफी कम हो जाती है। अतः ऐसे लोग इस बीमारी से जल्दी ग्रसित हो जाते हैं। उच्च डायबिटीज और स्टेरॉयड के अधिक प्रयोग करने वाले लोगों को भी इस बीमारी का खतरा ज्यादा होता है।

ब्लैक फंगस से कौन से अंग प्रभावित होते हैं

ब्लैफंगस क मुख्य रूप से साइनस, ब्रेन और फेफड़ों पर अपना असर दिखाती है। कुछ मामलों में ये गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक में भी पाया जाता है। ब्लैक फंगस रोगी के आँखों पर भी बुरा असर दिखाती है और कई बार तो मरीज अपने देखने की शक्ति खो बैठता है।

ब्लैक फंगस के लक्षण

इसके लक्षण हैं- नाक बंद हो जाना, नाक से ख़ून या काला तरल पदार्थ निकलना, सिरदर्द, आंखों में सूजन और दर्द, पलकों का गिरना, धुंधला दिखना और आख़िर में अंधापन होना. नाक के आसपास काले धब्बे हो सकते हैं और सेंसशन कम हो सकता है. जब फेफड़ों में इसका इंफ़ेक्शन होता है तो सीने में दर्द और सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण होते हैं। चेहरा विकृत हो जाना, चेहरे में दर्द होना, गालों में सूजन, दांत का दर्द, दांत का हिलना आदि लक्षण भी कई बार नज़र आते हैं।

ब्लैक फंगस को ब्लैक क्यों कहा जाता है

फंगस का अंदरूनी कोई रंग नहीं होता. म्यूकर ग्रुप की फ़ंगस राइज़ोपस जब शरीर में सेल्स को मारती है तो उन पर अपने काले रंग की कैप छोड़ जाती है क्योंकि वो मरे हुए सेल होते हैं। इस फ़ंगस को जब मुंह, नाक से निकालकर माइक्रोस्कोप में देखा गया तो उसके किनारों पर फ़ंगस दिखी और बीच में मरे हुए सेल दिखे. राइज़ोपस फ़ंगस का तब से नाम ब्लैक फ़ंगस पड़ गया।


वाइट फंगस और ब्लैक फंगस में क्या अंतर है



वाइट फंगस और ब्लैक फंगस में क्या अंतर है

  • वाइट फंगस Candida albicans के संक्रमण की वजह से होता है जबकि ब्लैक फंगस म्यूकोरमाइसिटिस नामक फंगस की वजह से होता है।
  • वाइट फंगस का नाम शरीर पर दही के समान सफ़ेद दिखने की वजह से पड़ा जबकि ब्लैक फंगस नाक तथा अन्य अंगों के पास काले रंग की पपड़ी छोड़ता है जिसकी वजह से इसे ब्लैक फंगस कहा जाता है।
  • वाइट फंगस के ज्यादातर लक्षण कोरोना से मिलते हैं जबकि ब्लैक फंगस के लक्षण थोड़े भिन्न होते हैं।
  • वाइट फंगस ब्लैक फंगस की तुलना में ज्यादा खतरनाक होता है। इसका कारण इसका फेफड़े, किडनी आदि को संक्रमित करना है।

  • वाइट फंगस मुख्य रूप से फेफड़ों, नाख़ून, त्वचा, आमाशय, किडनी, ब्रेन, मुख तथा गुप्त अंगों पर अपना प्रभाव दिखलाता है जबकि ब्लैफंगस क मुख्य रूप से साइनस, ब्रेन और फेफड़ों पर अपना असर दिखाती है। कुछ मामलों में ये गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक में भी पाया जाता है।


उपसंहार


वाइट फंगस और ब्लैक फंगस दोनों ही फंगल बीमारियां हैं जो मुख्य रूप से निम्न रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले रोगियों जैसे कोरोना से संक्रमित या ठीक हुए रोगियों पर अपना प्रभाव दिखाती हैं। कई मामलों में ये डायबिटीज रोगियों को भी अपना शिकार बनाती हैं।

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