हिन्दी भाषा में या यूं कहें किसी भी भाषा में संज्ञा और सर्वनाम वाक्य रचना में अपना विशेष स्थान रखते हैं। किसी वाक्य में इनका स्थान अनिवार्य होता है अर्थात इनके बिना वाक्य की रचना संभव नहीं होती है। अतः भाषा व्याकरण में इनका स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। यही कारण है व्याकरण के विद्यार्थियों के लिए संज्ञा और सर्वनाम का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं संज्ञा किसी वस्तु, व्यक्ति और वस्तु के नाम को कहा जाता और संज्ञा के स्थान पर प्रयोग होने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं, किन्तु परीक्षा के दृष्टिकोण से देखा जाय तो इतना जानना पर्याप्त नहीं है। किसी भाषा में पारंगत होने तथा व्याकरण की परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों को अवश्य जानना चाहिए कि संज्ञा किसे कहते हैं, संज्ञा की परिभाषा क्या है, संज्ञा के कितने भेद होते हैं, सर्वनाम किसे कहते हैं, सर्वनाम की परिभाषा क्या है, सर्वनाम के कितने भेद हैं और संज्ञा और सर्वनाम में क्या अंतर है आदि।
संज्ञा किसे कहते हैं
संज्ञा की परिभाषा क्या है
संज्ञा के कितने भेद होते हैं
संज्ञा की परिभाषा
ऐसे शब्द जिनसे किसी जाति, द्रव्य, गुण, भाव, व्यक्ति, स्थान और क्रिया आदि के नाम का बोध हो, संज्ञा कहलाते हैं।
संज्ञा के उदहारण
राम, सीता, मोहन
सोना, चांदी
ईमानदारी, दयालुता
पटना, लखनऊ आदि
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा
2. जातिवाचक संज्ञा
3. समूहवाचक संज्ञा
4. द्रव्यवाचक संज्ञा
5. भाववाचक संज्ञा
उदहारण – सचिन, अमिताभ पटना, दिल्ली, भारत, रामायण, अमेरिका, ताज महल, गंगा इत्यादि।
कुछ अन्य उदहारण
स्त्री-पुरुषों के नाम
सचिन, विराट, प्रियंका आदि
दिशाओं के नाम –
पूर्व, पश्चिम, उत्तर ,आग्नेय आदि।
देशों तथा स्थानों के नाम
भारत, पाकिस्तान, जापान, दिल्ली, पटना आदि।
नदियों के नाम –
गंगा, यमुना, सिंधु, रावी, ब्रह्मपुत्र आदि।
सागरों के नाम
अरब सागर , हिन्द महासागर आदि।
पर्वतों के नाम
हिमालय, विंध्याचल आदि
समाचार पत्रों तथा पुस्तकों के नाम ,
दैनिक जागरण, अमर उजाला, गोदान, रामायण आदि
दिनों के तथा महीनों के नाम ,
जातिवाचक संज्ञा
जिस संज्ञा शब्द से सम्पूर्ण जाति, वर्ग या समुदाय का बोध होता है, उसे
जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
उदहारण
गाय, आदमी , छात्र, खिलाड़ी,जानवर , फूल, सब्जी,राजा,,मन्त्री, पण्डित, कुम्हार , अध्यापक, कवि, कंघी ,पुस्तक, मनुष्य, दोस्त , बहिन, बेटा,नदी , स्त्री,शेर , सैनिक ,दुश्मन , विद्वान, चिकित्सक , बालक , कक्षा आदि।
द्रव्यवाचक संज्ञा
जब किसी संज्ञा शब्द से किसी द्रव्य का बोध हो तो उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं।
उदहारण
लोहा, सोना, तेल, चांदी आदि।
समूहवाचक संज्ञा
उदहारण
झुण्ड , कक्षा, सेना, जनसमूह आदि।
भाववाचक संज्ञा
जिस संज्ञा शब्द से पदार्थों की अवस्था, गुण-दोष, भाव या दशा, धर्म आदि का बोध हो उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
उदहारण
ईमानदारी , मिठास, क्रूरता, दयालुता ,थकावट आदि।
भाववाचक संज्ञा – जिन संज्ञा शब्दों से किसी
सर्वनाम किसे कहते हैं
सर्वनाम की परिभाषा क्या है
सर्वनाम के कितने भेद हैं
संज्ञा और सर्वनाम में क्या अंतर है
सर्वनाम क्या है
किसी भी भाषा का प्रयोग करते समय कई बार एक ही संज्ञा का प्रयोग बार बार करने की आवश्यकता होती है। ऐसे में बाद में आये वाक्यों में यदि उसी संज्ञा का प्रयोग बार बार किया जाए तो वह अनुच्छेद बड़ा ही अटपटा, असंगत और अप्राकृतिक प्रतीत होता है। इसके साथ ही भाषा का सौंदर्य तथा उसके लय या प्रवाह में बाधा महसूस होती है। उदहारण के लिए यदि कहा जाए
“राम बाज़ार जा रहा है। राम एक झोला लेकर जा रहा है। राम झोले में सब्ज़ी खरीदेगा। राम केवल हरी सब्ज़ी लेगा” तो ये सारे वाक्य व्याकरण की दृष्टि से सही होते हुए भी पढ़ने या लिखने में बड़े ही अजीब लगेंगे।
इसी समस्या के समाधान के लिए आगे के वाक्यों में उस संज्ञा का प्रयोग न करके उनके स्थान पर अन्य शब्दों का प्रयोग किया जाता है। ये शब्द उसी संज्ञा का भाव कराते हैं और उस संज्ञा का स्थान लेते हैं। ऐसे शब्दों को सर्वनाम कहा जाता है। अब ऊपर के उदहारण को एक बार और देखें
“राम बाज़ार जा रहा है। वह एक झोला लेकर जा रहा है। वह झोले में सब्ज़ी खरीदेगा। वह केवल हरी सब्ज़ी लेगा” इन वाक्यों में संज्ञा “राम” के स्थान पर अन्य वाक्यों में “वह” का प्रयोग किया गया है। अतः हम कह सकते हैं कि वैसे शब्द जिनका प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया जा सकता है, सर्वनाम कहलाते हैं।
सर्वनाम की परिभाषा
संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहा जाता है। सर्वनाम संज्ञाओं की पुनरावृति रोककर वाक्यों को सौंदर्ययुक्त बनता है।
उदहारण
तुम, हम, वह, तुम्हारा, उसका, हमारा आदि
कामता प्रसाद गुरू के अनुसार “सर्वनाम उस विकारी शब्द को कहते हैं जो पूर्व पर सम्बन्ध से किसी संज्ञा के स्थान पर आता है , जैसे, मैं (बोलनेवाला), तू (सुननेवाला), यह (निकट-वर्ती वस्तु), वह (दूरवर्ती वस्तु) इत्यादि। वाक्य में जिस शब्द का प्रयोग संज्ञा के बदले में होता है, उसे सर्वनाम कहते हैं।
सर्वनाम शब्द ‘सर्व + नाम’ से बना है। यहाँ पर ‘सर्व’ का अर्थ ‘सभी’ अर्थात् ऐसे शब्द जो सभी नामों के लिए प्रयुक्त हो सकते है, सर्वनाम कहलाते है। संज्ञा जहाँ केवल उसी नाम बोध कराती है जिसका वह नाम है किन्तु सर्वनाम सभी नामों के लिए प्रयुक्त हो सकता है। उदहारण के लिए मोहन, सोहन, विवेक, राधा सभी अपने लिए “मै” का प्रयोग करेंगे। किन्तु मोहन से केवल मोहन नाम के लड़के का ही बोध होगा इसी तरह राधा नाम से केवल राधा नाम वाली लड़की का ही बोध होगा।
गाय एक पालतू जानवर है।
वह घास खाती है।
उसके चार पैर होते हैं।
वह दूध देती है।
सर्वनाम के भेद
सर्वनाम के छह भेद होते हैं –
पुरुषवाचक सर्वनाम
निजवाचक सर्वनाम
निश्चयवाचक सर्वनाम
अनिश्चयवाचक सर्वनाम
प्रश्नवाचक सर्वनाम
सम्बन्धवाचक सर्वनाम
मैं, हम (वक्ता द्वारा खुद के लिए), तुम और आप (सुनने वाले के लिए) और यह, वह, ये, वे (किसी और के बारे में बात करने के लिए) आदि। ये सभी पुरुषवाचक सर्वनाम हैं।
निजवाचक सर्वनाम
जिन सर्वनामों का प्रयोग वक्ता किसी चीज़ को अपने साथ दर्शाने या अपनी बताने के लिए करता है, वे निजवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।
मैं अपने काम स्वयं कर लूँगा।
मैं अपने आप वहां चला जाऊंगा।
मै अपनी कार से जाऊंगा।
निश्चयवाचक सर्वनाम
निश्चयवाचक सर्वनाम के उदाहरण
सम्बन्धवाचक सर्वनाम
ऐसे सर्वनाम जिनका प्रयोग किसी वस्तु या व्यक्ति का सम्बन्ध बताने के लिए किया जाता है वे सम्बन्धवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। जैसे जैसा, वैसा, जो, सो आदि।
Unknown
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