आकाश में कई खगोलीय घटनाएं घटती रहती हैं। इनमे से एक है ग्रहण। ग्रहण वास्तव में खगोल की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। प्राचीन काल से ही मानव जाति की जिज्ञासा ग्रहण के प्रति रही है। प्राचीन काल में लोग ग्रहण को दैविक आपदा समझते थे और इससे भयभीत होते थे। आज ग्रहण के बारे में लोगों को काफी कुछ पता होता है और ग्रहण का अवलोकन करने के लिए लोग इसकी पहले से प्रतीक्षा करते हैं।
सूर्य ग्रहण प्रायः आंशिक होता है जिसे खंड ग्रहण कहा जाता है। ऐसा इस लिए होता है क्योंकि चन्द्रमा अकसर सूरज के कुछ हिस्से को ही ढकता है। किन्तु कभी कभी ऐसी स्थितियां बनती है जब चन्द्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है और पृथ्वी से सूर्य कुछ देर के लिए ओझल हो जाता है। ऐसी स्थिति को पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है। ऐसी स्थिति में धरती पर उतने समय के लिए अँधेरा छा जाता है। यह अँधेरा केवल सात से ग्यारह मिनट तक रहता है क्योंकि चन्द्रमा सूर्य को अधिकत्तम सात ग्यारह मिनट तक ढकते हुए आगे निकल जाता है। पूर्ण सूर्य ग्रहण में चन्द्रमा को सूर्य के सामने से गुजरने में करीब करीब दो घंटे लगते हैं। पूर्ण सूर्य ग्रहण धरती के एक छोटे क्षेत्र से ही दीखता है। यह क्षेत्र करीब दो सौ पचास किलो मीटर के आस पास हो सकता है। इस क्षेत्र के बाहर केवल आंशिक सूर्य ग्रहण ही दीखता है।
सूर्य ग्रहण की भांति चंद्र ग्रहण में भी पृथ्वी, चन्द्रमा और सूर्य की परिभ्रमण गतियों की भूमिका होती है। चंद्र ग्रहण में पृथ्वी सूर्य और चन्द्रमा के बीच में आ जाती है और तीनों एक सीध में हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर पड़ने लगती है और चन्द्रमा आंशिक रूप से या पूर्ण रूप से पृथ्वी की छाया से ढक जाता है या नहीं दीखता है। जैसा कि हम जानते हैं चन्द्रमा के पास अपना प्रकाश नहीं होता, यह सूर्य प्रकाश से ही प्रकाशित होता है। अतः पृथ्वी की छाया पड़ने से चन्द्रमा का आंशिक या पूरा भाग अँधेरा हो जाता है और वह नहीं दीखता है। अतः हम कह सकते हैं कि वैसी खगोलीय घटना जिसमे पृथ्वी की छाया से चन्द्रमा पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से कुछ समय के लिए ढक जाता है, चंद्र ग्रहण कहलाती है।
चंद्र ग्रहण सदा पूर्णिमा की रात को ही लगता है। सूर्य ग्रहण जो पृथ्वी के एक छोटे क्षेत्र से ही दिखाई पड़ता है के विपरीत चंद्र ग्रहण पृथ्वी के उन सभी क्षेत्रों से देखा जा सकता है जहाँ रात्रि हो। इसी तरह चन्द्रमा के छोटे आकार की वजह से सूर्य ग्रहण जो मात्र कुछ ही मिनटों का होता है वहीँ चंद्र ग्रहण की अवधि काफी लम्बी होती है और यह कुछ घंटों की हो सकती है।
सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण में क्या अंतर है
सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण वास्तव में स्थान विशेष की स्थितियां होती हैं। सूर्य ग्रहण के होने के लिए जहाँ सूर्य और चन्द्रमा को पृथ्वी के एक ही ओर एक ही सीध में होना आवश्यक है वहीँ चंद्र ग्रहण के लिए सूर्य और चन्द्रमा को पृथ्वी के दोनों ओर एक दूसरे के विपरीत दिशा में होना अनिवार्य है।