आज के दौर में सेमिनार की उपयोगिता कौन नहीं जानता ? विश्वविद्यालयों और व्यवसाय क्षेत्र में बेहतर उत्पादकता के लिए लोगों के ज्ञान के परिमार्जन और उनके तार्किक और विषयोचित गुणों के विकास में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसके द्वारा किसी विषय पर गहन चर्चा का अवसर प्राप्त होता है और साथ ही किसी विषय की सम्पूर्ण जानकारी एक साथ कई लोगों तक सम्प्रेषित की जा सकती है। सेमिनार का ही एक आधुनिकतम रूप वेबिनार भी आजकल बहुत लोकप्रिय है। वेबिनार वास्तव में सेमिनार ही होता है किन्तु इसमें प्रतिभागियों को एक जगह एकत्रित होने की जरुरत नहीं पड़ती। इसमें सभी प्रतिभागियों को जोड़ने के लिए इंटरनेट की आवश्यकता होती है। आज के इस पोस्ट में सेमिनार और वेबिनार के बारे में जानकारी हासिल करेंगे और साथ ही यह भी जानेंगे कि सेमिनार और वेबिनार में क्या अंतर है ?
सेमिनार शैक्षणिक, वाणिज्यिक और प्रोफेशनल संगठनों के द्वारा विभिन्न विषयों पर प्राप्त ज्ञान को व्यवस्थित, गहरा और समेकित करने के लिए किये गए एक आयोजन को कह सकते हैं। इसमें किसी एक विषय पर आधारित चर्चा के लिए किसी विशेष स्थान पर लोगों के समूह को एक साथ लाये जाने का उद्द्येश्य रहता है। इसमें प्रशिक्षक या नेता शोध के माध्यम से या औपचारिक रूप से उक्त विषय पर अपने अनुभवों को प्रस्तुत करता है। वास्तव में सेमिनार एक इंटरैक्टिव खंड है जहाँ प्रतिभागी प्रश्न उठाते हैं और विशेष रूप से असाइन किये गए रीडिंग पर चर्चा और बहस होती है। सेमिनार में चर्चा और बहस से प्रतिभागियों के ज्ञान का परिमार्जन होता है तथा वे व्यावहारिक अनुप्रयोग के कौशल को प्राप्त करते हैं उनके व्यक्तिगत गुणों का विकास होता है और उनके बौद्धिक स्तर में सुधार होता है।
सेमिनार शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के सेमिनारियम से हुई है जिसका अर्थ बीज लगाना होता है। वास्तव में सेमिनार के माध्यम से प्रतिभागियों के दिमाग में विचारों के बीज बोये जाते हैं जहाँ वे पल्लवित और विकसित होते हैं।
एक सेमिनार के आवश्यक तत्वों में सेमिनार की विषयवस्तु, सेमिनार का उद्द्येश्य, विशेषज्ञ वक्ता और लक्षित ऑडियंस होते हैं। इसके अतिरिक्त सेमिनार को प्रभावशाली और उपयोगी बनाने के लिए कुछ तकनीकों का जैसे प्रोजेक्टर, पावर पॉइंट, साउंड सिस्टम आदि का भी प्रयोग किया जाता है।
वेबिनार सेमिनार का ही वेब वर्जन होता है। अतः सेमिनार की सभी विशेषताएं और उसके उद्देश्य इसमें शामिल होते हैं। वेबिनार की सबसे ख़ास बात इसमें प्रतिभागियों का एक जगह नहीं होना होता है। वेबिनार में सभी प्रतिभागी प्रस्तुतकर्ता के साथ वर्चुअल या आभासी रूप से जुड़े रहते हैं। अतः वेबिनार उन परिस्थितियों के लिए एक वरदान होता है जहाँ सेमिनार की आवश्यकता तो होती है किन्तु प्रतिभागी और प्रस्तुतकर्ता का एक जगह पंहुचना या इकठ्ठा होना संभव नहीं होता है।
वेबिनार शब्द “वेब” और “सेमिनार” से मिलकर बना है। वेबिनार वीडियो वर्कशॉप, व्याख्यान या प्रेजेंटेशन जिसे वेबिनार सॉफ्टवेयर का उपयोग करके ऑनलाइन होस्ट किया जाता है। वेबिनार द्वारा व्यापार से सम्बंधित, शिक्षा से सम्बंधित या किसी अन्य विषय पर दुनियां भर के लोगों के साथ ज्ञान, विचारों और अपडेट को साझा करने के लिए किया जा सकता है। वेबिनार संबंधों के निर्माण और पोषण करने, एक ब्रांड के निर्माण या किसी उत्पाद के प्रदर्शन में लाभदायक हो सकता है।
वेबिनार के लिए इंटरनेट पर कई सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं। इनमे से मुख्य रूप से गूगल हैंगऑउटस, यूट्यूब लाइव, फेसबुक लाइव स्काइप लाइव हैं जिनके माध्यम से आसानी से वेबिनार को आयोजित किया जा सकता है। ये सारे प्लेटफार्म इस्तेमाल के लिए फ्री होते हैं। इनके अतिरिक्त कुछ प्लेटफार्म चार्जेबल भी होते हैं जिसमे प्रतिभागियों की संख्या के हिसाब से कुछ चार्ज निर्धारित हैं।
उपसंहार
इस प्रकार हम देखते हैं कि सेमिनार और वेबिनार दोनों का उद्देश्य एक ही है और दोनों ही विषय पर चर्चा और मंथन पर केंद्रित होता है। सेमिनार को यदि नेट या ऑनलाइन किया जाय तो वह वेबिनार कहलाता है। अतः वेबिनार में कई अन्य सुविधाएँ जुड़ जाती हैं। इसमें प्रतिभागियों को एक जगह भौतिक रूप से एकत्र नहीं होना पड़ता है और इस कारण इसमें दुनिया के किसी भी भाग से लोग हिस्सा ले सकते हैं। सेमिनार में ऐसी बात नहीं होती है। इसकी कुछ सीमाएं होती हैं। किन्तु सेमिनार में लोगों का भौतिक जमावड़ा होता है अतः यह ज्यादा प्रभावशाली माना जाता है।
Unknown
Thanks