डेमू (DEMU) और मेमू (MEMU) ट्रेनें क्या हैं और इनमे क्या अंतर है
Differences between DEMU and MEMU Trains
दोस्तों आजकल कई स्टेशनों पर एक नए तरह की ट्रैन दीख रही हैं। आम बोलचाल में इसे लोग डेमू कहते हैं। कई जगह इसी तरह की ट्रेनों को मेमू भी कहते सुना जाता है। आइए आज हम जानते हैं डेमू (DEMU) और मेमू (MEMU) ट्रेनें क्या हैं और इनमे क्या अंतर है।
डेमू और मेमू दोनों ट्रेनें भारत में कम दूरी की पैसेंजर ट्रेनें हैं जो धीरे धीरे सामान्य पैसेंजर ट्रेनों की जगह ले रहीं हैं। ये ट्रेनें आधुनिक हैं और इनके सञ्चालन में अपेक्षाकृत कम खर्च आता है। ये पारम्परिक ट्रेनों की अपेक्षा हलकी और मजबूत होती हैं। इन दोनों तरह की ट्रेनों में इंजन इनबिल्ट होता है। इन ट्रेनों में कई समानताएं होते हुए भी कई ऐसी चीज़ें हैं जो इन्हें अलग करती हैं। आइए अब देखते हैं इन दोनों ट्रेनों में अंतर और समानताएं क्या क्या हैं
डेमू ट्रैन क्या है
डेमू का फुलफॉर्म क्या होता है ?
डीज़ल मल्टीपल यूनिट या डीएमयू (DMU) एक मल्टी-यूनिट ट्रेन है जो ऑन-बोर्ड डीजल इंजन द्वारा संचालित होती है। एक डीएमयू को अलग लोकोमोटिव की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि इंजन एक या अधिक बोगी में इनबिल्ट होते हैं। डीजल से चलने वाली सिंगल-यूनिट रेलकार या रेल बस को भी आम तौर पर डीएमयू के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इन डीजल-संचालित DMU ट्रेनों को उनके ट्रांसमिशन प्रकार के आधार पर तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है: डीजल-मैकेनिकल डीएमएमयू (DMMU), डीजल-हाइड्रोलिक डीएचएमयू (DHMU), या डीजल-इलेक्ट्रिक डीईएमयू DEMU)।
DMMU
डीज़ल-मैकेनिकल मल्टीपल यूनिट (DMMU) में, इंजन की घूर्णन ऊर्जा एक कार की तरह गियरबॉक्स और ड्राइवशाफ्ट के माध्यम से सीधे ट्रेन के पहियों तक प्रेषित होती है। ट्रांसमिशन को चालक द्वारा मैन्युअल रूप से स्थानांतरित किया जा सकता है, जैसा कि पहली पीढ़ी के अधिकांश ब्रिटिश रेल डीएमयू में होता है, लेकिन अधिकांश अनुप्रयोगों में, गियर स्वचालित रूप से बदल जाते हैं।
DHMU
डीजल-हाइड्रोलिक मल्टीपल यूनिट (DHMU) में, एक हाइड्रोलिक टॉर्क कन्वर्टर, एक प्रकार का फ्लुइड कपलिंग, पहियों को घुमाने के लिए डीजल इंजन की प्रेरक शक्ति के लिए ट्रांसमिशन माध्यम के रूप में कार्य करता है। कुछ इकाइयों में हाइड्रोलिक और मैकेनिकल ट्रांसमिशन का एक संकर मिश्रण होता है, जो आमतौर पर उच्च परिचालन गति पर उत्तरार्द्ध में वापस आ जाता है क्योंकि इससे इंजन RPM और शोर कम हो जाता है।
DEMU
डीजल-इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (डेमू) में, एक डीजल इंजन एक विद्युत जनरेटर या एक अल्टरनेटर चलाता है जो विद्युत ऊर्जा का उत्पादन करता है। इसके बाद उत्पन्न धारा को पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव की तरह पहियों या बोगियों पर इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन मोटर्स को सप्लाई किया जाता है।
डेमू शब्द अंग्रेजी के DEMU अक्षरों से मिलकर बना हुआ है। इसका फुल फॉर्म है डीजल इलेक्ट्रिकल मल्टीप्ल यूनिट (Diesel Electrical Multiple Unit ) आइए देखते हैं इस ट्रैन की कुछ ख़ास बातें
- इन ट्रेनों में चार चार डब्बों की एक यूनिट होती है। एक पूरी ट्रैन में ऐसी पांच यूनिट होती हैं जिससे कुल डब्बों की संख्या बीस हो जाती है।
- हर यूनिट का अपना इनबिल्ट इंजन होता है।
- यह लोकल इलेक्ट्रिक ट्रेनों का ही मॉडिफाइड रूप होता है।
- इसका इंजन डब्बे के फ्लोर के नीचे लगाया जाता है इसलिए इंजन दिखता नहीं है और डब्बे में बैठने के स्थान में कोई कमी नहीं होती है। इस तरह के इंजन को underslung कहते हैं।
- इसके डब्बों में उतरने चढ़ने के लिए सीढ़ी बनी होती है अतः इसके लिए प्लेटफार्म को ऊँचा बनाने की जरुरत नहीं होती। इसी वजह से इन्हे उन रूटों पर भी चलाया जा सकता है जहाँ लौ लेवल के प्लेटफार्म हैं।
- इन्हें डीजल या सीएनजी से चलाया जाता है। डीजल या सीएनजी से चलने की वजह से इन्हे किसी भी मार्ग पर चलाया जा सकता है।
- इन ट्रेनों में टॉयलेट होता है अतः इन्हें चार घंटे से ज्यादा दुरी वाले रूट पर चलाया जा सकता है।
मेमू (MEMU ) ट्रैन
मेमू का फुलफॉर्म क्या होता है
डेमू ट्रेनों की तरह ही मेमू ट्रेने लोकल पैसेंजरों के लिए चलायी जाती है। मेमू मेन लाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट शब्दों का संक्षिप्ताक्षर है। यह लोकल इलेक्ट्रिक ट्रेनों का ही मॉडिफाइड संस्करण है। भारतीय रेलवे में MEMU इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (EMU) ट्रेनें हैं जो शहरी और उपनगरीय क्षेत्रों को जोड़ने वाली सामान्य EMU ट्रेनों की तुलना में भारत में छोटी और मध्यम दूरी के मार्गों की सेवा करती हैं।
भारत की पहली MEMU ट्रैन कब और कहाँ चलायी गयी
भारतीय रेलवे ने 15 जुलाई 1995 को आसनसोल-आद्रा खंड पर और 22 जुलाई 1995 को खड़गपुर-टाटा खंड पर मेमू सेवा शुरू की। दिल्ली-पानीपत मेमू सेवा 27 सितंबर 1995 को शुरू हुई।
मेमू ट्रेनों की विशेषताएं
इन ट्रेनों में चार चार डब्बे की एक यूनिट होती है। इस प्रकार आवश्यकतानुसार आठ डब्बे या बीस डब्बे की ट्रैन चलायी जाती है।
Conclusion
मेमू का फुलफॉर्म क्या होता है
डेमू ट्रेनों की तरह ही मेमू ट्रेने लोकल पैसेंजरों के लिए चलायी जाती है। मेमू मेन लाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट शब्दों का संक्षिप्ताक्षर है। यह लोकल इलेक्ट्रिक ट्रेनों का ही मॉडिफाइड संस्करण है। भारतीय रेलवे में MEMU इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (EMU) ट्रेनें हैं जो शहरी और उपनगरीय क्षेत्रों को जोड़ने वाली सामान्य EMU ट्रेनों की तुलना में भारत में छोटी और मध्यम दूरी के मार्गों की सेवा करती हैं।
भारत की पहली MEMU ट्रैन कब और कहाँ चलायी गयी
भारतीय रेलवे ने 15 जुलाई 1995 को आसनसोल-आद्रा खंड पर और 22 जुलाई 1995 को खड़गपुर-टाटा खंड पर मेमू सेवा शुरू की। दिल्ली-पानीपत मेमू सेवा 27 सितंबर 1995 को शुरू हुई।
मेमू ट्रेनों की विशेषताएं
इन ट्रेनों में चार चार डब्बे की एक यूनिट होती है। इस प्रकार आवश्यकतानुसार आठ डब्बे या बीस डब्बे की ट्रैन चलायी जाती है।
- प्रत्येक यूनिट में एक इनबिल्ट इंजन होता है।
- दोनों तरफ मोटरमैन के लिए केबिन होता है जहाँ से वे ट्रैन का सञ्चालन करते हैं।
- ये ट्रेने 25 KV ऐसी करंट से चलती है। इसके लिए ओवरहेड इलेक्ट्रिक केबल खम्बों के द्वारा पटरियों के किनारे किनारे लगायी जाती हैं।
- चुकि ये ट्रेनें बिजली से चलती हैं अतः इन्हे केवल उन्ही मार्गों पर चलाया जाता है जो विद्युतीकृत हों।
- प्रत्येक यूनिट में टॉयलेट की व्यवस्था होती है अतः इन्हें चार घंटे से ज्यादा लम्बे मार्ग पर चलाया जाता है।
- इनमे फूटस्टेप्स होते है अतः इनके लिए लो लेवल प्लेटफार्म को ऊँचा करने की जरुरत नहीं होती है।
Conclusion
डेमू और मेमू ट्रेनें अपने किफायती और आरामदायक बनावट की वजह से कम दुरी के स्टेशनों के बीच काफी लोकप्रिय सवारी का माध्यम बन चुकी हैं। गैर विद्युतीकृत मार्गों में डेमू तथा विद्युतीकृत मार्गों में मेमू ट्रेनें परंपरागत ट्रेनों को प्रतिस्थापित कर चुकी हैं।
1 टिप्पणियाँ
रोचक जानकारी...
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