आइसोलेशन और क्वॉरंटीन में क्या अंतर होता है
आज पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है। भारत समेत कई देश इस महामारी का मुकाबला करने के लिए कई कदम उठा रहे हैं। भारत में ही सैकड़ों लोगों के इस बीमारी से ग्रसित होने की खबर आ रही है वहीँ कुछ लोग इस बीमारी में अपनी जान भी गवां चुके हैं। चूँकि कोरोना एक संक्रामक बीमारी है अतः इसके लिए मरीजों और संदिग्धों के लिए कई तरह की सावधानियां बरती जा रहीं हैं। इनमे आइसोलेशन और क्वॉरंटीन प्रमुख हैं। कई बार लोग आइसोलेशन और क्वॉरंटीन को एक ही समझ बैठते हैं जो कि सही नहीं है। आइये देखते हैं आइसोलेशन और Quarantine क्या हैं और आइसोलेशन और Quarantine में क्या अंतर है
आइसोलेशन क्या होता है
चिकित्सीय भाषा में आइसोलेशन विभिन्न चिकित्सीय सुविधाओं में एक है जिसमे संक्रमित व्यक्ति को नियंत्रित रूप से चिक्तिसा सुविधा प्रदान करने की प्रक्रिया होती है जिससे कि अस्पताल में अन्य मरीज, स्वास्थ्यकर्मियों, आगंतुकों या अन्य लोगों उसके संपर्क में न आने पावें। इसमें संक्रमित रोगी के लिए अस्पताल में अलग वार्ड की व्यवस्था की जाती है। आइसोलेशन केवल संक्रमित व्यक्तियों के लिए होता है। सेंटर फॉर डीजीज कण्ट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार आइसोलेशन सामान्य जनता की संक्रामक रोगों से सुरक्षा के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला उपाय है। यह संक्रमित व्यक्ति को स्वस्थ व्यक्ति को अलग रखने की प्रक्रिया है।आइसोलेशन का प्रयोग प्रायः तब किया जाता है जब संक्रामक महामारी फैली हो। इसमें संक्रमित व्यक्ति को अस्पताल में एकदम अलग रखा जाता है। इस वार्ड में जाने वाले चिकित्सक, नर्स तथा अन्य स्टाफ मास्क, विशेष गाउन, दस्तानें तथा कई अन्य उपकरण का प्रयोग करते हैं जिससे कि संक्रमण उन्हें न हो सके। इस क्षेत्र में अन्य लोगों का प्रवेश वर्जित होता है। कई अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड पहले से बने होते हैं तो कई में महामारी के दौरान अस्थाई रूप से इसे तैयार किया जाता है।
संक्रामक रोग या महामारी बड़ी ही तेजी से फैलती है। यह कुछ ही समय में हजारों, लाखों लोगों में फ़ैल सकती है। संक्रमण की प्रक्रिया चार तरह से होती है संक्रमित व्यक्ति को छूने से, संक्रमित व्यक्ति द्वारा प्रयुक्त वस्तुओं को स्पर्श करने से, संक्रमित व्यक्ति के आस पास वायु में सांस लेने से या फिर संक्रमण फ़ैलाने वाले कीटों या मच्छरों द्वारा काटे जाने से। यही कारण है इस तरह की बीमारियां बड़ी तेजी से फैलती है। अतः ऐसे में जरुरी हो जाता है कि संक्रमित व्यक्ति के उपचार के साथ साथ स्वस्थ व्यक्तियों और समुदाय की भी रक्षा की जाए। इसके लिए बेहतर यही होता है कि संक्रमित व्यक्ति को आइसोलेट किया जाय और उसे अलग थलग करके उसका उपचार किया जाए।
क्वॉरंटीन किये गए लोगों को अन्य लोगों के संपर्क में आने से रोका जाता है। इसके लिए उनको किसी ऐसी जगह सीमित किया जा सकता है जहाँ से वे समुदाय से दूर रहें। इसके साथ ही उनके आवागमन पर भी रोक लगा दी जाती है। Quarantine मनुष्यों के साथ साथ जानवरों का भी किया जाता है।
सबसे पहले सातवीं शताब्दी ईसापूर्व या इससे भी पहले लेविट्स की बाइबिल में क्वॉरंटीन की तरह बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए संक्रमित लोगों को अलग करने के लिए मोजेक कानून का उल्लेख मिलता है।
Quarantine की प्रक्रिया संक्रमण द्वारा फैलने वाली बीमारी को समुदाय स्तर पर न होने देने के लिए काफी कारगर उपाय साबित होती है। इसमें संदिग्धों को पहचानकर उन्हें तुरत अलग थलग कर दिया जाता है और फिर उनकी जांच की जाती है। ऐसे में उपचार करना और बीमारी पर नियंत्रण करना सरल हो जाता है।
उपसंहार
आइसोलेशन और क्वॉरंटीन दोनों ही पुरे समुदाय को संक्रमण और बीमारी से बचाने के लिए किये गए उपाय हैं। इनके द्वारा संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है और नियंत्रित तरीके से उसका उपचार किया जा सकता है। इन प्रक्रियों के द्वारा जहाँ चिकित्सा में सहूलियत होती है वहीँ मृत्यु दर को भी काफी नीचे लाया जा सकता है।
Quarantine क्या होता है
Quarantine क्वॉरंटीन एक तरह का प्रतिबन्ध होता है जो लोगों और वस्तुओं को संक्रमित व्यक्तियों से बचाने के लिए लगाया जाता है। Quarantine वास्तव में ऐसे लोगों के लिए होता है जो किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में कभी न कभी आये हों। ऐसे सभी व्यक्तियों को अन्य स्वस्थ लोगों से मिलने जुलने नहीं दिया जाता है। इन संदिग्ध व्यक्तियों को अलग अलग रखकर इनकी जांच की जाती है। ऐसा इस लिए किया जाता है ताकि अन्य स्वस्थ व्यक्तियों तक उस बीमारी का संक्रमण न फ़ैल सके।क्वॉरंटीन किये गए लोगों को अन्य लोगों के संपर्क में आने से रोका जाता है। इसके लिए उनको किसी ऐसी जगह सीमित किया जा सकता है जहाँ से वे समुदाय से दूर रहें। इसके साथ ही उनके आवागमन पर भी रोक लगा दी जाती है। Quarantine मनुष्यों के साथ साथ जानवरों का भी किया जाता है।
Quarantine का इतिहास और नामकरण
Quarantine शब्द वेनेटियन भाषा के क्वारन्टेंना से निकला हुआ है जिसे चौदहवीं पंद्रहवीं शताब्दी में फैली बीमारी ब्लैक डेथ की रोकथाम के लिए जहाजों को चालीस दिन के किनारों पर न आने देने के लिए प्रयोग में लाया जाता था। इस बीमारी की अवधि चालीस दिन मानी जाती है। यही क्वॉरंटीन ट्रेनटिनो में परिवर्तित हुआ जब 1377 में वेनेटियन शासकों द्वारा तीस दिनों के लिए रसुगा में संक्रमण से बचाने के लिए लगाया गया था।सबसे पहले सातवीं शताब्दी ईसापूर्व या इससे भी पहले लेविट्स की बाइबिल में क्वॉरंटीन की तरह बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए संक्रमित लोगों को अलग करने के लिए मोजेक कानून का उल्लेख मिलता है।
Quarantine की प्रक्रिया संक्रमण द्वारा फैलने वाली बीमारी को समुदाय स्तर पर न होने देने के लिए काफी कारगर उपाय साबित होती है। इसमें संदिग्धों को पहचानकर उन्हें तुरत अलग थलग कर दिया जाता है और फिर उनकी जांच की जाती है। ऐसे में उपचार करना और बीमारी पर नियंत्रण करना सरल हो जाता है।
आइसोलेशन और क्वॉरंटीन में क्या अंतर होता है
- आइसोलेशन संक्रमित व्यक्तियों को अन्य स्वस्थ व्यक्तियों से अलग थलग रखने की प्रक्रिया है जबकि क्वॉरंटीन में स्वस्थ परन्तु संदिग्ध व्यक्तियों को समाज के अन्य स्वस्थ व्यक्तियों से अलग रखने की प्रक्रिया है।
- आइसोलेशन में संक्रमित व्यक्ति को उपचार के लिए रखा जाता है जबकि क्वॉरंटीन में संदिग्ध व्यक्ति को रखकर उसकी जांच की जाती है।
- आइसोलेशन अस्पतालों में या अस्थाई शिविरों में जिन्हे चिकित्सा के लिए तैयार किया गया हो, में किया जा सकता है जबकि क्वॉरंटीन संदिग्ध व्यक्ति अपने घर में भी हो सकता है। इसके साथ ही कई जगह क्वॉरंटीन करने के लिए अलग से व्यवस्था की गयी होती है।
उपसंहार
आइसोलेशन और क्वॉरंटीन दोनों ही पुरे समुदाय को संक्रमण और बीमारी से बचाने के लिए किये गए उपाय हैं। इनके द्वारा संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है और नियंत्रित तरीके से उसका उपचार किया जा सकता है। इन प्रक्रियों के द्वारा जहाँ चिकित्सा में सहूलियत होती है वहीँ मृत्यु दर को भी काफी नीचे लाया जा सकता है।
0 टिप्पणियाँ