खोया और छेना में क्या अंतर होता है
भारत को मिठाईयों का देश कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। मिठाईयों में यहाँ के लोगों की जान बसती है। कोई भी ख़ुशी का मौका हो बिना मिठाई का वह अधूरा माना जाता है। यहाँ तक दुःख के अवसरों पर जैसे मृतक श्राद्ध आदि में मिठाइयों का चलन है। भारत में मिठाइयों का मूलाधार मुख्यतः दूध और दूध से प्राप्त उत्पाद होते हैं। इन दुग्ध उत्पादों में खोया और छेना की प्रमुखता होती है। वैसे तो खोया और छेना दोनों दूध से तैयार होते हैं किन्तु प्राप्ति के तरीके से लेकर उपयोग आदि में दोनों में काफी अंतर होता है
खोया : एक रोचक जानकारी
दूध से प्राप्त विभिन्न उत्पादों में एक खोया या मावा होता है। इसे आम बोलचाल की भाषा में खोवा भी कहा जाता है। खोया अत्यंत स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है। खोया एक डेयरी उत्पाद है। इसे मुख्य रूप से भारत, बांग्लादेश, नेपाल और पाकिस्तान समेत पुरे भारतीय उपमहाद्वीप में तैयार किया जाता है और विभिन्न व्यंजनों में इसका प्रयोग किया जाता है।
खोया कैसे तैयार किया जाता है
खोया मुख्यतः गाय या भैंस के दूध से तैयार किया जाता है। इसे तैयार करने के लिए बड़े बड़े लोहे के छिछले कराहे में दूध को माध्यम आंच पर (80 डिग्री सेल्सियस ) उबाला जाता है। यह प्रक्रिया घंटों तक चलती है। जब इसमें का सारा पानी वाष्पित हो जाता है तो अवशेष के रूप में बचा हुआ ठोस खोया के रूप में प्राप्त होता है। यह प्राप्त खोया एक लीटर शुद्ध दूध का पांचवा हिस्सा होता है। हालाँकि यह दूध की प्राप्ति के स्रोत पशु पर भी निर्भर करता है। यह सफ़ेद या हल्का पीला होता है जिसकी अपनी मिठास होती है।दूध से खोया तैयार करने के क्रम का वर्णन केलड़ी बसववराजा ने अपनी पुस्तक शिवातलतवरतनकारा 1700 में इस प्रकार किया है जब दूध की मात्रा आधी रह जाए तो पनपाका, एक तिहाई हो जाय तो लेह्यापका, छठा भाग तो घुटीपाका और आखरी आठवां भाग शकरपाका। यही शकरपाका शुद्ध खोया होता है जो मिठाइयों के लिए सर्वथा उपयुक्त होता है।
भारत में सालाना करीब 600,000 मीट्रिक टन खोये का उत्पादन होता है। खोये में उपस्थित मॉइस्चर की मात्रा के आधार पर खोये की कई किस्मे होती हैं
चिकना खोया : इस तरह के खोये में करीब 50 प्रतिशत तक नमी होती है। यह नाम के अनुसार काफी चिकना होता है।
दानेदार खोया : खोया तैयार करते समय इसमें एक तरह का एसिड इस्तेमाल किया जाता है जिससे यह एकदम दानेदार हो जाता है। इसमें नमी की मात्रा कम होती है।
पिंडी खोया : यह सूखा खोया होता है जिसका प्रयोग बर्फी या पेड़ा बनाने में होता है।
धाप खोया : यह हलकी नमी वाला खोया होता है इसका प्रयोग गुलाब जामुन और पान्तुआ बनाने में होता है।
खोया कितने प्रकार का होता है
बाटी खोया : बाटी खोया सबसे सख्त खोया होता है। इसमें मॉइस्चर की मात्रा 20 प्रतिशत के आसपास होती है। इसे काफी दिनों तक रखने पर भी ख़राब नहीं होता है।चिकना खोया : इस तरह के खोये में करीब 50 प्रतिशत तक नमी होती है। यह नाम के अनुसार काफी चिकना होता है।
दानेदार खोया : खोया तैयार करते समय इसमें एक तरह का एसिड इस्तेमाल किया जाता है जिससे यह एकदम दानेदार हो जाता है। इसमें नमी की मात्रा कम होती है।
पिंडी खोया : यह सूखा खोया होता है जिसका प्रयोग बर्फी या पेड़ा बनाने में होता है।
धाप खोया : यह हलकी नमी वाला खोया होता है इसका प्रयोग गुलाब जामुन और पान्तुआ बनाने में होता है।
खोया के विभिन्न नाम
खोया भारत में कई नामों से जाना जाता है मसलन खोया, खोवा, कोवा, मउआ, खुवा, खावा, मावा, कुरौनी आदि। यह अत्यंत स्वादिष्ट होता है। यह कई भारतीय मिठाइयों का मुख्य इंग्रेडिएंट है। इससे गुलाब जामुन, कलाकंद, बर्फी, पेड़े आदि कई स्वादिष्ट मिठाइयां बनायी जाती हैं।
छेना : रोशोगुल्ला और पनीर का मुख्य इंग्रेडिएंट
छेना एक अत्यंत ही लोकप्रिय दुग्ध उत्पाद है जो भारतीय उपमहाद्वीप में मिठाइयां और पनीर बनाने में खूब प्रयोग किया जाता है। छेना सफ़ेद और स्पंजी होता है। छेना गाय या भैंस के दूध को फाड़कर बनाया जाता है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट और कैल्शियम की प्रचुर मात्रा पायी जाती है। इसका प्रयोग प्रायः ताज़ा ही किया जाता है।छेना कैसे तैयार किया जाता है
छेना का मुख्य स्रोत गाय और भैंस का दूध होता है। इसको तैयार करने के लिए दूध को उबाल कर उसमे निम्बू का रस या सिरका मिलाया जाता है। कभी कभी दूध को फाड़ने के लिए उसमे छेने का पानी भी मिलाया जाता है। फिर आंच तेज करके उसे चूल्हे से उतार लिया जाता है। ऐसा करने पर दूध का ठोस उत्पाद दूध से एकदम अलग हो जाता है और शेष हल्का हरा पानी अलग दिखने लगता है। इस ठोस उत्पाद को छान कर अलग कर लिया जाता है। यही ठोस भाग छेना कहलाता है। यह छेना एकदम सफ़ेद और मुलायम होता है। इसी से रसगुल्ला और कई अन्य मिठाइयाँ और पनीर तैयार होता है। पनीर बनाने के लिए इसी छेने को अत्यधिक दबाव देकर इसका सारा पानी निकाल लिया जाता है।छेने से तैयार होने वाले उत्पाद
छेना बंगाली मिठाईयों का मुख्य इंग्रेडिएंट है। सफ़ेद रसगुल्ले, रसमलाई, राजभोग, सन्देश, चमचम आदि कई तरह की मिठाईयां इससे तैयार की जाती है। छेना पनीर बनाने के भी काम आता है जिससे कई तरह की डिश बनती है। पनीर को ऐसे भी पीसी हुई गोलमिर्च और नमक के साथ लोग खाते हैं। छेना का एक और उपयोग छेनापोड़ा जो उड़ीसा की एक लोकप्रिय मिठाई है बनाने में होता है।छेने के अन्य नाम
छेना को छाना या साना भी कहा जाता है। कई जगहों पर इसे छना कहा जाता है। शायद इसे बनाने के क्रम में छान कर निकाले जाने की वजह से ही इसे छना या छेना कहा जाता है।खोया और छेना में क्या अंतर होता है
- खोया बनाने के लिए दूध को खूब उबाला जाता है और आखिर में बचा हुआ अवशेष खोया उत्पाद होता है वहीँ छेना बनाने के लिए खौलते हुए दूध में एसिड का प्रयोग करके उसे फाड़ा जाता है और अवक्षेप को छानकर अलग कर लिया जाता है जो छेना होता है।
- खोया सफ़ेद या हल्का पीला होता है जबकि छेना एकदम सफ़ेद, चिकना और खूब मुलायम होता है।
- चूँकि खोया में नमी की मात्रा बहुत कम होती है अतः यह काफी दिन तक ख़राब नहीं होता है किन्तु छेना ज्यादा टिकाऊ नहीं होता है।
- खोया से गुलाबजामुन, बर्फी, पेड़ा, कलाकंद जैसी मिठाईयां बनती हैं जबकि छेना से रसगुल्ला, रसमलाई, सन्देश आदि मिठाईयां तैयार की जाती है।
- खोया मीठे डिश के अतिरिक्त अन्य कोई प्रयोग प्रायः नहीं होता है जबकि छेना मिठाइयों के अतिरिक्त पनीर बनाने के काम आता है जिससे कई अन्य डिश मसलन मटर पनीर, पालक पनीर आदि बनाये जाते हैं।
- खोया और छेना में उपस्थित पोषक तत्वों में भी कई अंतर होता है
Nutritional Value of Khoya and Chhena
1 Cup
|
खोया
|
छेना
|
Energy
|
416 Calories
|
214 Calories
|
Protein
|
22%
|
24%
|
Carbohydrate
|
10%
|
2%
|
Fat
|
37%
|
14%
|
Cholesterol
|
28%
|
12%
|
Vitamin A
|
17%
|
6%
|
Vitamin C
|
10%
|
0%
|
Calcium
|
71%
|
13.80%
|
Iron
|
2%
|
0.80%
|
Phosphorus
|
29%
|
0%
|
Sodium
|
12%
|
33%
|
Potassium
|
0%
|
6%
|
उपसंहार
खोया और छेना दोनों ही मिठाईयों के लिए अनिवार्य घटक हैं। भले ही दोनों दुग्ध उत्पाद हैं किन्तु खोया और छेना प्राप्त करने की प्रक्रिया एकदम अलग अलग है और साथ ही दोनों से बनने वाली मिठाईयां भी अलग अलग हैं। नमी के मामले में भी दोनों में काफी अंतर होता है। इसी वजह से खोया को स्टोर किया जा सकता है किन्तु छेना को नहीं।
Ref :
https://www.nutritionix.com/food/khoya
https://www.nutritionix.com/food/cottage-cheese
1 टिप्पणियाँ
Thank you.. very informative. Keep up the good work.
जवाब देंहटाएं