Visit blogadda.com to discover Indian blogs कॉपीराइट और पेटेंट में क्या अंतर है : हिंदी में जानकारी

कॉपीराइट और पेटेंट में क्या अंतर है : हिंदी में जानकारी

    कॉपीराइट और पेटेंट में क्या अंतर है 


    कॉपीराइट और पेटेंट बौद्धिक सम्पदा की सुरक्षा और इस्तेमाल के अधिकार सम्बन्धी कानून हैं जो लेखकों, संगीतकारों, फिल्मकारों और आविष्कारकों के हितों की न केवल रक्षा करता है  बल्कि उनके  नाम, सम्मान और आर्थिक लाभ को सुनिश्चित भी करता है। वास्तव में दोनों कॉपीराइट और पेटेंट एक अधिकार है जो आविष्कारक या रचयिता को उस के द्वारा उसके द्वारा रचित या अविष्कृत वस्तु की नकल से उसकी सुरक्षा प्रदान करता है।  कॉपीराइट जहाँ लेखकों, संगीतकारों, गीतकारों, फिल्मकारों की रचनाओं की नक़ल होने से और बिना अनुमति उसके व्यावसायिक यूज़ पर अंकुश लगाता है वहीँ पेटेंट के द्वारा आविष्कारक या निर्माता अपने उत्पाद पर एकाधिकार प्राप्त करते हैं। कॉपीराइट और पेटेंट वैसे तो दोनों ही बौद्धिक सम्पदा की सुरक्षा के लिए बने कानून हैं फिर भी दोनों दो अलग अलग चीज़े हैं। जहाँ कॉपीराइट लेखकीय रचना, संगीत, फिल्म आदि से सम्बंधित है वहीँ पेटेंट नए आविष्कार और निर्माण से सम्बंधित कानून है। आइए आज के इस पोस्ट में हम देखते हैं कॉपीराइट क्या है पेटेंट क्या है और कॉपीराइट पेटेंट में क्या अंतर है

    कॉपीराइट और पेटेंट में क्या अंतर है : हिंदी में जानकारी


    कॉपीराइट क्या होता है 


    कॉपीराइट जिसे आसान शब्दों में कहा जाय तो कॉपी यानि नक़ल करने का अधिकार है जो किसी बौद्धिक सम्पदा जैसे किसी लेखक या कवि या गीतकार की रचना, संगीत, चित्र, फिल्म, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर आदि के व्यावसायिक इस्तेमाल पर रचनाकार या रचनाकार जिसके लिए वह रचना कर रहा है, के स्वामित्व के अधिकार को सुनिश्चित करता है। अतः इस तरह की किसी भी सामग्री का व्यावसायिक प्रयोग बिना इसके रचयिता या अधिकृत व्यक्ति या संस्था की अनुमति के गैरकानूनी होता है। इसप्रकार कॉपीराइट रचनाकार या उस रचना के स्वामी को एक निश्चित अवधि के लिए उस रचना के प्रकाशन, वितरण और व्यावसायिक इस्तेमाल का अधिकार प्रदान करता है। 

    कॉपीराइट और पेटेंट में क्या अंतर है : हिंदी में जानकारी



    कॉपीराइट का इतिहास 


    कॉपीराइट की अवधारणा यूरोप में प्रिंटिंग प्रेस की शुरुवात से मानी जाती है। प्रिंटिंग प्रेस के आ जाने से कोई भी व्यक्ति किसी भी रचनात्मक कार्य को बड़ी ही आसानी से कम पैसों में छाप कर उसका व्यावसायिक लाभ लेने लगा । व्यावसायिक प्रतिद्वंदियों द्वारा बड़ी ही आसानी से किसी रचना की रीप्रिंट करके उसका लाभ लिया जाने लगा। प्रेस की इस स्वच्छंदता पर अंकुश लगाने के लिए ब्रिटिश पार्लियामेंट ने लाइसेंसिंग ऑफ़ द प्रेस एक्ट 1662 को पास किया जो प्रिंटिंग को रेगुलेट करने और क्या प्रिंट हो रहा है उस पर जवाबदेही तय करने से सम्बंधित एक्ट था। कॉपी राइट की शुरुवात इसी एक्ट से मानी जा सकती है हालाँकि इसमें लेखकों के अधिकार की कोई चर्चा नहीं की गयी थी। कॉपीराइट एक्ट 1814 में सबसे पहले लेखकों के लिए कई अधिकार सुरक्षित किये गए। 1886 में द बर्नी इंटरनेशनल कॉपीराइट कन्वेंशन में लेखकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कई समझौते किये गए।  भारत में बौद्धिक सम्पदा की सुरक्षा के सम्बन्ध में कॉपीराइट एक्ट 1957 पारित किया गया जो लेखकों, चित्रकारों, संगीतकारों और फिल्मकारों के कॉपीराइट अधिकारों को सुनिश्चित करता है। 

    कॉपीराइट एक्ट 1957 


    कॉपीराइट एक्ट एक कानून है जो किसी रचना चाहे वह साहित्यिक हो या फिर संगीत हो कंप्यूटर सॉफ्टवेयर हो चित्र हो आप कोई फिल्म हो उसके निर्माण करता उसका अधिकारी घोषित करता है यह कानून किसी अन्य व्यक्ति को व्यवसायिक दृष्टि से उस बौद्धिक संपदा का उपयोग करने से रोकता है यदि कोई उस बौद्धिक  संपदा का व्यवसायिक उपयोग करना चाहता है तो उसके बदले में उसके रचना करता को कुछ शुल्क देना पड़ता है और उससे उस उसे प्रयोग करने की स्वीकृति लेनी पड़ती है दुनिया के अलग-अलग देशों में अपने-अपने कॉपीराइट कानून है।  भारत में कॉपीराइट कानून 1957 में पारित  हुआ था जिसे 21 जनवरी 1958 से लागू किया गया था। इसके पहले भारत में कॉपीराइट से सम्बंधित विवादों को इंडियन कॉपीराइट एक्ट 1914 के तहत सुलझाया जाता था। कॉपीराइट एक्ट 1957 में भी समय समय पर कई संशोधन किये गए हैं। 

    कॉपीराइट एक्ट 1957 रचनाकारों को उनकी कृति के सम्बन्ध में कई अधिकार प्रदान करता है।  कॉपीराइट कानून के तहत प्रदान किए गए अधिकारों में किसी रचना  के पुनरुत्पादन के अधिकार, जनता में उस रचना का प्रसारण , कार्य का अनुकूलन और अनुवाद का अधिकार शामिल हैं।कॉपीराइट मुख्य रूप से साहित्यिक रचना, नाटक, संगीत और कला सम्बन्धी कार्य, फिल्म तथा साउंड रिकॉर्डिंग के क्षेत्र में लागू होता है। कॉपीराइट कानून के तहत प्रदान की गई सुरक्षा की गुंजाइश और अवधि संरक्षित कार्य की प्रकृति के साथ भिन्न होती है।

    कॉपीराइट कितने सालों के लिए होता है 


    एक बात ध्यान देने योग्य है। किसी भी रचना पर उसके रचनाकार का अधिकार हमेशा के लिए नहीं होता। कॉपीराइट एक्ट 1957 के अनुसार किसी लेखक या रचयिता के जीवन भर तथा उसकी मृत्यु के बाद 60 वर्षो तक उसपर उसका या उसके उत्तराधिकारी का  कॉपीराइट रहता है। 

    कई बार रचनाकार स्वयं के लिए नहीं अपितु अपने नियोक्ता या कंपनी के लिए रचना करता है। ऐसी स्थिति में उस रचना पर उस नियोक्ता या कंपनी का कॉपीराइट होता है। 

    कॉपीराइट और पेटेंट में क्या अंतर है : हिंदी में जानकारी



    कॉपीराइट किन स्थितयियों में नहीं लगता है 


    कॉपीराइट एक्ट कुछ क्षेत्रों में उस रचना के इस्तेमाल में छूट प्रदान करता है। किसी रचना या बौद्धिक सम्पदा का प्रयोग यदि निजी और अव्यावसायिक क्षेत्रों में खासकर रिसर्च और शिक्षा के क्षेत्र में किया जाय, रिव्यु, समालोचना के लिए प्रयोग, न्यूज़ या करंट अफेयर्स के लिए प्रयोग करना कॉपीराइट के दायरे में नहीं आता। 


    कॉपीराइट उल्लंघन में सजा 


    कॉपीराइट का उल्लंघन होना पाए जाने पर सजा और दंड का प्रावधान है। दोषी व्यक्ति को तीन वर्ष तक का कारावास और दो लाख रुपये तक का आर्थिक दंड दिया जा सकता है। इसके साथ ही उस सामग्री के प्रकाशन और प्रसारण पर रोक लगाई जा सकती है।  


    पेटेंट किसे कहते हैं 


    कॉपीराइट की तरह ही पेटेंट एक अधिकार है जो किसी अविष्कार, तकनीक, प्रक्रिया, उत्पाद,डिजाइन या बिलकुल ही नई सेवा के लिए किसी व्यक्ति या संस्था को प्रदान किया जाता है। वास्तव में पेटेंट के द्वारा किसी व्यक्ति या संस्था को उसके द्वारा बनाये गए अपनी तरह के बिलकुल नए उत्पाद या प्रक्रिया  पर एकाधिकार स्थापित किया जाता है। इसका परिणाम यह होता है कि उस नए उत्पाद के उत्पादन का लाभ पेटेंट की अवधि तक केवल उसके आविष्कारक को मिलता है और उस वस्तु  की नक़ल नहीं हो पाती। यदि अन्य कोई उस उत्पाद को बनाना चाहे तो उसे पेटेंट धारक या अधिकृत संस्था से अनुमति लेनी होगी और उसे पेटेंट के बदले रॉयल्टी देनी होगी। 


    कॉपीराइट और पेटेंट में क्या अंतर है : हिंदी में जानकारी





    पेटेंट का इतिहास 


    पेटेंट का इतिहास बहुत पुराना है। वास्तव में पेटेंट लैटिन शब्द Luterae Patents से लिया गया है जिसका अर्थ खुला पत्र होता है। उस जमाने में शासकों द्वारा किसी व्यक्ति को पदवी, विशेषाधिकार या हक सौपते समय शासकीय आदेश दस्तावेज के रूप में सार्वजनिक रूप से दिया जाता था। चूँकि ये आदेश सार्वजनिक होते थे अतः ये खुले पत्र के रूप में रहते थे और इन्हे पेटेंट कहा जाता था। उन दिनों विदेशी भूमि खोजने तथा विजय प्राप्त करने वालों के लिए सरकारों के द्वारा इस तरह के शासनादेश जारी किये जाते थे। नए आविष्कारों के लिए पेटेंट का कानून सबसे पहले 14 मार्च 1474 में वियना सीनेट में पारित किया गया। 

    धीरे  धीरे यूरोप के अन्य देशों में भी इस तरह के कानून बनाये गए। ब्रिटेन में 1623 में एक नया कानून बनाया गया जिसमे पेटेंट की अवधि 14 वर्षों तक रखी गयी। भारत में पेटेंट कानून 1859 में अधिनियम 15 से शुरू हुआ।  बाद में Inventions and Design Act 1888 ने इस कानून की जगह ली। हालाँकि सबसे पहले 1856 में इस तरह का एक कानून पास हुआ था किन्तु बाद में इंग्लैंड की महारानी की अनुमति न मिलने से इसे खारिज कर दिया गया। बाद में एक अन्य कानून आया जिसे Indian Patents and Design Act 1911 कहा गया। आजादी के पश्चात् Patent Act 1970 को पारित किया गया। हालाँकि इसमें भी कई बार संशोधन किये गए हैं। 

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    पेटेंट की प्रक्रिया 


    हर देश का अपना पेटेंट कानून होता है। भारत में किसी उत्पाद या प्रोसेस को पेटेंट कराने के लिए मुंबई, कोलकाता, दिल्ली और चेन्नई स्थित अपने क्षेत्र के पेटेंट ऑफिस में आवेदन करना होता है। आवेदक को अपने आविष्कार या उत्पाद की पूरी जानकारी, निर्माण सामग्री, प्रक्रिया आदि की जानकारी पुरे विस्तार से देनी होती है। पेटेंट ऑफिस अपने जर्नल में उत्पाद और उसकी पूरी जानकारी आदि को प्रकाशित करता है। प्रकाशन की तिथि से एक निश्चित अवधि के भीतर लोगों से ऑब्जेक्शन की मांग की जाती है। समय सीमा के भीतर कोई ऑब्जेक्शन न आने पर या आये हुए ऑब्जेक्शन के वैध न होने पर उस उत्पाद पर उस व्यक्ति को पेटेंट  मिल जाता है। भारत में किसी उत्पाद पर उसके आविष्कारक का 20 वर्षों के लिए पेटेंट का अधिकार होता है। 


    कॉपीराइट और पेटेंट में क्या अंतर है 


    • कॉपीराइट किसी लेखक की रचना, नाटक, फोटोग्राफ, फिल्म, संगीत आदि के लिए रचनाकार या स्वामी को दिया जाने वाला अधिकार है जबकि पेटेंट किसी आविष्कार, नए उत्पाद या प्रक्रिया के लिए आविष्कारक या स्वामी को दिया जाने वाला अधिकार है। 

    • कॉपीराइट मौलिक रचना, क्रिएटिव वर्क या प्रस्तुतीकरण पर मिलता है। पेटेंट नए आविष्कार या उत्पाद पर मिलता है। 

    • कॉपीराइट के द्वारा रचयिता या स्वामी  उस रचना के पुनः प्रसारण, प्रकाशन या किसी भी व्यावसायिक प्रयोग पर नियंत्रण रखता है। रचयिता की अनुमति के बिना उन सामग्रियों का व्यावसायिक प्रयोग दंडनीय अपराध माना जाता है। पेटेंट का अधिकार आविष्कारक को उस अविष्कार के व्यावसायिक प्रयोग की अनुमति प्रदान करता है। साथ ही किसी भी अन्य व्यक्ति को उस अविष्कार को बनाने या व्यवसायीकरण करने रोकता है। 

    • कॉपीराइट का अधिकार रचयिता के जीवन पर्यन्त और उसकी मृत्यु के 60 वर्ष के उपरांत तक होता है वहीँ पेटेंट की अवधि पेटेंट रजिस्ट्रशन की तिथि से 20 वर्षों के लिए होता है। 

    उपसंहार 


    कॉपीराइट और पेटेंट क्रिएटिविटी से जुड़े हुए क़ानूनी अधिकार हैं जो उसके स्वामी को उसके क्रिएटिव वर्क या आविष्कार के व्यावसायिक प्रयोग पर नियंत्रण प्रदान करता है। कॉपीराइट और पेटेंट दोनों ही बौद्धिक सम्पदा सम्बन्धी अधिकार हैं जिसके द्वारा रचयिता या आविष्कारक को उसकी रचना या आविष्कार पर एक निश्चित अवधि के लिए एकाधिकार हो जाता है जिससे कि वे अपने परिश्रम का लाभ ले सकें।  

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