कर्क रेखा और मकर रेखा क्या है: कर्क रेखा और मकर रेखा में क्या अंतर है
पृथ्वी पर पांच प्रमुख अक्षांश रेखाएं हैं जो पृथ्वी पर पश्चिम से पूर्व की ओर गुजरती है। इन रेखाओं के नाम क्रमशः विषुवत या भूमध्य रेखा, कर्क रेखा, मकर रेखा, उत्तरी आर्कटिक रेखा और दक्षिणी अंटार्टिक रेखा हैं। ये सभी काल्पनिक रेखाएं हैं। विषुवत रेखा जिसे भूमध्य रेखा या इक्वेटर भी कहा जाता है, पृथ्वी के ठीक बीचो बीच से गुजरती है यह रेखा पृथ्वी के 0° अक्षांश पर स्थित है। यह सबसे बड़ी अक्षांश रेखा है। विषुवत रेखा के ठीक उत्तर में 23 1/2° अक्षांश पर कर्क रेखा स्थित है और विषुवत रेखा के दक्षिण में 23 1/2° अक्षांश पर मकर रेखा स्थित है। इसी तरह उत्तर में 66 1/2° अक्षांश पर उत्तरी आर्कटिक रेखा या वृत्त तथा दक्षिण में 66 1/2° पर स्थित रेखा को दक्षिणी अंटार्कटिक रेखा या वृत्त कहते हैं।
कर्क रेखा और मकर रेखा |
कर्क रेखा किसे कहते हैं
कर्क रेखा पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में विषुवत रेखा के सामानांतर 23°26'22"N 0°0'0"W उत्तर में पश्चिम से पूर्व की ओर खींची गयी एक अक्षांश रेखा है। यह एक काल्पनिक रेखा है और यह पृथ्वी की पांच प्रमुख अक्षांश रेखाओं में से एक है जो पृथ्वी के मानचित्र पर दर्शायी जाती है। इसे Tropic of Cancer भी कहते हैं।
कर्क रेखा पृथ्वी की सबसे उत्तरी अक्षांश रेखा है जिसपर सूर्य दोपहर के समय लम्बवत चमकता है। सूर्य का इस तरह से लंबवत चमकने की घटना जून क्रांति (June Solstice) के समय होती है जब पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध सूर्य के समकक्ष अत्यधिक झुक जाता है। 21 जून को सूर्य इस रेखा के ठीक ऊपर होता है। उत्तरी गोलार्ध में यह वर्ष का सबसे लम्बा दिन होता है और रात सबसे छोटी होती है। सूर्य के लंबवत चमकने की वजह है इस दिन सबसे ज्यादा गर्मी पड़ती है। लंबवत किरणे पड़ने की वजह से कर्क रेखा पर स्थित क्षेत्रों में परछाई या तो नहीं बनती है या एकदम नीचे छिप जाती है। इसी वजह से इन क्षेत्रों को नो शैडो जोन कहा जाता है।
कर्क रेखा को कर्क रेखा कहे जाने का कारण यह है कि जून क्रांति के समय सूर्य की स्थिति कर्क राशि में होती है। जब सूर्य की स्थिति
मकर रेखा से कर्क रेखा की ओर बढ़ती है तो उत्तरायण होता है और इसी प्रकार कर्क रेखा से मकर रेखा की ओर बढ़ने पर दक्षिणायन कहलाता है। इस तरह सूर्य छह उत्तरायण और छह महीने दक्षिणायन रहता है।
कर्क रेखा |
कर्क रेखा से सम्बन्धी कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
- कर्क रेखा की स्थिति स्थायी नहीं है। यह समय के साथ साथ बदलती रहती है।
- कर्क रेखा भारत के 8 राज्यों से होकर गुजरती है। ये राज्य हैं गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल,त्रिपुरा और मिजोरम।
- कर्क रेखा मध्य प्रदेश के उज्जैन से गुजरती है। यही कारण है जयपुर के राजा जय सिंह द्वितीय जो खुद भी एक खगोलशास्त्री थे यहाँ एक वेधशाला बनवाई थी जिसे जंतर मंतर कहते हैं।
- कर्क रेखा विश्व के कई देशों से होकर गुजरती है। इन देशों के नाम हैं संयुक्त राज्य अमेरिका, मैक्सिको, बहमास, पश्चिमी सहारा ( मोरक्को), मुरितानिया, माली, अल्जीरिया, नाइजर, लीबिया, चाड, मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, भारत, बांग्लादेश,म्यांमार, चीन, ताइवान।
- भारत में माही एकमात्र नदी है जो कर्क रेखा को दो बार काटती है। पहला जब यह मध्य प्रदेश से राजस्थान की ओर बहती है तथा दूसरी बार जब वह गुजरात में प्रवेश करती है।
मकर रेखा किसे कहते हैं
मकर रेखा जिसे Tropic of Capricorn के नाम से भी जाना जाता है पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध में विषुवत रेखा के सामानांतर खींची गयी एक अक्षांश रेखा है। मकर रेखा पृथ्वी के मानचित्र पर परिलक्षित होने वाली पांच प्रमुख अक्षांश रेखाओं में से एक है।
मकर रेखा की स्थिति
मकर रेखा भूमध्य रेखा के दक्षिण में 23°26'22"S पर स्थित है। यह पृथ्वी की दक्षिणतम अक्षांश रेखा है जिसपर सूर्य दोपहर के समय लम्बवत चमकता है। यह घटना पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध का सूर्य के समकक्ष अत्यधिक झुकने की वजह से होता है। इसे दिसंबर संक्रांति कहा जाता है। 22 दिसंबर के दिन सूर्य इस क्षेत्र में एकदम लंबवत चमकता है। मकर रेखा पृथ्वी पर पश्चिम से पूर्व की ओर खींची गयी एक काल्पनिक रेखा है। इसकी स्थिति पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध में है। मकर रेखा की स्थिति भी बदल रही है और यह धीरे धीरे उत्तर की तरफ खिसक रही है। इसकी परिवर्तन की गति लगभग 15 मीटर प्रति वर्ष है। मकर रेखा के उत्तर में कर्क रेखा तक का क्षेत्र उष्ण कटिबंध कहलाता है इसी तरह इसके दक्षिण में शीतोष्ण कटिबंध का क्षेत्र आता है।
मकर रेखा का नामकरण
आकाश की बारह राशियों में से एक मकर राशि है। दिसंबर संक्रांति के समय सूर्य की स्थित इसी मकर राशि में होती है। इसी वजह से इसे मकर रेखा के नाम से जाना जाता है।
मकर रेखा |
मकर रेखा सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
- मकर रेखा पृथ्वी की दक्षिणतम अक्षांश रेखा है जिस पर सूर्य एकदम सीधा लम्बवत पड़ता है। यह घटना दिसंबर संक्रांति के समय होती है।
- मकर रेखा पृथ्वी के उष्ण कटिवन्ध क्षेत्र की दक्षिणी सीमा बनाती है। इस रेखा के दक्षिण शीतोष्ण जलवायु का क्षेत्र शुरू होता है।
- मकर रेखा अधिकांशतः महासागरों से गुजरती है।
- मकर रेखा विश्व के इन देशों से होकर गुजरती है अर्जेंटीना, बोत्सवाना, चिली, ब्राज़ील, पैराग्वे, दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, मोजाम्बिक, फ्रेंच पोलिनेसिया, टोंगा, ऑस्ट्रेलिया और मेडागास्कर।
- मकर रेखा की लम्बाई 36,788 किलोमीटर है।
मकर रेखा |
कर्क रेखा और मकर रेखा में क्या अंतर है
- कर्क रेखा पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में स्थित एक कल्पित रेखा है जबकि मकर रेखा पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित एक काल्पनिक रेखा है।
- कर्क रेखा सबसे उत्तरी अक्षांश रेखा है जिसपर सूर्य लम्बवत चमकता है वहीँ मकर रेखा दक्षिणतम अक्षांश रेखा है जिसपर सूर्य लंबवत चमकता है।
- कर्क रेखा पर सूर्य के लंबवत चमकने की घटना जून संक्रांति के दौरान होती है जबकि मकर रेखा पर इसतरह की घटना दिसंबर संक्रांति के दौरान होती है।
- कर्क रेखा के दक्षिण में उष्ण कटिवन्ध और उत्तर में शीतोष्ण क्षेत्र पड़ता है जबकि मकर रेखा के उत्तर में उष्ण कटिवन्ध और दक्षिण में शीतोष्ण क्षेत्र पड़ता है।
- कर्क रेखा भारत के लगभग बीच से गुजरती है वहीँ मकर रेखा भारत से होकर नहीं गुजरती है।
- कर्क रेखा की अपेक्षा मकर रेखा का ज्यादा भाग महासागरों से होकर गुजरता है।
उपसंहार
कर्क रेखा और मकर रेखा दोनों ही विषुवत रेखा के सामानांतर पश्चिम से पूरब की ओर खींची गयी काल्पनिक रेखाएं हैं। दोनों की स्थिति भूमध्य रेखा से एकसमान किन्तु विपरीत दिशाओं में है। कर्क रेखा जहाँ भूमध्य रेखा के उत्तर में 23 1/2° अक्षांश पर स्थित है वहीँ मकर रेखा इसके दक्षिण 23 1/2° अक्षांश पर स्थित है। कर्क रेखा और मकर रेखा पर सूर्य की स्थिति लंबवत होती है परन्तु कर्क रेखा पर जून संक्रांति के समय और मकर रेखा पर यही स्थिति दिसंबर में होती है।
कर्क रेखा और मकर रेखा दोनों ही विषुवत रेखा के सामानांतर पश्चिम से पूरब की ओर खींची गयी काल्पनिक रेखाएं हैं। दोनों की स्थिति भूमध्य रेखा से एकसमान किन्तु विपरीत दिशाओं में है। कर्क रेखा जहाँ भूमध्य रेखा के उत्तर में 23 1/2° अक्षांश पर स्थित है वहीँ मकर रेखा इसके दक्षिण 23 1/2° अक्षांश पर स्थित है। कर्क रेखा और मकर रेखा पर सूर्य की स्थिति लंबवत होती है परन्तु कर्क रेखा पर जून संक्रांति के समय और मकर रेखा पर यही स्थिति दिसंबर में होती है।
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