Visit blogadda.com to discover Indian blogs अक्षांश और देशान्तर रेखाओं में क्या अंतर है

अक्षांश और देशान्तर रेखाओं में क्या अंतर है

अक्षांश और देशान्तर रेखाओं में क्या अंतर है



पृथ्वी का मानचित्र या ग्लोब देखने पर हमें रेखाओं का एक जाल नज़र आता है। इन रेखाओं में कुछ क्षैतिज तथा एक दूसरे के सामानांतर रेखाएं दीखती हैं तो कुछ ऊर्ध्वाधर खड़ी रेखाएं। अकसर मन में सवाल उठता है इन रेखाओं का क्या मतलब है और इनसे लाभ क्या है ? तो आइये जानते हैं इन रेखाओं के बारे में विस्तार से।

पृथ्वी के मानचित्र पर खींची गयी इन रेखाओं को अक्षांश और देशांतर रेखा कहते हैं। इनमे से पूर्व पश्चिम की ओर खींची गयी रेखाओं को अक्षांश रेखा या वृत्त तथा उत्तर से दक्षिण की ओर खींची गयी रेखाओं को देशान्तर रेखा कहते हैं। पृथ्वी पर किसी स्थान की भौगोलिक स्थिति का निर्धारण उस स्थान के अक्षांश और देशान्तर रेखाओं के द्वारा किया जाता है। इसमें अक्षांश उस स्थान के उत्तर दक्षिण की स्थिति और देशान्तर उस स्थान के पूरब तथा पश्चिम की स्थिति को दर्शाता है। चलिए देखते हैं अक्षांश रेखा किसे कहते हैं और देशान्तर रेखा क्या है ? साथ ही अक्षांश और देशान्तर रेखाओं में क्या अंतर है ?


अक्षांश और देशांतर रेखाएं 



अक्षांश रेखा क्या है




अक्षांश, भूमध्य रेखा से किसी स्थान की उत्तर अथवा दक्षिण ध्रुव की तरफ की कोणीय दूरी की माप को कहते हैं। भूमध्य रेखा के समानांतर दोनों तरफ उत्तर एवं दक्षिण में पश्चिम से पूरब की ओर 90 -90 काल्पनिक रेखाएं खींची गयी हैं। इन रेखाओं को अक्षांश रेखा या वृत्त कहते हैं। वास्तव में ये रेखाएं न होकर काल्पनिक वृत्त हैं जिनका आकार ध्रुवों की ओर जाने पर घटता है।



भूमध्य रेखा 0 डिग्री अक्षांश पर स्थित है और ध्रुवों पर 90 डिग्री अक्षांश होता है। इस प्रकार भूमध्य रेखा से ध्रुवों की तरफ अक्षांश का मान बढ़ता है जबकि अक्षांश वृत्त का आकार छोटा होता जाता है। यह ध्रुव पर जाकर एक बिंदु मात्र रह जाता है। अक्षांश रेखाएं एक एक डिग्री के अंतराल पर खींची गयी हैं। इस प्रकार विषुवत रेखा को मिलकर कुल 181 अक्षांश रेखा होती हैं। 


अक्षांश वृत्त 



पृथ्वी की स्थिति के अनुसार कुछ अक्षांश रेखाओं का स्थान काफी महत्वपूर्ण होता है। इनमे 0 डिग्री पर स्थित सबसे बड़ी अक्षांश रेखा भूमध्य या विषुवत रेखा है यह पृथ्वी के ठीक बीचो बीच है और पृथ्वी को दो गोलार्धों में उत्तरी गोलार्ध और दक्षिणी गोलार्ध में बांटती है। भूमध्य रेखा के उत्तर में 23 1/2 डिग्री अक्षांश पर कर्क रेखा तथा दक्षिण में 23 1/2 डिग्री पर मकर रेखा स्थित है। उत्तर में 66 1/2 डिग्री पर आर्कटिक तथा दक्षिण में 66 1/2 डिग्री पर अंटार्कटिक अक्षांश वृत्त स्थित है। 90 उत्तर उत्तरी ध्रुव तथा 90 डिग्री दक्षिण में दक्षिण ध्रुव स्थित है। पृथ्वी के विभिन्न जलवायु क्षेत्र के निर्धारण में इन अक्षांश रेखाओं का काफी सहारा लिया जाता है।

अक्षांश रेखाओं के सम्बन्ध में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य


  • अक्षांश रेखाएं पृथ्वी पर पूर्व पश्चिम दिशा में खींची हुई काल्पनिक रेखाएं होती हैं।

  • ये रेखाएं एक दूसरे के सामानांतर होते हुए वृत्त के समान होती हैं।

  • अक्षांश रेखाएं एक एक डिग्री के अंतराल पर होती हैं जिसमे भूमध्य रेखा पर इसका मान 0 डिग्री होता है और ध्रुवों पर 90 डिग्री।

  • सभी अक्षांश रेखाओं में भूमध्य रेखा सबसे बड़ी होती है। ये क्रमशः ध्रुव की ओर छोटी होती जाती हैं और ध्रुवों पर ये बिंदु मात्र होती हैं।

  • एक अक्षांश रेखा से दूसरी अक्षांश रेखा के बीच करीब 111 किलोमीटर का फासला होता है। हर दो अक्षांश के बीच की दुरी समान होती है।

  • पृथ्वी पर कुल अक्षांश रेखाओं की संख्या 181 होती हैं।

  • अक्षांश रेखा से किसी स्थान की किसी अन्य स्थान से दुरी, स्थिति और जलवायु जानने में मदद मिलती है।

देशान्तर रेखा क्या है




पृथ्वी के उत्तर और दक्षिण ध्रुवों को मिलाने वाली काल्पनिक रेखाओं को देशांतर रेखा कहते हैं। ये रेखाएं एक ध्रुव से शुरू होकर दूसरे ध्रुव पर समाप्त होती है। ये एक एक डिग्री के अंतराल पर होते हुए 360 की संख्या में होती हैं। देशांतर रेखाएं अर्ध वृताकार होती हैं और ये एक दूसरे के सामानांतर नहीं होती हैं। दो देशांतर रेखाओं के मध्य ध्रुवों पर न्यूनत्तम तथा भूमध्य रेखा पर अधिकत्तम दुरी होती है और इस प्रकार इनके मध्य दुरी का मान ध्रुवों से भूमध्य रेखा की ओर जाने पर बढ़ता है। 

देशान्तर रेखाएँ 



इंग्लैंड के ग्रीनविच से होकर गुजरने वाली देशांतर रेखा को 0 डिग्री देशांतर रेखा कहा जाता है। इस रेखा के पूर्व में स्थित देशांतर रेखाओं को पूर्वी तथा इसके पश्चिम में स्थित देशांतर रेखाओं को पश्चिमी देशांतर रेखा कहा जाता है। ग्रीनविच के पूरब तथा पश्चिम में दोनों तरफ 180 देशांतर रेखाएं स्थित हैं और साथ ही पूर्वी तथा पश्चिमी 180 डिग्री देशांतर रेखाएं एक ही रेखा पर स्थित हैं।

पृथ्वी को अपने अक्ष पर एक चक्कर लगाने में 24 घंटे लगते हैं। इस प्रकार वह 360 डिग्री 24 घंटे में घूमती है। अतः पृथ्वी को एक डिग्री घूमने में 4 मिनट का समय लगता है। यही कारण है एक देशांतर से दूसरे देशांतर के मध्य चार मिनट का अंतर पाया जाता है। भारत में 82 5 डिग्री देशांतर रेखा जो प्रयाग राज (इलाहबाद) के नैनी से गुजरती है, को मानक समय रेखा माना जाता है। इसी वजह से ग्रीनविच में जब 12 बजता है तो भारत में साढ़े पांच बजे शाम होती है।



देशान्तर रेखाओं के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण तथ्य


  • देशान्तर रेखाएं पृथ्वी पर उत्तर से दक्षिण दोनों ध्रुवों को मिलाते हुए खींची गयी काल्पनिक रेखाएं हैं।

  • दो देशान्तर रेखाओं के मध्य भूमध्य रेखा पर अधिकत्तम तथा ध्रुवों पर न्यूनत्तम दूरी होती है। विषुवत रेखा पर यह दूरी 111.321 किलोमीटर होती है।

  • इंग्लैंड के ग्रीनविच से गुजरने वाली देशान्तर रेखा को 0 डिग्री देशान्तर रेखा माना जाता है। पुरे विश्व के समय का निर्धारण इसी रेखा से किया जाता है। इस रेखा से पूर्व के स्थानों का समय आगे तथा इसके पश्चिम में समय पीछे होता है। जैसे इस रेखा पर दोपहर के बारह बजने की स्थिति में इसके पूर्व में स्थित भारत में शाम के साढ़े पांच बजते है। ऐसा पृथ्वी के पश्चिम से पूर्व की ओर घूमने की वजह से होता है।

  • एक ही देश से होकर अनेक देशान्तर रेखाएं गुजरती हैं। जैसे भारत के पश्चिम सिरे पर 68 डिग्री 7 मिनट देशान्तर रेखा और पूर्वी छोर पर 97 डिग्री 25 मिनट देशांतर रेखा गुजरती है। इस प्रकार भारत से 30 देशान्तर रेखाएं गुजरती हैं। इसी वजह से भारत के पश्चिमी तथा पूर्वी छोर के समय के बीच 2 घंटे का अंतर हो जाता है। समय के इस अंतर को समाप्त करने के लिए हर देश अपने मध्य की किसी देशान्तर रेखा को मानक समय रेखा के रूप में स्वीकार करता है और पुरे देश का समय उसी से निर्धारित होता है। भारत में 82 5 डिग्री देशांतर रेखा जो प्रयाग राज (इलाहबाद) के नैनी से गुजरती है, को मानक समय रेखा माना जाता है।

  • अधिक विस्तार वाले देशों में मानक समय रेखा एक से अधिक भी हो सकती है। रूस में 11 टाइम जोन हैं।

  • 180 डिग्री पूर्वी तथा 180 डिग्री पश्चिमी देशान्तर रेखाएं अलग अलग न होकर एक ही रेखा होती हैं। इसे अंतराष्ट्रीय तिथि रेखा भी कहा जाता है। 1884 के वाशिंगटन समझौते में इसे अंतराष्ट्रीय तिथि रेखा घोषित किया गया था। इस रेखा से पूर्व जाने पर तिथि में एक दिन का अंतर हो जाता है।

अक्षांश और देशान्तर रेखाओं में क्या अंतर है


  • अक्षांश रेखाएं पृथ्वी पर पश्चिम से पूर्व की ओर भूमध्य रेखा के सामानांतर खींची गयी काल्पनिक रेखाएं हैं जबकि देशान्तर रेखाएं उत्तर से दक्षिण की ओर दोनों ध्रुवों मिलाने वाली काल्पनिक रेखाएं होती हैं।

  • अक्षांश रेखाएं रेखा न होकर वास्तव में में वृत्त होती हैं जबकि देशान्तर रेखाएं अर्ध वृताकार होती है।

  • अक्षांश रेखाएं एक दूसरे के सामानांतर होती हैं जबकि देशान्तर रेखाएं एक दूसरे के सामानांतर नहीं होती हैं।

  • अक्षांश रेखाएं अलग अलग आकार की होती है। सबसे बड़ी अक्षांश रेखा भूमध्य रेखा होती है। ये रेखाएं ध्रुवों की ओर क्रमशः छोटी होती जाती है और ध्रुवों पर बिंदु मात्र रह जाती है। दूसरी तरफ देशान्तर रेखाओं का आकार एक समान होता है।

  • किसी भी दो अक्षांश रेखा के बीच हमेशा समान दुरी होती है। यह दुरी लगभग 111 किलोमीटर होती है। देशान्तर रेखाओं के मध्य दुरी एक समान नहीं होती है। यह ध्रुवों पर शून्य या न्यूनत्तम तथा भूमध्य रेखा पर अधिकतम होता है। भूमध्य रेखा पर यह दुरी करीब 111 किलोमीटर होती है।




  • अक्षांश रेखाओं की कुल संख्या 181 है जबकि देशान्तर रेखाओं की संख्या 360 है।

  • 0 डिग्री अक्षांश रेखा को भूमध्य रेखा या विषुवत वृत्त कहते हैं वहीँ 0 डिग्री देशान्तर रेखा को Prime Meridian कहते हैं।

  • 0 डिग्री अक्षांश रेखा पृथ्वी को उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध में बाटती है जबकि 0 डिग्री देशान्तर रेखा पृथ्वी को पश्चिमी और पूर्वी गोलार्द्ध में विभाजित करती है।

  • कुछ मुख्य अक्षांश रेखाएं भूमध्य रेखा, कर्क रेखा, मकर रेखा, आर्कटिक रेखा तथा अंटार्कटिक रेखा हैं जबकि कुछ महत्वपूर्ण देशान्तर रेखाएं 0 डिग्री देशान्तर अंतराष्ट्रीय समय रेखा जो ग्रीनविच से गुजरती है तथा 180 डिग्री अंतराष्ट्रीय तिथि रेखा है।

  • अक्षांश रेखा से किसी स्थान की जलवायु के बारे में अनुमान लगाया जा सकता है जबकि देशांतर रेखा से किसी स्थान पर क्या समय हो रहा है, पता लगाया जा सकता है।

उपसंहार

अक्षांश और देशान्तर रेखाएं किसी स्थान की भौगोलिक स्थिति का निर्धारण करती हैं। अक्षांश रेखाएं स्थान विशेष की उत्तर दक्षिण स्थिति तथा देशान्तर रेखा पूर्व तथा पश्चिम की स्थिति को प्रदर्शित करता है। ये दोनों ही रेखाएं काल्पनिक हैं और क्रमशः पूर्व पश्चिम तथा उत्तर दक्षिण में खींची गयी हैं। अक्षांश रेखाएं किसी स्थान की जलवायु का अनुमान लगाने में मदद करती हैं इसी तरह देशान्तर रेखा की मदद से उस स्थान का समय निर्धारित किया जा सकता है।

एक टिप्पणी भेजें

3 टिप्पणियाँ