B.A.M.S., B.U.M.S. और B.H.M.S. क्या है, इनमे क्या अंतर है
हमारे देश में डॉक्टर का पेशा हमेशा से ही बहुत सम्मान और बहुत ही उच्च स्तर का माना जाता रहा है। हमारे देश में डॉक्टर को भगवान् का दर्जा दिया जाता है। प्रतिष्ठा के साथ साथ इस पेशे में अच्छा पैसा होना इस प्रोफेशन के प्रति युवाओं के रुझान का एक बड़ा कारण होता है। यही कारण है हमारे देश के युवाओं में यह करियर चुनाव में खूब पसंद किया जा रहा है।
BAMS कोर्स क्या है
चिकित्सा के क्षेत्र में युवाओं की पहली पसंद MBBS होती है किन्तु किसी वजह से इसमें एडमीशन न मिल पाने पर या आयुर्वेद में रूचि रखने वाले छात्रों के बीच BAMS एक अच्छा चुनाव होता है। BAMS भी एक अंडर ग्रेजुएट डिग्री कोर्स होता है जो आधुनिक चिकित्सा विज्ञानं के साथ साथ परंपरागत चिकित्सा का समन्वय होता है। वास्तव में BAMS कोर्स का मुख्य आधार आयुर्वेद होता है। BAMS मुख्य रूप से अष्टांग आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा का अध्ययन है। भारत में सेंट्रल कौंसिल ऑफ़ इंडियन मेडिसिन (CCIM) को आयुर्वेद के अध्ययन और प्रशिक्षण हेतु जबाबदेह बनाया गया है। भारत में विभिन्न आयुर्वेदिक कॉलेजों जो भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा स्वीकृत हैं, में इसके अध्ययन की व्यवस्था है। इस कोर्स को करने के पश्चात् छात्र सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों, आयुर्वेदिक कंपनियों, आयुर्वेदिक संस्थानों में डॉक्टर के रूप में नियुक्त हो सकते हैं या फिर खुद की डिस्पेंसरी खोलकर प्रैक्टिस कर सकते हैं।
चिकित्सा के क्षेत्र में युवाओं की पहली पसंद MBBS होती है किन्तु किसी वजह से इसमें एडमीशन न मिल पाने पर या आयुर्वेद में रूचि रखने वाले छात्रों के बीच BAMS एक अच्छा चुनाव होता है। BAMS भी एक अंडर ग्रेजुएट डिग्री कोर्स होता है जो आधुनिक चिकित्सा विज्ञानं के साथ साथ परंपरागत चिकित्सा का समन्वय होता है। वास्तव में BAMS कोर्स का मुख्य आधार आयुर्वेद होता है। BAMS मुख्य रूप से अष्टांग आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा का अध्ययन है। भारत में सेंट्रल कौंसिल ऑफ़ इंडियन मेडिसिन (CCIM) को आयुर्वेद के अध्ययन और प्रशिक्षण हेतु जबाबदेह बनाया गया है। भारत में विभिन्न आयुर्वेदिक कॉलेजों जो भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा स्वीकृत हैं, में इसके अध्ययन की व्यवस्था है। इस कोर्स को करने के पश्चात् छात्र सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों, आयुर्वेदिक कंपनियों, आयुर्वेदिक संस्थानों में डॉक्टर के रूप में नियुक्त हो सकते हैं या फिर खुद की डिस्पेंसरी खोलकर प्रैक्टिस कर सकते हैं।
BAMS का फुलफॉर्म क्या होता है
BAMS एक पूर्णकालिक चिकत्सीय कोर्स है जो आयुर्वेदिक दवाओं से मरीजों की चिकित्सा का प्रशिक्षण देता है। BAMS का फुलफॉर्म Bacheler of Ayurvedic Medicine and Surgery होता है।
BAMS कितने साल का कोर्स है
BAMS कोर्स में एडमिशन के लिए इंटरमीडिएट की योग्यता होनी चाहिए। BAMS का कोर्स इंटर्नशिप मिलाकर साढ़े पांच साल का होता है। इस कोर्स के उपरान्त छात्रों को "आयुर्वेदाचार्य" की उपाधि दी जाती है।
BAMS कोर्स करने के लिए आवश्यक योग्यता
BAMS कोर्स करने के लिए अभ्यर्थियों के पास निम्न योग्यताएं होनी चाहिए
- अभ्यर्थी को 10+2 या कोई अन्य समकक्ष परीक्षा किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड या विश्वविद्यालय से कम से कम 50% अंकों के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए। आरक्षित वर्ग के लिए न्यूनत्तम 40% होना चाहिए।
- अभ्यर्थी फिजिक्स, केमिस्ट्री,बायोलॉजी और अंग्रेजी के साथ बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण किया हो।
- BAMS में एडमिशन के समय अभ्यर्थी की उम्र 17 वर्ष से कम न हो।
- कैंडिडेट को NEET के परीक्षा क्वालीफाई (मिनिमम परसेंटाइल कटऑफ से ) होना चाहिए।
- विदेशी छात्रों को कोई अन्य समकक्ष परीक्षा जो विश्वविद्यालय से मान्य हो, उत्तीर्ण होना चाहिए।
BAMS कोर्स की फीस
BAMS कोर्स की फीस वैसे तो अलग अलग कॉलेज के अलग अलग हो सकती है फिर भी एक औसत फीस
25000 रुपये से लेकर 3,2000 रुपये सालाना आ सकता है।
BUMS क्या है
MBBS में किसी वजह से दाखिला न मिल पाने की वजह से छात्रों को निराश होने की जरुरत नहीं है। चिकित्सा क्षेत्र में रूचि रखने वाले और डॉक्टर बनने की ख्वाहिश रखने वाले छात्रों के लिए MBBS और BAMS के अतिरिक्त अन्य विकल्प भी हैं। वैसे छात्र जो परंपरागत और प्राकृतिक चिकित्सा में रूचि रखते हैं उनके लिए BUMS एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। BUMS खासकर उन छात्रों के लिए उपयुक्त साबित होता है जो उर्दू पृष्ठभूमि से आये हुए हैं। भारत में BUMS की पढाई तथा ट्रेनिंग भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले CCIM सेंट्रल कौंसिल ऑफ़ इंडियन मेडिसिन द्वारा संचालित होती है। BUMS एक अंडरग्रेजुएट मेडिकल डिग्री कोर्स है जो यूनानी चिकित्सा पद्धति पर आधारित है। यूनानी चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद की तरह ही प्रकृति से प्राप्त जड़ी बूटियों, खनिज, हड्डी आदि द्वारा चिकित्सा की विधि है।
BUMS का फुलफॉर्म क्या होता है
BUMS एक अंडरग्रेजुएट मेडिकल डिग्री कोर्स है जिसको पूरा करने के उपरांत छात्र हकीम की उपाधि प्राप्त करता है। यह पूर्णतः यूनानी चिकित्सा का प्रशिक्षण है जिसमे छात्रों को यूनानी अरबी पद्धति से इलाज करना सिखाया जाता है। यूनानी पद्धति में दवाओं का मुख्य स्रोत प्रकृति से प्राप्त जड़ी बूटी, खनिज आदि हैं। BUMS का फुलफॉर्म बैचलर ऑफ़ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी होता है।
BUMS कितने वर्षों का कोर्स है
BUMS अन्य कोर्सों की तरह साढ़े पांच साल का कोर्स है जिसमे एक साल इंटर्नशिप भी शामिल है। BUMS डिग्री धारक के पास रोजगार के लिए अनेक अवसर होते हैं। वे यूनानी दवा कंपनियों में, यूनानी कॉलेजों में प्रोफेसरों, फार्मासिस्ट, चिकित्सक आदि के रूप में रोजगार पा सकते हैं।
BUMS में दाखिला पाने के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए
BUMS में एडमिशन के लिए अभ्यर्थियों में निम्न योग्यता होनी चाहिए
- अभ्यर्थी की दाखिला वाले वर्ष में कम से कम 17 वर्ष की आयु होनी चाहिए।
- अभ्यर्थी 10+2 की परीक्षा उत्तीर्ण कर चूका हो और इसमें उसके बायोलॉजी, फिजिक्स, केमिस्ट्री और इंग्लिश अनिवार्य रूप से होना चाहिए।
- अभ्यर्थी को 10+2 की परीक्षा न्यूनत्तम 50 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए। आरक्षित वर्गों के लिए यह 40 प्रतिशत है।
- अभ्यर्थी के दशवीं में उर्दू, पर्शियन या अरबी में से कोई एक होना चाहिए। अथवा अभ्यर्थी को दसवीं की उर्दू टेस्ट को पास करना चाहिए।
- अभ्यर्थी NEET की परीक्षा क्वालीफाई किया हो।
BUMS कोर्स के लिए कितनी फीस लगती है
इस कोर्स को करने अलग अलग कॉलेजों में अलग अलग फीस निर्धारित है। फिर भी एक औसत देखा जाय तो यह 50000 से 650000 रुपये के बीच में आता है।
BHMS कोर्स क्या है
भारत में आज ऐसे लोगों की संख्या बहुत है जो होमियोपैथी चिकत्सा में विश्वास करते हैं और अपना उपचार भी होमियोपैथी में ही कराना चाहते हैं। ऐसा करने के पीछे एक ठोस वजह है एक तो होमियोपैथी दवाओं का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता दूसरी इसका उपचार बहुत ही सस्ता होता है। इसी वजह से होमियोपैथ आमजन में खूब लोकप्रिय है। पुरानी बीमारियों में होमियोपैथ काफी सफल माना जाता है।
होमियोपैथ के क्षेत्र में अपना करियर बनाने के इच्छुक छात्रों के लिए भारत में BHMS कोर्स उपलब्ध है। यह एक डिग्री कोर्स है। इसको पूरा करने के उपरांत छात्र होमियोपैथ के डॉक्टर के रूप में सरकारी अस्पतालों में, होमियोपैथ कॉलेजों में अथवा अपना निजी क्लिनिक खोलकर प्रैक्टिस कर सकते हैं। NEET की परीक्षा द्वारा BHMS में नामांकन के लिए अभ्यर्थियों का चुनाव किया जाता है। इसके बाद आयूष एडमिशंस सेंट्रल काउंसलिंग कमेटी (AACCC) द्वारा इन अभ्यर्थियों की काउंसलिंग की जाती है।
चिकित्सा की शिक्षा के क्षेत्र में BHMS होमियोपैथी चिकित्सा से सम्बंधित कोर्स है। BHMS का फुलफॉर्म होता है बैचलर ऑफ़ होमियोपैथीक मेडिसिन एंड सर्जरी। इसमें छात्रों को होमियोपैथ चिकित्सा से सम्बंधित सारी जानकारी दी जाती है। रोगों के सिम्पटम्स, सिम्पटम्स के अनुसार दवा का चुनाव, दवा की पोटेंसी,मटेरिका मेडिका आदि के बारे में छात्र पुरे विस्तार से अध्ययन करते हैं।
BHMS कोर्स कितने सालों का होता है
BHMS कोर्स एक अंडरग्रेजुएट डिग्री कोर्स है। इसमें कोर्स की अवधि साढ़े चार वर्ष और इसके उपरांत एक वर्ष का इंटर्नशिप करना जरुरी होता है।
BHMS कोर्स करने के लिए आवश्यक योग्यता
इस कोर्स को करने के लिए अभ्यर्थियों के पास निम्न योग्यताएं अनिवार्य रूप से होनी चाहिए
- अभ्यर्थी को 10+2 बायोलॉजी, फिजिक्स, केमिस्ट्री तथा इंग्लिश विषय के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए।
- 10+2 में अभ्यर्थी को कम से कम 50 प्रतिशत अंक होना चाहिए। आरक्षित श्रेणी के लिए यह प्रतिशत 40 है।
- अभ्यर्थी की उम्र कम से कम 17 वर्ष होनी चाहिए। अधिकत्तम उम्र सीमा 25 वर्ष है। आरक्षित श्रेणी को 5 वर्षों की छूट है।
- अभ्यर्थी को NEET की परीक्षा क्वालीफाई करना अनिवार्य है।
BHMS कोर्स के लिए अलग अलग कॉलेजों की फीस अलग अलग है किन्तु एक एवरेज फीस स्ट्रक्चर देखा जाए तो यह 20,000 से 300,000 रुपये के बीच में आता है।
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