छोटी इलायची और बड़ी इलायची में क्या अंतर है
मसालों की जब बात होती है तब इलायची का जिक्र न आये ऐसा हो ही नहीं सकता। इलायची छोटी हो या बड़ी दोनों अपने आप में लाजवाब हैं। छोटी इलायची और बड़ी इलायची दोनों ही अपने विशिष्ट स्वाद और सुगन्ध के लिए जानी जाती हैं। आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम इलायची के बारे में विस्तृत जानकारी जानकारी लेंगें। इस पोस्ट में हम पढ़ेंगे छोटी इलायची क्या है,छोटी इलायची किन किन नामों से जानी जाती है,छोटी इलायची के उत्पादक देश,छोटी इलायची की किस्में,छोटी इलायची के प्रयोग,बड़ी इलायची क्या है,बड़ी इलायची का वानस्पतिक नाम,बड़ी इलायची किन देशों में उगाया जाता है,बड़ी इलायची के अन्य नाम,बड़ी इलायची की खूबियां और प्रयोग,बड़ी इलायची के औषधीय गुण
छोटी इलायची और बड़ी इलायची में क्या अंतर है आदि।
इलायची : इतिहास के झरोखे से
इलायची के गुणों को मनुष्य ने बहुत पहले ही परख लिया था। कांस्य युग में भी इसके चलन के संकेत मिले हैं। कई प्राचीन संस्कृतियों जैसे भारतीय, ग्रीक,रोमन, मिश्र और चीन में इसका खूब प्रयोग किया जाता था। उन दिनों यह एक बहुमूल्य चीज़ मानी जाती थी और यह मसालों के व्यापार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी । उन दिनों इसे विलासिता की वस्तु समझा जाता था और कई बार तो इसपर टैक्स भी लगाया गया था। बेबीलोनियन और असीरियन इस मसाले के औषधीय गुणों को भी जानते थे और फारस खाड़ी मार्ग से इसका खूब व्यापार होता था। यूनानी चिकित्सकों ने डायोस्कोराइड्स और हिप्पोक्रेट्स ने इसके चिकित्सीय गुणों के बारे में वर्णन किया है कि ये पाचन में सहायक है।प्राचीन ग्रीस और रोम में अत्यधिक मांग के कारण, इलायची व्यापार एक मुनाफा वाले व्यापार में विकसित हुआ। इलायची 126 सीई में अलेक्जेंड्रिया में आयात कर के लिए मसाले में से एक थी। मध्ययुगीन काल में, काली मिर्च, लौंग और दालचीनी के साथ वेनिस पश्चिम में इलायची का प्रमुख आयातक बन गया था, जिसे लेवंत के व्यापारियों के साथ नमक और मांस उत्पादों के साथ कारोबार किया गया था।
छोटी इलायची क्या है
छोटी इलायची किन किन नामों से जानी जाती है
छोटी इलायची के उत्पादक देश
छोटी इलायची की किस्में
छोटी इलायची के प्रयोग
छोटी इलायची क्या है
छोटी इलायची : मसालों की रानी
छोटी इलायची जिसे हरी इलायची भी कहा जाता है एक सुगन्धित और स्वादवर्धक मसाला है जिसे व्यंजनों के साथ साथ मिठाईओं और चाय को भी सुगन्धित बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त छोटी इलायची का प्रयोग पान के साथ और ऐसे ही माउथ फ्रेशनर के तौर पर किया जाता है।
छोटी इलायची किन किन नामों से जानी जाती है
छोटी इलायची को हरी इलायची भी कहा जाता है। बंगाली में इसे छोटी इलाची, गुजराती में इलायची, कन्नड़ में एलेक्की मलयालम में इलाथरी, मराठी वेल्चील ओड़िया में एलैची, तमिल में एलेक्कै और तेलगू में येळक कयलु कहा जाता है।
छोटी इलायची के उत्पादक देश
इलायची की खेती ज्यादातर दक्षिण भारत में पश्चिमी घाट के सदाबहार जंगलों में की जाती है। भारत के अलावा, ग्वाटेमाला में और तंजानिया, श्रीलंका, अल सल्वाडोर, वियतनाम, लाओस, थाईलैंड, कंबोडिया, होंडुरास और पापुआ और न्यू गिनी में छोटे पैमाने पर इलायची को व्यावसायिक फसल के रूप में उगाया जाता है। इलायची की खेती के लिए भूमि की 600 से 1500 मीटर की ऊंचाई उपयुक्त होती है ।
छोटी इलायची के प्रयोग
छोटी इलायची एक तेज सुगंध वाला मसाला है। इसका प्रयोग अलग अलग देशों में अलग अलग तरह से किया जाता है। अरब देशों में इलायची वाली कॉफ़ी जिसे गहवा भी कहते हैं में इसका खूब प्रयोग किया जाता है। गहवा सर्व करना एक अच्छी मेहमाननवाजी का प्रतीक माना जाता है। भारत सहित एशिया के कई देशों में यह कई तरह के मसालेदार और अन्य व्यंजनों में प्रयोग लायी जाती है। तीखे व्यंजनों के अतिरिक्त इसका प्रयोग चाय, खीर तथा कई मिठाइयों में जाता है। स्कॅन्डिनेवियन देशों में इसका प्रयोग बेकरी उत्पादों को सुगन्धित करने के लिए किया जाता है। यूरोप और उत्त्तर अमेरिका में इसका प्रयोग करी पाउडर के साथ किया जाता है।
बड़ी इलायची का वानस्पतिक नाम
बड़ी इलायची का वानस्पतिक नाम Amomum subulatum है और यह Ginger फ़ैमिली का हिस्सा है। बड़ी इलायची एक बारहमासी पौधा है जिसकी 1.7 मीटर से लेकर 2.6 मीटर तक ऊँची कई शाखाएं होती हैं। हर टहनी में 9 से लेकर 13 पत्तियां होती हैं। इसका पुष्पक्रम पीले रंग के पेरिंथ के साथ एक संघनित स्पाइक होता है। प्रत्येक स्पाइक में दस से पंद्रह फल होते हैं। फल गोल या अंडाकार आकार के, लाल भूरे रंग के कैप्सूल के साथ होते हैं।
बड़ी इलायची किन देशों में उगाया जाता है
हिमालय को बड़ी इलायची का घर भी कहा जाता है। बड़ी इलायची नेपाल, भूटान के हिमालय क्षेत्रों में खूब उगाई जाती है।यह समुद्र की सतह से 800-2000 मीटर की ऊंचाई पर पेड़ों की छाया में ठंडी आर्द्र परिस्थितियों में उगाया जाता है, जहाँ औसतन 3000-3500 मिमी वर्षा लगभग 200 दिनों में होती है और तापमान 6-30 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है।
बड़ी इलायची के अन्य नाम
बड़ी इलायची को हिंदी में बड़ी इलायची, बंगाली में बड़ो इलायची, संस्कृत में बृहदिला तथा एला, नेपाली में एला, मलयालम में पेरेलम, तमिल में पेरिया यालम, तेलगु में पेडडयेलाकि तथा अंग्रेजी में ब्लैक कार्डामम कहा जाता है।
बड़ी इलायची की खूबियां और प्रयोग
बड़ी इलायची पकवानों में एक विशेष सुगंध और फ्लेवर लाने के लिए प्रयोग में लायी जाती है। कई व्यंजन जैसे पुलाव, बिरयानी तथा विभिन्न तरह के मांसाहार व्यंजन में इसकी उपस्थिति अनिवार्य है। सब्ज़ियों के भी स्वाद में निखार लाने के लिए बड़ी इलायची का प्रयोग किया जाता है। दम आलू , मटर पनीर, छोले हो या फिर चने की मसालेदार दाल हो इसके बिना सबका स्वाद फीका हो जाता है।
बड़ी इलायची के औषधीय गुण
आुयर्वेद के अनुसार, बड़ी इलायची पित्त शांत करने वाली, नींद लाने वाली, भोजन में रूचि पैदा करने काम करती है। यह हृदय एवं लीवर को स्वस्थ बनाती है। बड़ी इलायची भूख बढ़ाती है, भोजन को पचाती है, मुंह की बदबू दूर करती है। यह पेट की गैस को खत्म करती है, उल्टी बंद करती है, घावों को भरती है।
छोटी इलायची और बड़ी इलायची में क्या अंतर है
छोटी इलायची और बड़ी इलायची दोनों ही भोजन को स्वादिष्ट और सुगन्धित बनाने के लिए प्रयोग में आने वाले मसाले हैं। छोटी इलायची साइज में अपेक्षाकृत छोटी और प्रायः हरी होती है वहीँ बड़ी इलायची साइज में बड़ी और भूरी और काले रंग की होती है। स्वाद के मामले में भी छोटी इलायची हल्का मीठापन का स्वाद देती है जबकि बड़ी इलायची कड़वी और तीखी होती है।
छोटी इलायची : मसालों की रानी
छोटी इलायची जिसे हरी इलायची भी कहा जाता है एक सुगन्धित और स्वादवर्धक मसाला है जिसे व्यंजनों के साथ साथ मिठाईओं और चाय को भी सुगन्धित बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त छोटी इलायची का प्रयोग पान के साथ और ऐसे ही माउथ फ्रेशनर के तौर पर किया जाता है।
छोटी इलायची किन किन नामों से जानी जाती है
छोटी इलायची को हरी इलायची भी कहा जाता है। बंगाली में इसे छोटी इलाची, गुजराती में इलायची, कन्नड़ में एलेक्की मलयालम में इलाथरी, मराठी वेल्चील ओड़िया में एलैची, तमिल में एलेक्कै और तेलगू में येळक कयलु कहा जाता है।
छोटी इलायची के उत्पादक देश
इलायची की खेती ज्यादातर दक्षिण भारत में पश्चिमी घाट के सदाबहार जंगलों में की जाती है। भारत के अलावा, ग्वाटेमाला में और तंजानिया, श्रीलंका, अल सल्वाडोर, वियतनाम, लाओस, थाईलैंड, कंबोडिया, होंडुरास और पापुआ और न्यू गिनी में छोटे पैमाने पर इलायची को व्यावसायिक फसल के रूप में उगाया जाता है। इलायची की खेती के लिए भूमि की 600 से 1500 मीटर की ऊंचाई उपयुक्त होती है ।
छोटी इलायची की किस्में
छोटी इलायची अपने सुखद सुगंध और अदभुत स्वाद के कारण मसालों की दुनियां में प्रायः "मसालों की रानी" के रूप में जानी जाती है। इलायची एक बारहमासी, मध्यम ऊंचाई वाला अकाष्ठीय, प्रकंद वाला पौधा है। पुष्पक्रम की प्रकृति के आधार पर छोटी इलायची की तीन किस्मे होती है। मालाबार, मैसूर और अर्ध स्तंभित पुष्पगुच्छ के साथ वज़्हुकका। पौधे मध्यम आकार (2 से 3 मीटर ऊंचाई) के होते हैं जिनमें प्यूब्सेंट पत्तियां (पृष्ठीय तरफ) और मालाबार के मामले में फल गोलाकार होते हैं, जबकि पौधे मजबूत (3 से 4 मीटर ऊंचाई) अंडाकार कैप्सूल के साथ दोनों तरफ चमकदार पत्तियों के साथ होते हैं। मैसूर का मामला वज़ुक्का किस्म भौतिक विशेषताओं में उपरोक्त दोनों का मिश्रण है।
छोटी इलायची या इंडियन कार्डामम का अंतराष्ट्रीय वाणिज्य तीन ग्रेड में किया जाता है अल्लेप्पी ग्रीन एक्स्ट्रा बोल्ड, अल्लेप्पी ग्रीन बोल्ड तथा अल्लेप्पी ग्रीन सुपीरियर।
छोटी इलायची अपने सुखद सुगंध और अदभुत स्वाद के कारण मसालों की दुनियां में प्रायः "मसालों की रानी" के रूप में जानी जाती है। इलायची एक बारहमासी, मध्यम ऊंचाई वाला अकाष्ठीय, प्रकंद वाला पौधा है। पुष्पक्रम की प्रकृति के आधार पर छोटी इलायची की तीन किस्मे होती है। मालाबार, मैसूर और अर्ध स्तंभित पुष्पगुच्छ के साथ वज़्हुकका। पौधे मध्यम आकार (2 से 3 मीटर ऊंचाई) के होते हैं जिनमें प्यूब्सेंट पत्तियां (पृष्ठीय तरफ) और मालाबार के मामले में फल गोलाकार होते हैं, जबकि पौधे मजबूत (3 से 4 मीटर ऊंचाई) अंडाकार कैप्सूल के साथ दोनों तरफ चमकदार पत्तियों के साथ होते हैं। मैसूर का मामला वज़ुक्का किस्म भौतिक विशेषताओं में उपरोक्त दोनों का मिश्रण है।
छोटी इलायची या इंडियन कार्डामम का अंतराष्ट्रीय वाणिज्य तीन ग्रेड में किया जाता है अल्लेप्पी ग्रीन एक्स्ट्रा बोल्ड, अल्लेप्पी ग्रीन बोल्ड तथा अल्लेप्पी ग्रीन सुपीरियर।
छोटी इलायची के प्रयोग
छोटी इलायची एक तेज सुगंध वाला मसाला है। इसका प्रयोग अलग अलग देशों में अलग अलग तरह से किया जाता है। अरब देशों में इलायची वाली कॉफ़ी जिसे गहवा भी कहते हैं में इसका खूब प्रयोग किया जाता है। गहवा सर्व करना एक अच्छी मेहमाननवाजी का प्रतीक माना जाता है। भारत सहित एशिया के कई देशों में यह कई तरह के मसालेदार और अन्य व्यंजनों में प्रयोग लायी जाती है। तीखे व्यंजनों के अतिरिक्त इसका प्रयोग चाय, खीर तथा कई मिठाइयों में जाता है। स्कॅन्डिनेवियन देशों में इसका प्रयोग बेकरी उत्पादों को सुगन्धित करने के लिए किया जाता है। यूरोप और उत्त्तर अमेरिका में इसका प्रयोग करी पाउडर के साथ किया जाता है।
बड़ी इलायची क्या है
बड़ी इलायची का वानस्पतिक नाम
बड़ी इलायची किन देशों में उगाया जाता है
बड़ी इलायची के अन्य नाम
बड़ी इलायची की खूबियां और प्रयोग
बड़ी इलायची के औषधीय गुण
छोटी इलायची और बड़ी इलायची में क्या अंतर है
बड़ी इलायची क्या है
बड़ी इलायची : स्वाद और सुगंध का खजाना
बड़ी इलायची जिसे काली इलायची या बंगाल इलायची भी कहा जाता है, एक विशेष सुगंध वाला मसाला है। इसका प्रयोग बिरयानी, मीट या सब्ज़ियों में खूब किया जाता है। इस मसाले में एक विशेष प्रकार की धुंएँ की तरह, कुछ कुछ कपूर की तरह फ्लेवर पाया जाता है। इसमें मिंट के समान शीतलता का भी स्वाद पाया जाता है।
बड़ी इलायची : स्वाद और सुगंध का खजाना
बड़ी इलायची जिसे काली इलायची या बंगाल इलायची भी कहा जाता है, एक विशेष सुगंध वाला मसाला है। इसका प्रयोग बिरयानी, मीट या सब्ज़ियों में खूब किया जाता है। इस मसाले में एक विशेष प्रकार की धुंएँ की तरह, कुछ कुछ कपूर की तरह फ्लेवर पाया जाता है। इसमें मिंट के समान शीतलता का भी स्वाद पाया जाता है।
बड़ी इलायची का वानस्पतिक नाम
बड़ी इलायची का वानस्पतिक नाम Amomum subulatum है और यह Ginger फ़ैमिली का हिस्सा है। बड़ी इलायची एक बारहमासी पौधा है जिसकी 1.7 मीटर से लेकर 2.6 मीटर तक ऊँची कई शाखाएं होती हैं। हर टहनी में 9 से लेकर 13 पत्तियां होती हैं। इसका पुष्पक्रम पीले रंग के पेरिंथ के साथ एक संघनित स्पाइक होता है। प्रत्येक स्पाइक में दस से पंद्रह फल होते हैं। फल गोल या अंडाकार आकार के, लाल भूरे रंग के कैप्सूल के साथ होते हैं।
बड़ी इलायची किन देशों में उगाया जाता है
हिमालय को बड़ी इलायची का घर भी कहा जाता है। बड़ी इलायची नेपाल, भूटान के हिमालय क्षेत्रों में खूब उगाई जाती है।यह समुद्र की सतह से 800-2000 मीटर की ऊंचाई पर पेड़ों की छाया में ठंडी आर्द्र परिस्थितियों में उगाया जाता है, जहाँ औसतन 3000-3500 मिमी वर्षा लगभग 200 दिनों में होती है और तापमान 6-30 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है।
बड़ी इलायची के अन्य नाम
बड़ी इलायची को हिंदी में बड़ी इलायची, बंगाली में बड़ो इलायची, संस्कृत में बृहदिला तथा एला, नेपाली में एला, मलयालम में पेरेलम, तमिल में पेरिया यालम, तेलगु में पेडडयेलाकि तथा अंग्रेजी में ब्लैक कार्डामम कहा जाता है।
बड़ी इलायची की खूबियां और प्रयोग
बड़ी इलायची पकवानों में एक विशेष सुगंध और फ्लेवर लाने के लिए प्रयोग में लायी जाती है। कई व्यंजन जैसे पुलाव, बिरयानी तथा विभिन्न तरह के मांसाहार व्यंजन में इसकी उपस्थिति अनिवार्य है। सब्ज़ियों के भी स्वाद में निखार लाने के लिए बड़ी इलायची का प्रयोग किया जाता है। दम आलू , मटर पनीर, छोले हो या फिर चने की मसालेदार दाल हो इसके बिना सबका स्वाद फीका हो जाता है।
बड़ी इलायची के औषधीय गुण
आुयर्वेद के अनुसार, बड़ी इलायची पित्त शांत करने वाली, नींद लाने वाली, भोजन में रूचि पैदा करने काम करती है। यह हृदय एवं लीवर को स्वस्थ बनाती है। बड़ी इलायची भूख बढ़ाती है, भोजन को पचाती है, मुंह की बदबू दूर करती है। यह पेट की गैस को खत्म करती है, उल्टी बंद करती है, घावों को भरती है।
छोटी इलायची और बड़ी इलायची में क्या अंतर है
- छोटी इलायची Elettaria cardamomum नामक पौधे से प्राप्त किया जाता है जबकि बड़ी इलायची Amonmum subulatum नामक पौधे का फल है।
- जहां हरी इलायची में तीखा स्वाद और सुगंध होती है, वहीं काली इलायची में धुएँ के रंग का और अस्पष्ट कपूर जैसा स्वाद और सुगंध होता है।
- हरी इलायची को संसाधित करते समय, पौधे के पूर्ण परिपक्वता तक पहुंचने से पहले फली को काटा जाता है। इसके विपरीत, काली इलायची की फली बहुत बाद में काटी जाती है। इसके अतिरिक्त इन्हें आग में भी सुखाया जाता है।
- हम हरी इलायची के बीज और फली दोनों का उपयोग करते हैं, लेकिन हम काली इलायची के बीज का उपयोग करते हैं।
- छोटी इलायची भारत के दक्षिण के राज्यों में उगायी जाती है वहीँ बड़ी इलायची भारत के उत्तरी भागों में और नेपाल में उगायी जाती है।
- हरी इलायची का उपयोग मीठे व्यंजनों के स्वाद के लिए किया जाता है और काली इलायची का उपयोग अधिक तीखे स्वाद के लिए किया जाता है।
- छोटी इलायची आकार में छोटी और प्रायः हरी होती है जबकि बड़ी इलायची थोड़ी बड़ी और काले रंग की होती है।
- छोटी इलायची बड़ी इलायची की तुलना में ज्यादा मंहंगी होती है।
छोटी इलायची और बड़ी इलायची दोनों ही भोजन को स्वादिष्ट और सुगन्धित बनाने के लिए प्रयोग में आने वाले मसाले हैं। छोटी इलायची साइज में अपेक्षाकृत छोटी और प्रायः हरी होती है वहीँ बड़ी इलायची साइज में बड़ी और भूरी और काले रंग की होती है। स्वाद के मामले में भी छोटी इलायची हल्का मीठापन का स्वाद देती है जबकि बड़ी इलायची कड़वी और तीखी होती है।
Ref :
http://www.indianspices.com/spice-catalog/cardamom-small-1
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