हिमनद तथा नदी में क्या अंतर है
Difference between Glacier and River
हिमनद और नदियां धरती पर मीठे पानी के मुख्य स्रोत और विशाल भंडार हैं। इन दोनों की उपस्थिति मानव तथा अन्य जीवों के लिए अनिवार्य है। हालाँकि दोनों का सम्बन्ध पानी से है और दोनों में गतिशीलता है तो भी दोनों की प्रकृति अलग अलग है। पानी हिमनद में ठोस रूप में गतिशील होता है जबकि नदियों में यह तरल अवस्था में प्रवाहमान होता है। एक तरह से हिमनद कई नदियों का जन्मदाता भी है। हिमनद के आसपास जीवन दुर्लभ होता है जबकि नदियों को जीवनदायनी कहा जाता है और विश्व की महानतम सभ्यताएं इन्हीं के आस पास विकसित हुईं। आज के इस पोस्ट में हम इन्हीं बिंदुओं पर प्रकाश डालेंगे जैसे हिमनद क्या है, हिमनद की परिभाषा, हिमरेखा क्या है, हिमनद का निर्माण, हिमनद के प्रकार, हिमनद हेतु आवश्यक दशाएँ, हिमनद के कार्य तथा स्थलाकृतियां इसी तरह नदी क्या है,नदी की परिभाषा,नदी के प्रकार,नदी के कार्य तथा उनसे बनी स्थलाकृति, नदियों से लाभ और हिमनद और नदी में क्या अंतर है आदि।
हिमनद
ऐसी विशाल बर्फ की चट्टानें जो गतिशील होती हैं, हिमनद कहलाती हैं। हिमनद जिन्हें हिमानी या ग्लेशियर भी कहा जाता है विशाल हिमखंड होते हैं और अपने भार की वजह से पर्वतीय ढालों से नीचे की ओर प्रवाहमान होते हैं। हिमनद बहुत ही बड़े बर्फ की चट्टान होते हैं अतः इनके सरकने की गति काफी मंद होती है। सामान्य अवलोकन में इनके प्रवाह का पता नहीं चल पाता। यही कारण है पुराने ज़माने लोगों के अंदर धारणा थी कि हिमनद स्थिर होते हैं।
हिमनद की परिभाषा
"हिम रेखा के ऊपर स्थित विशाल हिम खंड जो गुरुत्वाकर्षण बल के कारण नीचे की तरफ गतिशील होते हैं, हिमनद कहलाते हैं। ये उच्च अक्षांशों या उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित हिमक्षेत्रों में गतिशील होते हैं।"
हिमरेखा क्या है
हिमनद के प्रवाह की गति बहुत ही मंद होती है। प्रायः एक हिमनद एक दिन में चार से पांच इंच आगे खिसकता है। किन्तु ध्यान देने वाली बात है कि अलग अलग हिमनदों की गति अलग अलग होती है। अलास्का और ग्रीनलैंड के हिमनद तीव्र गति से आगे बढ़ते हैं। ये एक दिन में 12 मी से भी अधिक खिसक जाते हैं। हिमनद की गति हिम की मात्रा, उसके मार्ग के ढलान और ताप पर निर्भर करती है। बड़े हिमनद छोटे हिमनद की अपेक्षा तीव्र गति से आगे बढ़ते हैं। मार्ग का ढलान भी इनकी गति को काफी प्रभावित करता है। ज्यादा ढलान वाले मार्ग पर इनकी गति तेज होती है। ग्रीष्म ऋतू में हिमनदों के बहने की गति बढ़ जाती है। इसका कारण है कि ताप अथिक होने से हिम शीघ्र पिघलता है।
हिमनद के प्रकार
रचना प्रक्रिया, आकार, स्वरूप तथा स्थिति एवं विस्तार की दृष्टि से हिमनद कई प्रकार के होते हैं। सामान्यत: आकार एवं स्थिति के आधार पर हिमनद चार प्रकार के होते हैं जो इस प्रकार हैं
पर्वतीय हिमनद (Piedmont Glaciers) : इस प्रकार के हिमनद पर्वतों की तली में बनते हैं। मेलारचाइना अलास्का का एक प्रमुख पर्वतीय हिमनद है, जो 3900 वर्ग किमी में विस्तृत है।
महाद्वीपीय हिमनद (Ice Cap Glaciers) : ये विस्तृत हिम चादर होते हैं जो जो अपने क्षेत्र की सम्पूर्ण भूसतह को घेरे रहते हैं। इनका विकास किसी विस्तृत क्षेत्र में हिम के सतत् संचयन से विस्तृत हिम चादर बनने से होता है। अण्टार्कटिका में 13,000,00 वर्ग किमी क्षेत्र में महाद्वीपीय हिमनद का विस्तार है।
हिमनद हेतु आवश्यक दशाएँ:
प्राचीन काल से ही नदियां मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा रही हैं। मानव सभ्यता और संस्कृति पर इनका बहुत प्रभाव पड़ा है। यहाँ तक कि कई प्राचीन सभ्यतायें नदियों के किनारे ही विकसित हुई। नदियों का पानी के स्रोत के रूप में, सिंचाई के लिए, यातायात और व्यापार के लिए आदि में मानव जीवन में काफी योगदान रहा है। आधुनिक काल में भी नदियां इन उपयोगों के साथ साथ जलविद्युत के उत्पादन में भी अपना योगदान दे रही हैं।
नदी क्या है
प्रकृति द्वारा विकसित एवं लगातार परिमार्जित मार्ग पर बहते पानी की अविरल धारा को नदी कहते हैं। नदी का जन्म बरसात द्वारा ग्लेशियर के पिघलने से अथवा झीलों द्वारा होता है। अधिकांश नदियां अपनी यात्रा के अंतिम चरण में किसी सागर अथवा झील में समा जाती हैं। इसके साथ ही कई नदियां किसी बड़ी नदी में जाकर मिल जाती हैं जिन्हें सहायक नदी कहते हैं। कुछ नदियां मार्ग में ही लुप्त हो जाती हैं। नदी और उसकी सहायक नदियाँ मिलकर नदी तंत्र बनाती है। जिस इलाके का सारा पानी नदी तंत्र को मिलता है, वह इलाका जल निकास घाटी (वाटरशेड) कहलाता है। नदी को अपनी यात्रा में बाढ़ के पानी के अलावा भूजल से सम्बन्धित दो प्रकार की परिस्थितियाँ मिलती हैं। पहली परिस्थिति जिसमें भूजल भण्डारों का पानी बाहर आकर नदी को मिलता है। दूसरी परिस्थिति जिसमें नदी में बहते प्रवाह का पूरा या कुछ हिस्सा, रिसकर भूजल भण्डारों को मिलता है। नदी, दोनों ही स्थितियों (Effluent– Gaining stage or influent– losing stage) का सामना करते हुए आगे बढ़ती है।
नदी की परिभाषा
"नदी भूतल पर प्रवाहित एक जलधारा है, जिसका स्रोत प्रायः कोई झील, हिमनद, झरना या बारिश का पानी होता है तथा किसी सागर अथवा झील में गिरती है।"
https://hi.wikipedia.org/wiki/नदी
"A river is a natural flowing watercourse, usually freshwater, flowing towards an ocean, sea, lake or another river."
https://en.wikipedia.org/wiki/River
"A river is a ribbon-like body of water that flows downhill from the force of gravity. A river can be wide and deep, or shallow enough for a person to wade across."
https://www.nationalgeographic.org/encyclopedia/river/
नदी के प्रकार
पानी के स्रोत के आधार पर नदियां दो प्रकार की होती हैं सदानीरा तथा बरसाती। सदानीरा उन नदियों को कहा जाता है जिनमे सालो भर पानी रहता है। ये नदियां प्रायः किसी हिमनद या झरना से निकलती हैं। उत्तर भारत की प्रायः सभी नदियां इसी प्रकार की नदियां हैं। कुछ नदियां अपने पानी के लिए बरसात पर निर्भर होती हैं। इनको बरसाती नदी कहते हैं। ये नदियां प्रायः पठारी क्षेत्रों में बहती हैं। इस प्रकार की नदियां दक्षिण भारत में पायी जाती हैं।
नदी के कार्य
नदी के मुख्य तीन कार्य अपरदन, परिवहन और निक्षेपण हैं। यद्यपि ये तीनों ही कार्य नदी की विभिन्न अवस्थाओं में संपन्न किये जाते हैं फिर भी थोड़ा बहुत हर अवस्था में तीनो कार्य होते रहते हैं। नदी की तीन मुख्य अवस्था होती है।
युवा अवस्था : यह नदी की शुरुवाती अवस्था है। इसमें नदी की धारा तीव्र होती है। इस वजह से यह अपरदन का कार्य करती है। इस अवस्था में चट्टानों की काट छांट, पाट चौड़ा करना आदि होता रहता है। इस अवस्था में तीव्र अपरदन होने की वजह से गॉर्ज, V आकार की घाटी, क्षिप्रिकाएँ आदि स्थलाकृतियों का निर्माण होते हैं।
प्रौढ़ अवस्था : यह अवस्था नदी तब शुरू होती है जब नदी पहाड़ों से नीचे मैदानी भागों में उतरती है। इस अवस्था में नदियां परिवहन का कार्य ज्यादा करती हैं। इस अवस्था में नदियां अपने साथ मिटटी, चट्टानों के टुकड़े, बालू आदि का परिवहन करती हैं। नदियां इस अवस्था में गोखुर झील का निर्माण करती हैं।
वृद्धा अवस्था : इस अवस्था में नदी की धारा सुस्त पड़ जाती है। यह नदी की अंतिम अवस्था होती है। मंद गति के कारण नदियां इस अवस्था में निक्षेपण का कार्य ज्यादा करती हैं। मंद गति की वजह से नदियां इस अवस्था में कई शाखाओं में बँट जाती हैं और त्रिभुजाकार आकृति बनाती हैं जिसे डेल्टा कहा जाता है।
नदियों से लाभ
नदियां मानव के लिए जीवनदायनी मानी जाती हैं। यह हमारे लिए कई प्रकार से उपयोगी हैं।
जलविद्युत : नदियों पर बड़े बड़े बाँध बनाकर उसपर पनबिजली संयंत्र लगाए गए हैं। यह हमारे विद्युत् आवश्यकताओं के एक बड़े हिस्से को पूरा करता है।
सिंचाई : यह हमारी प्राचीन सभ्यताओं के नदी घाटियों में विकसित होने का सबसे पहला कारण था। आज भी, नदियों से नहरे निकाल एक बड़े क्षेत्र में सिंचाई की जाती है।
परिवहन तथा व्यापार : अंतर्देशीय जल परिवहन अत्यधिक नदियों पर आधारित है। उदाहरण के लिए भारत में राष्ट्रीय जलमार्ग हैं।
सीमा : नदियाँ देशों तथा राज्यों के बीच राजनीतिक सीमाओं के रूप में भी कार्य करती हैं।
हिमनद तथा नदी में क्या अंतर है
उपसंहार
संक्षेप में कहा जा सकता है कि बड़े बड़े हिमखंडों के बहाव को हिमनद कहा जाता है जबकि जमीन पर जल की प्रवाहित धारा को नदी कहते हैं। हिमनद का निर्माण हिमरेखा के ऊपर होता है जबकि नदी की उत्पत्ति हिमरेखा के नीचे होती है। एक हिमनद से नदी निकल सकती है किन्तु नदी से हिमनद नहीं।
Ref:
https://www.drishtiias.com/hindi/to-the-points/paper1/glaciers-4
https://www.scotbuzz.org/2019/05/him-kshetra-eva-himanad.html
https://www.sbancollege.org/study-material/148769089512.%20Geog.%20Ravindra%20Keshao_27.05.2020.pdf
https://www.mountainratna.com/2021/05/blog-post_10.html
https://hindi.indiawaterportal.org/content/nadai-paraicaya-aie-nadai-kao-jaanaen-lets-know-river/content-type-page/61005
हिमनद
हिमनद क्या है
हिमनद की परिभाषा
हिमरेखा क्या है
हिमनद का निर्माण
हिमनद के प्रकार
हिमनद हेतु आवश्यक दशाएँ
हिमनद के कार्य तथा स्थलाकृतियां
हिमनद क्या है
हिमनद की परिभाषा
"हिम रेखा के ऊपर स्थित विशाल हिम खंड जो गुरुत्वाकर्षण बल के कारण नीचे की तरफ गतिशील होते हैं, हिमनद कहलाते हैं। ये उच्च अक्षांशों या उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित हिमक्षेत्रों में गतिशील होते हैं।"
हिमरेखा क्या है
पूरी पृथ्वी की लगभग 99 प्रतिशत हिमनद या हिमानियाँ ध्रुवों पर ध्रुवीय हिम चादर के रूप में स्थित हैं। अन्य हिमनद जो गैर ध्रुवीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं ऊँचे ऊँचे पर्वतों की चोटियों के आसपास स्थित हैं। इन हिमनदों को अल्पाइन हिमनद कहा जाता है। ये हिमनद पृथ्वी की धरातलीय सतह पर मीठे पानी के सबसे बड़े भण्डार हैं। सम्पूर्ण पृथ्वी पर सभी प्रकार के हिमनदों की संख्या 70,000 से 2,00,000 आकलित की गई है।
हिमनदों का निर्माण
हिमनद हिमरेखा के ऊपर बर्फ के संचयन तथा संहनन (Accumulation and Compaction) से बनते हैं।हिमनद की उत्पत्ति ऐसे क्षेत्रों में होती है जहाँ हिमपात की मात्रा अत्यधिक होती है और यह हिम क्षय की तुलना में हमेशा ज्यादा होती है जिससे प्रतिवर्ष हिम की कुछ मात्रा अधिशेष के रूप में बच जाता है। हिम के वर्ष दर वर्ष जमा होने से निचली परतों पर अत्यधिक दबाव बनता है और इस वजह से ये सघन हिम के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं। यही सघन हिमराशि अपने भार की वजह से नीचे ढलानों पर सरकने लगती है जिसे हिमनद कहा जाता है। वर्ष दर वर्ष हिमपात की हिम जमा होने की वजह से हिमनद में कई हिमस्तर देखे जा सकते हैं। प्रत्येक स्तर एक वर्ष के हिमपात का द्योतक होता है। हिमनद के सघन, संपीड़ित बर्फ या फर्न के रूप में बर्फ के जमने की प्रक्रिया को फर्निफिकेशन कहा जाता है। सामान्यतः बर्फ की परत काफी मोटी लगभग 50 मीटर की हो जाने पर फर्निफिकेशन की प्रक्रिया प्रारंभ होती है और इससे हिमनद धीरे-धीरे प्रवाहित होने के साथ ही एक हिम-नदी का स्वरूप धारण करते हैं। दबाव के कारण नीचे के हिमस्तर अधिक सघन होते हैं और इस प्रकार पहले दानेदार हिम "नैवे" और बाद में ठोस हिम की रचना होती है।
हिमनदों का निर्माण
हिमनद हिमरेखा के ऊपर बर्फ के संचयन तथा संहनन (Accumulation and Compaction) से बनते हैं।हिमनद की उत्पत्ति ऐसे क्षेत्रों में होती है जहाँ हिमपात की मात्रा अत्यधिक होती है और यह हिम क्षय की तुलना में हमेशा ज्यादा होती है जिससे प्रतिवर्ष हिम की कुछ मात्रा अधिशेष के रूप में बच जाता है। हिम के वर्ष दर वर्ष जमा होने से निचली परतों पर अत्यधिक दबाव बनता है और इस वजह से ये सघन हिम के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं। यही सघन हिमराशि अपने भार की वजह से नीचे ढलानों पर सरकने लगती है जिसे हिमनद कहा जाता है। वर्ष दर वर्ष हिमपात की हिम जमा होने की वजह से हिमनद में कई हिमस्तर देखे जा सकते हैं। प्रत्येक स्तर एक वर्ष के हिमपात का द्योतक होता है। हिमनद के सघन, संपीड़ित बर्फ या फर्न के रूप में बर्फ के जमने की प्रक्रिया को फर्निफिकेशन कहा जाता है। सामान्यतः बर्फ की परत काफी मोटी लगभग 50 मीटर की हो जाने पर फर्निफिकेशन की प्रक्रिया प्रारंभ होती है और इससे हिमनद धीरे-धीरे प्रवाहित होने के साथ ही एक हिम-नदी का स्वरूप धारण करते हैं। दबाव के कारण नीचे के हिमस्तर अधिक सघन होते हैं और इस प्रकार पहले दानेदार हिम "नैवे" और बाद में ठोस हिम की रचना होती है।
हिमनद के प्रवाह की गति बहुत ही मंद होती है। प्रायः एक हिमनद एक दिन में चार से पांच इंच आगे खिसकता है। किन्तु ध्यान देने वाली बात है कि अलग अलग हिमनदों की गति अलग अलग होती है। अलास्का और ग्रीनलैंड के हिमनद तीव्र गति से आगे बढ़ते हैं। ये एक दिन में 12 मी से भी अधिक खिसक जाते हैं। हिमनद की गति हिम की मात्रा, उसके मार्ग के ढलान और ताप पर निर्भर करती है। बड़े हिमनद छोटे हिमनद की अपेक्षा तीव्र गति से आगे बढ़ते हैं। मार्ग का ढलान भी इनकी गति को काफी प्रभावित करता है। ज्यादा ढलान वाले मार्ग पर इनकी गति तेज होती है। ग्रीष्म ऋतू में हिमनदों के बहने की गति बढ़ जाती है। इसका कारण है कि ताप अथिक होने से हिम शीघ्र पिघलता है।
हिमनद के प्रकार
रचना प्रक्रिया, आकार, स्वरूप तथा स्थिति एवं विस्तार की दृष्टि से हिमनद कई प्रकार के होते हैं। सामान्यत: आकार एवं स्थिति के आधार पर हिमनद चार प्रकार के होते हैं जो इस प्रकार हैं
- हिम टोपी (Ice Cap Galciers)
- अल्पाइन या घाटी हिमनद (Alpine or Valley Glaciers)
- पर्वतीय हिमनद (Piedmont Glaciers)
- महाद्वीपीय हिमनद (Ice Cap Glaciers)
हिम टोपी (Ice Cap Galciers) : पर्वत शिखर पर स्थित हिम चादर को हिम टोपी कहते हैं। वास्तव में इनसे कई हिमनदों का निर्माण होता है। कैनेडियन आर्कटिक में स्थित एलेस्मेरे द्वीप पर आइस कैप तथा नार्वे का ‘स्वलबर्ड आइलैण्ड’ इसी तरह का हिमनद है।
अल्पाइन या घाटी हिमनद (Alpine or Valley Glaciers) : पर्वतीय भागों से गुरुत्वाकर्षण के कारण हिम टोपी नीचे की तरफ प्रवाहित होती है तो इसे अल्पाइन या घाटी हिमनद कहते हैं। सर्वप्रथम इनका अध्ययन आल्पस पर्वत पर किया गया जिसके नाम पर इसे अल्पाइन हिमनद भी कहते हैं। हिमालय तथा रॉकीज पर्वत श्रृंखलाओं पर ऐसे हिमनद काफी मिलते हैं।
अल्पाइन या घाटी हिमनद (Alpine or Valley Glaciers) : पर्वतीय भागों से गुरुत्वाकर्षण के कारण हिम टोपी नीचे की तरफ प्रवाहित होती है तो इसे अल्पाइन या घाटी हिमनद कहते हैं। सर्वप्रथम इनका अध्ययन आल्पस पर्वत पर किया गया जिसके नाम पर इसे अल्पाइन हिमनद भी कहते हैं। हिमालय तथा रॉकीज पर्वत श्रृंखलाओं पर ऐसे हिमनद काफी मिलते हैं।
पर्वतीय हिमनद (Piedmont Glaciers) : इस प्रकार के हिमनद पर्वतों की तली में बनते हैं। मेलारचाइना अलास्का का एक प्रमुख पर्वतीय हिमनद है, जो 3900 वर्ग किमी में विस्तृत है।
महाद्वीपीय हिमनद (Ice Cap Glaciers) : ये विस्तृत हिम चादर होते हैं जो जो अपने क्षेत्र की सम्पूर्ण भूसतह को घेरे रहते हैं। इनका विकास किसी विस्तृत क्षेत्र में हिम के सतत् संचयन से विस्तृत हिम चादर बनने से होता है। अण्टार्कटिका में 13,000,00 वर्ग किमी क्षेत्र में महाद्वीपीय हिमनद का विस्तार है।
हिमनद हेतु आवश्यक दशाएँ:
- औसत वार्षिक तापमान गलनांक बिंदु के आसपास होना चाहिये।
- सर्दियों में हिमपात से बर्फ की बड़ी मात्रा का एकत्रित होनी चाहिये।
- सर्दियों के अलावा शेष वर्ष में भी तापमान इतना अधिक नहीं चाहिये कि सर्दियों के दौरान एकत्रित पूरी बर्फ पिघल जाए।
हिमनद के कार्य एवम हिमनद द्वारा बनी स्थलाकृतियां
हिमनद या हिमानी अपने मार्ग में अपरदन, परिवहन तथा निक्षेपण आदि क्रियाओं को लगातार करती रहती हैं और इन क्रियाओं के फलस्वरूप कई तरह की स्थलाकृतियां बनती हैं।
हिमनद के अपरदन से बनी स्थलाकृति : हिमनद अपने अपरदन के द्वारा बड़ी बड़ी घाटियों का निर्माण करती हैं। इनमे U आकार की घाटी, लटकती घाटी आदि मुख्य हैं। इन घाटियों के ऊपरी हिस्से में हॉर्न तथा सर्क का निर्माण करती हैं।
हिमनद के निक्षेपण से बनी स्थलाकृति : हिमानियों के निक्षेपण क्रिया से भी कई स्थलाकृतियों का निर्माण होता है जिनमे मुख्य हैं हिमोढ़, ड्रमलिन, एस्कर तथा मोरेन आदि।
नदी
हिमनद या हिमानी अपने मार्ग में अपरदन, परिवहन तथा निक्षेपण आदि क्रियाओं को लगातार करती रहती हैं और इन क्रियाओं के फलस्वरूप कई तरह की स्थलाकृतियां बनती हैं।
हिमनद के अपरदन से बनी स्थलाकृति : हिमनद अपने अपरदन के द्वारा बड़ी बड़ी घाटियों का निर्माण करती हैं। इनमे U आकार की घाटी, लटकती घाटी आदि मुख्य हैं। इन घाटियों के ऊपरी हिस्से में हॉर्न तथा सर्क का निर्माण करती हैं।
हिमनद के निक्षेपण से बनी स्थलाकृति : हिमानियों के निक्षेपण क्रिया से भी कई स्थलाकृतियों का निर्माण होता है जिनमे मुख्य हैं हिमोढ़, ड्रमलिन, एस्कर तथा मोरेन आदि।
नदी
नदी क्या है
नदी की परिभाषा
नदी के प्रकार
नदी के कार्य तथा उनसे बनी स्थलाकृति
नदियों से लाभ
हिमनद और नदी में क्या अंतर है
प्राचीन काल से ही नदियां मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा रही हैं। मानव सभ्यता और संस्कृति पर इनका बहुत प्रभाव पड़ा है। यहाँ तक कि कई प्राचीन सभ्यतायें नदियों के किनारे ही विकसित हुई। नदियों का पानी के स्रोत के रूप में, सिंचाई के लिए, यातायात और व्यापार के लिए आदि में मानव जीवन में काफी योगदान रहा है। आधुनिक काल में भी नदियां इन उपयोगों के साथ साथ जलविद्युत के उत्पादन में भी अपना योगदान दे रही हैं।
नदी क्या है
प्रकृति द्वारा विकसित एवं लगातार परिमार्जित मार्ग पर बहते पानी की अविरल धारा को नदी कहते हैं। नदी का जन्म बरसात द्वारा ग्लेशियर के पिघलने से अथवा झीलों द्वारा होता है। अधिकांश नदियां अपनी यात्रा के अंतिम चरण में किसी सागर अथवा झील में समा जाती हैं। इसके साथ ही कई नदियां किसी बड़ी नदी में जाकर मिल जाती हैं जिन्हें सहायक नदी कहते हैं। कुछ नदियां मार्ग में ही लुप्त हो जाती हैं। नदी और उसकी सहायक नदियाँ मिलकर नदी तंत्र बनाती है। जिस इलाके का सारा पानी नदी तंत्र को मिलता है, वह इलाका जल निकास घाटी (वाटरशेड) कहलाता है। नदी को अपनी यात्रा में बाढ़ के पानी के अलावा भूजल से सम्बन्धित दो प्रकार की परिस्थितियाँ मिलती हैं। पहली परिस्थिति जिसमें भूजल भण्डारों का पानी बाहर आकर नदी को मिलता है। दूसरी परिस्थिति जिसमें नदी में बहते प्रवाह का पूरा या कुछ हिस्सा, रिसकर भूजल भण्डारों को मिलता है। नदी, दोनों ही स्थितियों (Effluent– Gaining stage or influent– losing stage) का सामना करते हुए आगे बढ़ती है।
नदी की परिभाषा
"नदी भूतल पर प्रवाहित एक जलधारा है, जिसका स्रोत प्रायः कोई झील, हिमनद, झरना या बारिश का पानी होता है तथा किसी सागर अथवा झील में गिरती है।"
https://hi.wikipedia.org/wiki/नदी
"A river is a natural flowing watercourse, usually freshwater, flowing towards an ocean, sea, lake or another river."
https://en.wikipedia.org/wiki/River
"A river is a ribbon-like body of water that flows downhill from the force of gravity. A river can be wide and deep, or shallow enough for a person to wade across."
https://www.nationalgeographic.org/encyclopedia/river/
नदी के प्रकार
पानी के स्रोत के आधार पर नदियां दो प्रकार की होती हैं सदानीरा तथा बरसाती। सदानीरा उन नदियों को कहा जाता है जिनमे सालो भर पानी रहता है। ये नदियां प्रायः किसी हिमनद या झरना से निकलती हैं। उत्तर भारत की प्रायः सभी नदियां इसी प्रकार की नदियां हैं। कुछ नदियां अपने पानी के लिए बरसात पर निर्भर होती हैं। इनको बरसाती नदी कहते हैं। ये नदियां प्रायः पठारी क्षेत्रों में बहती हैं। इस प्रकार की नदियां दक्षिण भारत में पायी जाती हैं।
नदी के कार्य
नदी के मुख्य तीन कार्य अपरदन, परिवहन और निक्षेपण हैं। यद्यपि ये तीनों ही कार्य नदी की विभिन्न अवस्थाओं में संपन्न किये जाते हैं फिर भी थोड़ा बहुत हर अवस्था में तीनो कार्य होते रहते हैं। नदी की तीन मुख्य अवस्था होती है।
युवा अवस्था : यह नदी की शुरुवाती अवस्था है। इसमें नदी की धारा तीव्र होती है। इस वजह से यह अपरदन का कार्य करती है। इस अवस्था में चट्टानों की काट छांट, पाट चौड़ा करना आदि होता रहता है। इस अवस्था में तीव्र अपरदन होने की वजह से गॉर्ज, V आकार की घाटी, क्षिप्रिकाएँ आदि स्थलाकृतियों का निर्माण होते हैं।
प्रौढ़ अवस्था : यह अवस्था नदी तब शुरू होती है जब नदी पहाड़ों से नीचे मैदानी भागों में उतरती है। इस अवस्था में नदियां परिवहन का कार्य ज्यादा करती हैं। इस अवस्था में नदियां अपने साथ मिटटी, चट्टानों के टुकड़े, बालू आदि का परिवहन करती हैं। नदियां इस अवस्था में गोखुर झील का निर्माण करती हैं।
वृद्धा अवस्था : इस अवस्था में नदी की धारा सुस्त पड़ जाती है। यह नदी की अंतिम अवस्था होती है। मंद गति के कारण नदियां इस अवस्था में निक्षेपण का कार्य ज्यादा करती हैं। मंद गति की वजह से नदियां इस अवस्था में कई शाखाओं में बँट जाती हैं और त्रिभुजाकार आकृति बनाती हैं जिसे डेल्टा कहा जाता है।
नदियों से लाभ
नदियां मानव के लिए जीवनदायनी मानी जाती हैं। यह हमारे लिए कई प्रकार से उपयोगी हैं।
जलविद्युत : नदियों पर बड़े बड़े बाँध बनाकर उसपर पनबिजली संयंत्र लगाए गए हैं। यह हमारे विद्युत् आवश्यकताओं के एक बड़े हिस्से को पूरा करता है।
सिंचाई : यह हमारी प्राचीन सभ्यताओं के नदी घाटियों में विकसित होने का सबसे पहला कारण था। आज भी, नदियों से नहरे निकाल एक बड़े क्षेत्र में सिंचाई की जाती है।
परिवहन तथा व्यापार : अंतर्देशीय जल परिवहन अत्यधिक नदियों पर आधारित है। उदाहरण के लिए भारत में राष्ट्रीय जलमार्ग हैं।
सीमा : नदियाँ देशों तथा राज्यों के बीच राजनीतिक सीमाओं के रूप में भी कार्य करती हैं।
हिमनद तथा नदी में क्या अंतर है
- हिमनद विशाल हिमखंडों का प्रवाह होता है जबकि नदी भूतल पर प्रवाहित एक जलधारा है।
- हिमनद पर्वतों की उच्च चोटियों पर और ध्रुवीय प्रदेशों में पायी जाती है वहीँ नदी पर्वतों से नीचे की ओर मैदानी भागों में बहती हैं।
- हिमनद द्वारा सर्क, U आकार की घाटी, मोरेन आदि स्थलाकृतियों का निर्माण होता है जबकि नदियों के द्वारा V आकार की घाटी, गोखुर झील, डेल्टा आदि का निर्माण होता है।
- हिमनद हिमरेखा के ऊपर पायी जाती है जबकि नदी की उत्पत्ति हिमरेखा के नीचे होती है।
- हिमनद में पानी ठोस रूप में गतिशील होता है वहीँ नदी में यह तरल रूप में गतिमान होता है।
- हिमनद के आसपास जीवन दुर्लभ होता है वहीं नदियों के आसपास जीवन सरल होता है।
- हिमनद से नदियों की उत्पत्ति होती है जबकि नदियों से हिमनद की नहीं।
उपसंहार
संक्षेप में कहा जा सकता है कि बड़े बड़े हिमखंडों के बहाव को हिमनद कहा जाता है जबकि जमीन पर जल की प्रवाहित धारा को नदी कहते हैं। हिमनद का निर्माण हिमरेखा के ऊपर होता है जबकि नदी की उत्पत्ति हिमरेखा के नीचे होती है। एक हिमनद से नदी निकल सकती है किन्तु नदी से हिमनद नहीं।
Ref:
https://www.drishtiias.com/hindi/to-the-points/paper1/glaciers-4
https://www.scotbuzz.org/2019/05/him-kshetra-eva-himanad.html
https://www.sbancollege.org/study-material/148769089512.%20Geog.%20Ravindra%20Keshao_27.05.2020.pdf
https://www.mountainratna.com/2021/05/blog-post_10.html
https://hindi.indiawaterportal.org/content/nadai-paraicaya-aie-nadai-kao-jaanaen-lets-know-river/content-type-page/61005
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