Difference between Respiration and Combustion
श्वसन जीव शरीर में होने वाली एक महत्वपूर्ण और अनिवार्य प्रक्रिया है। दोस्तों जैसा कि हम जानते हैं प्रत्येक जीव को जीवित रहने और विभिन्न क्रियाकलापों को करने के लिए ऊर्जा चाहिए होती है। यह ऊर्जा उसे भोजन से मिलती है। किन्तु भोजन से वह सीधे ऊर्जा नहीं प्राप्त कर सकता। इसके लिए उसे भोजन को पचाना अर्थात उसके सरलतम रूप में लाना होगा। भोजन के सरलतम स्वरुप में बदलने के बाद उससे ऊर्जा प्राप्ति के लिए उसका ऑक्सीकरण करना पड़ता है। यह क्रिया कोशिकाओं में संपन्न होती है। इस प्रक्रिया को श्वसन कहते हैं।
आज का दूसरा हमारा टॉपिक दहन है। दहन भी एक प्रकार की ऑक्सीकरण अभिक्रिया है जिसके फलस्वरूप कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प और ऊर्जा मुक्त होती है। अब छात्रों के दिमाग में कई प्रश्न उठते हैं जब श्वसन और दहन दोनों ही ऑक्सीकरण की अभिक्रिया है और दोनों में ही ऊर्जा मुक्त होती है तो फिर दोनों में अंतर क्या है ? इसके अतिरिक्त कई अन्य प्रश्न जैसे श्वसन क्या है, दहन क्या है और श्वसन और दहन में क्या अंतर है आदि आदि। इस पोस्ट के माध्यम से इन्हीं सवालों का जवाब देने का प्रयास किया गया है। अतः श्वसन क्या है, दहन क्या है श्वसन और दहन में क्या अंतर है आदि के बारे में जानने के लिए इस पोस्ट को आपको पूरा पढ़ना होगा।
आज का दूसरा हमारा टॉपिक दहन है। दहन भी एक प्रकार की ऑक्सीकरण अभिक्रिया है जिसके फलस्वरूप कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प और ऊर्जा मुक्त होती है। अब छात्रों के दिमाग में कई प्रश्न उठते हैं जब श्वसन और दहन दोनों ही ऑक्सीकरण की अभिक्रिया है और दोनों में ही ऊर्जा मुक्त होती है तो फिर दोनों में अंतर क्या है ? इसके अतिरिक्त कई अन्य प्रश्न जैसे श्वसन क्या है, दहन क्या है और श्वसन और दहन में क्या अंतर है आदि आदि। इस पोस्ट के माध्यम से इन्हीं सवालों का जवाब देने का प्रयास किया गया है। अतः श्वसन क्या है, दहन क्या है श्वसन और दहन में क्या अंतर है आदि के बारे में जानने के लिए इस पोस्ट को आपको पूरा पढ़ना होगा।
श्वसन किसे कहते हैं what is respiration
सभी जीवों में कोशिकीय स्तर पर ऑक्सीजन की उपस्थिति में जैविक ऑक्सीकरण की क्रिया को श्वसन कहते हैं। इसमें ग्लूकोस के ऑक्सीकरण से कार्बन डाइऑक्साइड और जल बनते हैं।और ग्लूकोस में बंधित ऊर्जा बहुत ही मन्द गति से विभिन्न पदों में मुक्त होती है। इस ऊर्जा को कोशिका के अन्दर ATP में संग्रहित कर लिया जाता है। इस प्रकार श्वसन क्रिया में ऊर्जा ग्लूकोस से ATP में स्थानान्तरित होती है।
श्वसन की परिभाषा
"जीव जंतुओं की कोशिकाओं में ऑक्सीजन की उपस्थिति में भोजन के जैविक ऑक्सीकरण होने की क्रिया को श्वसन कहते हैं।"
इस प्रक्रिया में ग्लूकोज का ऑक्सीकरण होता है तथा कार्बन डाई ऑक्साइड और जल बनता हैं। इस क्रिया में ग्लूकोज में संचित ऊर्जा विभिन्न पदों में मुक्त होती है।
श्वसन के प्रकार
श्वसन दो प्रकार का होता है
External Respiration : वातावरण से ऑक्सीजन ग्रहण करने तथा कार्बन डाइऑक्साइड को निकालने की क्रिया external या बाह्य श्वसन कहलाती है।
Internal Respiration : ऑक्सीजन की उपस्थिति में कोशिकाओं के अंदर ग्लूकोस के ऑक्सीकरण की क्रिया को internal या आतंरिक श्वसन कहते हैं। इसे कोशिकीय श्वसन भी कहते हैं।
श्वसन की क्रिया में ऑक्सीजन एक अनिवार्य घटक है। किन्तु कई बार श्वसन की क्रिया ऑक्सीजन की उपस्थिति के बिना भी होती है। ऑक्सीजन की उपस्थित या अनुपस्थिति के आधार पर श्वसन दो प्रकार के होते हैं
ऑक्सी श्वसन (Aerobic Respiration)
ऑक्सीजन की उपस्थिति में होने वाला श्वसन ऑक्सीकरण कहलाता है। अधिकतर जीवधारियों (मनुष्य, पेड़-पौधों आदि) में इसी प्रकार का श्वसन होता है। इन जीवधारियों को एरोब्स कहते हैं। इसमें भोज्य पदार्थों का पूर्ण ऑक्सीकरण (Complete Oxidation) होता है जिसके फलस्वरूप CO2 जलवाष्प तथा अधिक ऊर्जा निकलती है, जो ATP के रूप में संचित हो जाती है।
C6H12O6 + 6O2 = 6 CO2 + 6H2O + 673 Kcal (ऊर्जा)
ऑक्सी श्वसन की क्रिया का कुछ भाग कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) में और शेष भाग माइट्रोकांड्रिया में होता श्वसन का कोशिका द्रव्य में होने वाला भाग ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis) तथा माइट्रोकांड्रिया में होने वाला भाग क्रेब्स-चक्र (Creb’s Cycle) कहलाता है।
एनएरोबिक या अनॉक्सी श्वसन
यह श्वसन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होने वाला श्वसन है। इस क्रिया में भोजन का अपूर्ण आक्सीकरण होता है। जन्तुओं में इस क्रिया के फलस्वरूप कार्बन डाई-आक्साइड तथा लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है तथा पौधों में कार्बन डाई-आक्साइड तथा इथाइल अल्कोहल बनता है एवं बहुत कम मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है। इस प्रकार का श्वसन कुछ निम्न श्रेणी के पौधों, यीस्ट, जीवाणु, एवं अन्तः परजीवी जन्तुओं जैसे गोलकृमि, फीताकृमि, मोनोसिस्टिस इत्यादि में होता है। कुछ विशेष परिस्थितियों में उच्च श्रेणी के जन्तुओं, पौधों के ऊतकों, बीजों, रसदार फलों आदि में भी आक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है। मनुष्यों या उच्च श्रेणी के जीवों की माँसपेशियों के थकने की अवस्था में यह श्वसन होता है। जिन जीवधारियों में यह श्वसन होता है उसे एनएरोब्स कहते हैं।
C6H12O6→2CH3CH2OH+2CO2 +118 किलो जूल ऊर्जा
दहन क्या है
श्वसन की परिभाषा
"जीव जंतुओं की कोशिकाओं में ऑक्सीजन की उपस्थिति में भोजन के जैविक ऑक्सीकरण होने की क्रिया को श्वसन कहते हैं।"
इस प्रक्रिया में ग्लूकोज का ऑक्सीकरण होता है तथा कार्बन डाई ऑक्साइड और जल बनता हैं। इस क्रिया में ग्लूकोज में संचित ऊर्जा विभिन्न पदों में मुक्त होती है।
श्वसन के प्रकार
श्वसन दो प्रकार का होता है
External Respiration : वातावरण से ऑक्सीजन ग्रहण करने तथा कार्बन डाइऑक्साइड को निकालने की क्रिया external या बाह्य श्वसन कहलाती है।
Internal Respiration : ऑक्सीजन की उपस्थिति में कोशिकाओं के अंदर ग्लूकोस के ऑक्सीकरण की क्रिया को internal या आतंरिक श्वसन कहते हैं। इसे कोशिकीय श्वसन भी कहते हैं।
श्वसन की क्रिया में ऑक्सीजन एक अनिवार्य घटक है। किन्तु कई बार श्वसन की क्रिया ऑक्सीजन की उपस्थिति के बिना भी होती है। ऑक्सीजन की उपस्थित या अनुपस्थिति के आधार पर श्वसन दो प्रकार के होते हैं
ऑक्सी श्वसन (Aerobic Respiration)
ऑक्सीजन की उपस्थिति में होने वाला श्वसन ऑक्सीकरण कहलाता है। अधिकतर जीवधारियों (मनुष्य, पेड़-पौधों आदि) में इसी प्रकार का श्वसन होता है। इन जीवधारियों को एरोब्स कहते हैं। इसमें भोज्य पदार्थों का पूर्ण ऑक्सीकरण (Complete Oxidation) होता है जिसके फलस्वरूप CO2 जलवाष्प तथा अधिक ऊर्जा निकलती है, जो ATP के रूप में संचित हो जाती है।
C6H12O6 + 6O2 = 6 CO2 + 6H2O + 673 Kcal (ऊर्जा)
ऑक्सी श्वसन की क्रिया का कुछ भाग कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) में और शेष भाग माइट्रोकांड्रिया में होता श्वसन का कोशिका द्रव्य में होने वाला भाग ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis) तथा माइट्रोकांड्रिया में होने वाला भाग क्रेब्स-चक्र (Creb’s Cycle) कहलाता है।
एनएरोबिक या अनॉक्सी श्वसन
यह श्वसन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होने वाला श्वसन है। इस क्रिया में भोजन का अपूर्ण आक्सीकरण होता है। जन्तुओं में इस क्रिया के फलस्वरूप कार्बन डाई-आक्साइड तथा लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है तथा पौधों में कार्बन डाई-आक्साइड तथा इथाइल अल्कोहल बनता है एवं बहुत कम मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है। इस प्रकार का श्वसन कुछ निम्न श्रेणी के पौधों, यीस्ट, जीवाणु, एवं अन्तः परजीवी जन्तुओं जैसे गोलकृमि, फीताकृमि, मोनोसिस्टिस इत्यादि में होता है। कुछ विशेष परिस्थितियों में उच्च श्रेणी के जन्तुओं, पौधों के ऊतकों, बीजों, रसदार फलों आदि में भी आक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है। मनुष्यों या उच्च श्रेणी के जीवों की माँसपेशियों के थकने की अवस्था में यह श्वसन होता है। जिन जीवधारियों में यह श्वसन होता है उसे एनएरोब्स कहते हैं।
C6H12O6→2CH3CH2OH+2CO2 +118 किलो जूल ऊर्जा
दहन क्या है
किसी ज्वलनशील पदार्थ के वायु अथवा किसी आक्सीकारक द्वारा जलाने की क्रिया को दहन कहा जाता है। दहन एक ऑक्सीकरण की अभिक्रिया है। इस अभिक्रिया में ऊष्मा तथा प्रकाश तथा अन्य विद्युत् चुम्बकीय विकिरण भी उत्पन्न हो सकते हैं। अतः हम कह सकते हैं कि दहन एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है। दहन में ज्वाला आँखों से दीख भी सकती है और नहीं भी।
तीव्र दहन : जब दाह्य तेजी से जलकर उष्मा और प्रकाश उत्पन्न करता है, तो इस प्रकार के दहन को तीव्र दहन (रैपिड कम्बसन) कहा जाता है।
मंद दहन (Slow combustion) :
ईंधन के दहन से ऊष्मा प्राप्त होती है। मानव शरीर को भी ऊर्जा अनवरत आपूर्ति की आवश्यकता पड़ती है। इसे हम अपने भोजन से प्राप्त करते हैं। किंतु खाद्य पदार्थों का दहन हमारे शरीर में बहुत धीरे-धीरे होता है।
इसी कारण इसको मंद दहन कहते हैं । यह अपेक्षाकृत कम ताप पर होता है, अर्थात् यह शरीर के ताप पर ही संपादित होता है। इसमें शरीर का एंजाइम उत्प्रेरक का काम करता है।
स्वत: दहन (स्पौनटेनियश दहन) :
वैसा दहन जिसमें पदार्थ बिना किसी प्रत्यक्ष कारण के, अचानक लपटों के साथ जल उठता है, स्वत: दहन
विस्फोट (Explosion)-
ऐसे दहन की क्रिया को जो बाहरी दाब या प्रहार के प्रभाव से होती है तथा इस प्रक्रिया में प्रकाश एवं ऊष्मा के साथ-साथ ध्वनि भी उत्पन्न होती है, विस्फोट कहते हैं।
श्वसन और दहन में क्या अंतर है
इस प्रकार हम देखते हैं श्वसन और दहन दोनों ही ऑक्सीकरण की अभिकिर्या होते हुए भी दोनों में कई अंतर है। श्वसन एक प्रकार का मंद दहन कहा जा सकता है किन्तु हर दहन श्वसन नहीं हो सकता।
दहन के लिए आवश्यक शर्तें :
दहन के लिये वायु (ऑक्सीजन) न्यूनतम आवश्यक ताप (ज्वलन ताप) और दहनशील वस्तु होना आवश्यक है।
दहन चार प्रकार के होते है
दहन के लिये वायु (ऑक्सीजन) न्यूनतम आवश्यक ताप (ज्वलन ताप) और दहनशील वस्तु होना आवश्यक है।
दहन चार प्रकार के होते है
तीव्र दहन : जब दाह्य तेजी से जलकर उष्मा और प्रकाश उत्पन्न करता है, तो इस प्रकार के दहन को तीव्र दहन (रैपिड कम्बसन) कहा जाता है।
मंद दहन (Slow combustion) :
ईंधन के दहन से ऊष्मा प्राप्त होती है। मानव शरीर को भी ऊर्जा अनवरत आपूर्ति की आवश्यकता पड़ती है। इसे हम अपने भोजन से प्राप्त करते हैं। किंतु खाद्य पदार्थों का दहन हमारे शरीर में बहुत धीरे-धीरे होता है।
इसी कारण इसको मंद दहन कहते हैं । यह अपेक्षाकृत कम ताप पर होता है, अर्थात् यह शरीर के ताप पर ही संपादित होता है। इसमें शरीर का एंजाइम उत्प्रेरक का काम करता है।
स्वत: दहन (स्पौनटेनियश दहन) :
वैसा दहन जिसमें पदार्थ बिना किसी प्रत्यक्ष कारण के, अचानक लपटों के साथ जल उठता है, स्वत: दहन
विस्फोट (Explosion)-
ऐसे दहन की क्रिया को जो बाहरी दाब या प्रहार के प्रभाव से होती है तथा इस प्रक्रिया में प्रकाश एवं ऊष्मा के साथ-साथ ध्वनि भी उत्पन्न होती है, विस्फोट कहते हैं।
श्वसन और दहन में क्या अंतर है
- श्वसन एक जैव रासायनिक अभिक्रिया है जो केवल जीव शरीर में संपन्न होती है वहीँ दहन एक अजैविक क्रिया है।
- श्वसन में पदार्थों का धीमी गति से ऑक्सीकरण होता है जबकि दहन में तीव्र गति से ऑक्सीकरण होता है।
- श्वसन क्रिया में ऊर्जा मुक्त होती है और वह ATP के रूप में संचित रहती है जबकि दहन में ऊर्जा प्रकाश और ताप के रूप में निकलती है।
- श्वसन एक नियंत्रित क्रिया है और यह कम ताप पर होती है वहीँ दहन एक अनियंत्रित क्रिया है जो उच्च ताप पर होती है।
- श्वसन में ऊर्जा थोड़ी थोड़ी मात्रा में कई चरणों में मुक्त होती है जबकि दहन में सम्पूर्ण ऊर्जा एक साथ मुक्त होती है।
- श्वसन की क्रिया में बहुत ही कम ताप उत्सर्जित होता है जिससे कोशिकाओं को क्षति नहीं पंहुचती वहीँ दहन में उच्च ताप मुक्त होता है।
- श्वसन की क्रिया में एंजाइम की आवश्यकता होती है जबकि दहन की क्रिया में एंजाइम की आवश्यकता नहीं होती।
इस प्रकार हम देखते हैं श्वसन और दहन दोनों ही ऑक्सीकरण की अभिकिर्या होते हुए भी दोनों में कई अंतर है। श्वसन एक प्रकार का मंद दहन कहा जा सकता है किन्तु हर दहन श्वसन नहीं हो सकता।
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