इंग्लिश एक अंतर्राष्ट्रीय भाषा है और इसे विश्व के अधिकांश हिस्से में पढ़ा, लिखा और बोला जाता है। कई देशों की तो यह आधिकारिक भाषा है। यद्द्यपि इंग्लिश की उत्त्पत्ति इंग्लैंड से मानी जाती है तो भी अलग अलग देशों में इसके स्वरुप में कई परिवर्तन देखने को मिलते हैं। इसी क्रम में अमेरिकन इंग्लिश, कनाडियन इंग्लिश, ऑस्ट्रेलियन इंग्लिश आदि आते हैं जो एक्सेंट, शब्द, ग्रामर आदि में एक दूसरे से कुछ भिन्न हैं।
इंग्लिश सीखने वालों के साथ हमेशा एक समस्या रहती है कि वह अमेरिकन इंग्लिश सीखें या ब्रिटिश। दोनों में से कौन बेहतर है। किसमे काम और करियर के अवसर ज्यादा हैं। वैसे तो अमेरिकन इंग्लिश और ब्रिटिश इंग्लिश में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है और कोई भी अंग्रेजी जानने वाला दोनों को समझ सकता है और अपना काम कर सकता है फिर भी कुछ मामलों में जैसे एक्सेंट, शब्दावली, स्पेलिंग आदि में दोनों इंग्लिश में थोड़ा फर्क है और इसे जानने वाले के लिए वहां काम करना आसान होता है। अतः अंग्रेजी सीखने वालों के लिए बेहतर है कि वे जानें कि किस उद्द्येश्य से वे सीख रहे हैं। अमेरिका जाने वाले और वहां काम करने वालों के लिए अमेरिकन इंग्लिश सीखना उनके काम को आसान बना देता है इसी तरह ब्रिटेन में रहने के इच्छुक ब्रिटिश एक्सेंट पर ज्यादा ध्यान देते हैं।
अमेरिका में इंग्लिश की शुरुवात 16 वीं और 17 वीं शताब्दी से मानी जाती है जब ब्रिटिशों का जत्था अमेरिका में पंहुचा। उस समय इंग्लिश परिवर्तन के दौर से गुजर रही थी और कोई मानक डिक्शनरी न होने की वजह से शब्दों का कोई सर्वमान्य मानक नहीं था। उसी दौर में इंग्लैंड में लन्दन के विद्वानों ने डिक्शनरी तैयार करना शुरू किया और अंग्रेजी को एक स्टैण्डर्ड स्वरुप मिलना शुरू हो गया। इसी दौर में रिसीव्ड प्रोनन्सिएशन का फैशन भी शुरू हो चूका था। इसी बीच अमेरिका में नोह् वेबस्टर नामक एक शब्दकोष रचयिता ने अमेरिका के लिए एक शब्दकोष बनाना शुरू किया। ऐसा माना जाता है उसने जानबूझ कर बहुत सारे शब्दों की स्पेलिंग ब्रिटिश इंग्लिश चेंज कर दी ताकि अमेरिकन इंग्लिश ब्रिटिश इंग्लिश से अलग दीख सके। ऐसा उसने शब्दों की स्पेलिंग को आसान बनाने के लिए भी किया होगा, ऐसी धारणा है। इसके अतिरिक्त अमेरिका में जो इंग्लिश गयी थी उसी से उसका विकास होता गया और इसके बाद के इंग्लैंड में इंग्लिश में परिवर्तनों का अमेरिका की इंग्लिश पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
अमेरिकन इंग्लिश जिसे US इंग्लिश, AmE, AE या AmEng के नाम से भी जाना जाता है संयुक्त राज्य अमेरिका में बोले जाने वाली मुख्य भाषा है। इसे अमेरिका के 50 में से 32 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों में आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता है। हालाँकि सम्पूर्ण अमेरिका की बात करें तो यह प्रशासनिक और न्यायालयों में आधिकारिक रूप से प्रयोग में आने वाली भाषा है। अमेरिका में इस भाषा के बोलने वालों की संख्या करीब 225 मिलियन है। विश्व में इंग्लिश जानने वाले लोगों में अमेरिकन इंग्लिश जानने वालों की संख्या सर्वाधिक है।
Webster’s New World College Dictionary में अमेरिकन इंग्लिश की परिभाषा इस प्रकार दी गयी है
“The English language as spoken and written in the U.S. and as distinguished esp. from British English“
संयुक्त राज्य अमेरिका में इंग्लिश भाषा की शुरुवात ब्रिटिश कॉलोनियों की स्थापना के साथ मानी जाती है। 17 वीं शताब्दी के दौरान अंग्रेजी बोलने वालों का अमेरिका में आना शुरू हुआ। ब्रिटिश प्रवासियों का अमेरिका में आना और बसना 18 वीं और 19 वीं शताब्दी में भी जारी रहा। ब्रिटेन के इन प्रवासियों में ब्रिटैन के विभिन्न क्षेत्रों के लोग शामिल थे। इस वजह से इन क्षेत्रों की बोलियों और उच्चारणों का यहाँ की अंग्रेजी पर खूब प्रभाव पड़ा। साथ ही साथ इस पर अमेरिका की स्थानीय बोलियों का भी ख़ासा असर हुआ। 18 वीं शताब्दी के मध्य तक आते आते अमेरिका में प्रचलित इंग्लिश पुरे अमेरिका में एकरूपता लेकर सर्वमान्य हो चुकी थी।
अमेरिकन इंग्लिश वैसे तो बोलने और लिखने में ब्रिटिश इंग्लिश के समान ही है और अंग्रेजी जानने वालों को दोनों ही भाषाओँ के प्रयोग में कोई ख़ास दिक्कत नहीं आती है फिर भी कई मायनों में अमेरिकन इंग्लिश ब्रिटिश इंग्लिश से भिन्न है। अमेरिकन इंग्लिश अपने विशिष्ट उच्चारण शैली , स्पेलिंग, ग्रामर आदि की वजह से अपनी एक ख़ास पहचान बनाती है और इसी वजह से इसे ब्रिटिश इंग्लिश से अलग अमेरिकन इंग्लिश का नाम दिया जाता है।
अमेरिकन इंग्लिश में शब्दों का उच्चारण और बलाघात(accent) इसे विशेष और अन्य इंग्लिश से अलग बनाता है। इसमें “o” का उच्चारण “ओ” (rounded lip) न हो कर प्रायः “आ” किया जाता है। cot और caught के उच्चारण लगभग एकसमान होते हैं।
अमेरिकन इंग्लिश में कई शब्दों की स्पेलिंग भी आम इंग्लिश से भिन्न है। अमेरिकन इंग्लिश में colour को color, burnt की जगह burned, centre को center, catalogue के स्थान पर catalog, licence को license लिखा जाता है। इस तरह के शब्दों की सूचि काफी लम्बी है जिन्हें अमेरिकन इंग्लिश में अलग तरह से स्पेल किया जाता है।
अमेरिकन इंग्लिश के शब्दकोष में कई ऐसे शब्द हैं जो इसे अन्य इंग्लिश से अलग करते हैं। यहाँ ट्राउज़र्स की जगह पैन्ट्स, फ्लैट की जगह अपार्टमेंट्स, कार के बोनेट के लिए हुड, लोरी को ट्रक, यूनिवर्सिटी को कॉलेज, बिस्किट को कूकीज, फूटबाल को सॉकर और शॉप को स्टोर बोलने का रिवाज है।
अमेरिकन इंग्लिश का ग्रामर भी इसे विशेष बनाता है। अमेरिकन इंग्लिश में need not के स्थान पर do not need कहने का प्रचलन है। अमेरिकन shall की जगह will या should का प्रयोग बहुतायत से करते हैं। अमेरिकन इंग्लिश में कई कलेक्टिव नाउन को सिंगुलर की तरह प्रयोग किया जाता है जैसे The band is playing ब्रिटिश इस तरह के नाउन को आवश्यकतानुसार सिंगुलर और प्लुरल दोनों मानते हैं और उसी के अनुसार प्रयोग करते हैं।
इस तरह हम देखते हैं अमेरिकन इंग्लिश अपनी विशिष्ट उच्चारण शैली, स्पेलिंग, शब्द आदि की विशेषताओं की वजह से सामान्य इंग्लिश से कुछ अलग स्थान रखती है। हालाँकि इंग्लिश बोलने वाले लोगों के लिए अमेरिकन इंग्लिश को लिखना और समझना कोई अलग कार्य नहीं है।
ग्रेट ब्रिटेन में बोली जाने वाली और प्रयोग की जाने वाली मानक इंग्लिश भाषा ब्रिटिश इंग्लिश कहलाती है। यह पूरी दुनिया में सर्वाधिक प्रयोग की जाने वाली इंग्लिश भाषा में से एक है। ब्रिटिश शासन के अंतर्गत आने वाले अधिकांश देशों में इंग्लिश का यही स्वरुप लोकप्रिय है।
ब्रिटिश इंग्लिश को ब्रिट इंग्लिश, BrE के नामों से चिन्हित किया जाता है। इसे सामान्य रूप में केवल इंग्लिश या अंग्रेजी भी बोला जाता है। वास्तव में जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इंग्लिश की बात होती है तो इसे अमेरिकन इंग्लिश या अन्य इंग्लिश से अलग दर्शाने के लिए ब्रिटिश इंग्लिश बोला जाता है।
ब्रिटिश इंग्लिश का विकास वास्तव में कई भाषाओँ और बोलियों के मिश्रण से हुआ है। इसपर विदेशी आक्रमणों का भी प्रभाव खूब पड़ा। 8 वीं और 9 वीं शताब्दी में जर्मन स्कैंडीनिवियन जो ब्रिटेन के कुछ हिस्सों में बसे थे, उनकी भाषा और बोलियों ने इंग्लैंड में अपनी गहरी छाप छोड़ी। फिर 11 वीं शताब्दी में नार्मन साम्राज्य के प्रभाव से एंग्लो नार्मन अंग्रेजी का विकास हुआ। जर्मन के अतिरिक्त रोमन, फ्रेंच, नेदरलैंड का भी प्रभाव इंग्लिश भाषा पर देखने को मिलता है।
किसी भी भाषा पर क्षेत्र विशेष का प्रभाव पड़ता है और इस प्रकार एक ही भाषा दो अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग ढंग से बोली जाती है। यह अंतर उच्चारण, accent, स्पेलिंग, ग्रामर आदि में हो सकता है। यही बात अंग्रेजी के साथ भी लागू होती है। ब्रिटैन में इंग्लिश कई तरह से बोली जाती है। वास्तव में यह वहां के अलग अलग क्षेत्रों की बोलियों(dialect) से प्रभावित होती है। मैनचेस्टर के लोगों द्वारा प्रयोग में लायी जाने वाली इंग्लिश लंदन के लोगों द्वारा बोली जाने वाली इंग्लिश से भिन्न हो जाती है। इसी तरह इंग्लैंड के ग्रामीण क्षेत्रों में बोली जाने वाली इंग्लिश शहरों में बोली जाने वाली इंग्लिश से थोड़ी भिन्न हो जाती है। इन सबके बावजूद जब भी इंग्लिश सीखने या सीखाने की बात होती है तो लोग इसके मानक रूप को लेकर चलते हैं जिसे हर जगह एक सामान रूप से स्वीकार्यता है और इंग्लिश के इस रूप को स्टैण्डर्ड इंग्लिश के तौर पर मान्यता दी जाती है। ब्रिटिश इंग्लिश का यह फॉरमेट द क्वींस इंग्लिश (The Queen’s English) बोला जाता है और इंग्लिश के इस फॉरमेट के उच्चारण या accent को रिसीव्ड प्रोनन्सिएशन (Received Pronunciation या RP) कहा जाता है। बहुत से लोग इसे ऑक्सफ़ोर्ड इंग्लिश या बीबीसी इंग्लिश भी कहते हैं। इंग्लिश की डिक्शनरियों में, बहुत सारे विश्वविद्यालयों में और विदेशियों को इंग्लिश सिखाने के लिए इसी रिसीव्ड प्रोनन्सिएशन का प्रयोग किया जाता है। रिसीव्ड प्रोनन्सिएशन का प्रयोग ब्रिटिश उच्च वर्ग में खूब होता है। इसके अलावा उच्च शिक्षित लोग, राजनेता, शिक्षक, टीवी तथा फिल्म कलाकारों द्वारा भी इसी तरह की इंग्लिश का प्रयोग होता है। ब्रिटिश इंग्लिश का अंतर्राष्ट्रीय स्वरुप भी RP यानि रिसीव्ड प्रोनन्सिएशन को फॉलो करता है। हालाँकि इन सब के बावजूद ब्रिटेन में रिसीव्ड प्रोनन्सिएशन का प्रयोग करने वालों की संख्या कुल आबादी का केवल 2 प्रतिशत ही हैं।
अमेरिकन इंग्लिश और ब्रिटिश इंग्लिश दोनों मूलतः एक होते हुए भी कई मायनों एक दूसरे से भिन्न हैं। अमेरिकन और ब्रिटिश इंग्लिश का अंतर उनके उच्चारण, स्पेलिंग, वर्ड,प्रिपोजिशन और ग्रामर आदि में नज़र आता है।
Pronunciation and Accent
अमेरिकन इंग्लिश अपने विशिष्ट उच्चारण और एक्सेंट की वजह से ब्रिटिश इंग्लिश से काफी अलग नज़र आता है।
अमेरिकन इंग्लिश में कई ऐसे शब्द हैं जिनकी स्पेलिंग ब्रिटिश इंग्लिश से भिन्न होती है
इस तरह के शब्दों की संख्या सैकड़ों में है जिनकी स्पेलिंग अमेरिकन इंग्लिश और ब्रिटिश इंग्लिश में अलग अलग है।
Vocabulary differences
बहुत सारे शब्द ऐसे हैं जिनके लिए अमेरिकन और ब्रिटिश इंग्लिश में अपने अपने शब्द हैं
ये तो कुछ उदहारण हैं। वास्तव में अमेरिकन इंग्लिश और ब्रिटिश इंग्लिश इस तरह के शब्दों का अंतर बहुत ज्यादा है।
Difference Between Grammar
Conclusion
कई सारे अंतरों के बावजूद अमेरिकन इंग्लिश और ब्रिटिश इंग्लिश में काफी समानताएं हैं और इसी वजह से दोनों ही देशों के लोगों को एक दूसरे को समझने में कोई ज्यादा परेशानी नहीं होती है। अमेरिकन इंग्लिश की खासियत इसके शब्दों की स्पेलिंग का सरल होना है वहीँ ब्रिटिश इंग्लिश अपने क्लासिकल उच्चारण की वजह से अपना विशिष्ट स्थान रखती है।
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