डी एन ए और आर एन ए में क्या अंतर है
डीएनए और आरएनए दोनों ही न्यूक्लिक एसिड होते हैं। इन दोनों की रचना न्यूक्लिओटाइड्स से होती है जिनके निर्माण में कार्बन शुगर, फॉस्फेट और नाइट्रोजन बेस की मुख्य भूमिका होती है। डीएनए जहाँ आनुवंशिक गुणों का वाहक होता है और कोशिकीय कार्यों के संपादन के लिए कोड प्रदान करता है वहीँ आरएनए की भूमिका उस कोड को प्रोटीन में परिवर्तित करना होता है।
डीएनए सुचना वाहक अणु होते हैं। यह मेमोरी चीप की तरह शरीर से सम्बंधित सारी सूचनाएं एकत्रित कर के रखते हैं और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक आनुवंशिक गुणों को ले जाने का कार्य करते हैं। डीएनए अन्य बड़े अणुओं को बनाने के लिए निर्देशों को संगृहीत करता है जिन्हे प्रोटीन कहा जाता है। ये निर्देश प्रत्येक कोशिका के केन्द्रक के भीतर गुणसूत्रों में संग्रहित किये जाते हैं। ये गुणसूत्र डीएनए के हज़ारों छोटे छोटे खण्डों से बने होते हैं जिन्हें जीन कहा जाता है। प्रत्येक जीन प्रोटीन के टुकड़े, पुरे प्रोटीन या कई विशिष्ट प्रोटीन बनाने के लिए निर्देशों को संग्रहित करता है।
डीएनए का फुलफॉर्म डी ऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड होता है। इसकी खोज 1953 में जेम्स वाटसन और फ्रांसिस क्रीक ने की थी। वाटसन और क्रीक ने डीएनए का मॉडल प्रस्तुत किया था जिसे हम डबल हेलिक्स कहते हैं इसमें दो लम्बे स्ट्रैंड्स एक घूमी हुई सीढ़ी की तरह दीखते थे।
डीएनए जीवित कोशिका के केन्द्रक में गुणसूत्रों के रूप में होता है। डीएनए की कुछ मात्रा माइटोकॉण्ड्रिआ में भी पाया जाता है जिसे mtDNA या माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए कहा जाता है। यह एक घुमावदार सीढ़ी की तरह की रचना होती है। डीएनए का एक अणु चार अलग अलग चीज़ों से बना होता है जिन्हे न्यूक्लिओटाइड कहते हैं। इन न्यूक्लिओटाइड की रचना मुख्य रूप से नाइट्रोजन से होती है। इन न्यूक्लिओटाइड को एडेनिन, ग्वानिन, थाइमिन और साइटोसीन कहा जाता है। इसमें डिऑक्सीरिबोज़ नमक शक्कर भी पाया जाता है। इन न्यूक्लिओटाइड को फॉस्फेट का अणु जोड़ता है। इसमें साइटोसीन और थाइमिन का एक रिंग होता है जिसे पीरिमिडीन कहा जाता है जबकि एडेनिन और गवानीन के रिंग को प्यूरिन कहा जाता है।
डीएनए सभी आनुवंशिक क्रियाओं का संचालन करता है। डीएनए का प्रमुख कार्य आनुवंशिक कोड का उपयोग करके प्रोटीन में अमीनो एसिड अवशेषों के अनुक्रम को एनकोड करना है। इसके अतिरिक्त यह प्रोटीन संश्लेषण को भी नियंत्रित करता है डीएनए पॉलिमर प्रोटीन नामक अन्य पॉलिमर के उत्पादन को निर्देशित करते हैं।
राइबोन्यूक्लिक एसिड (आरएनए) एक बहुलक अणु है जो विभिन्न जैविक भूमिकाओं में कोडिंग, डीकोडिंग, विनियमन और अभिव्यक्ति की जीन में आवश्यक है। यह वास्तव में उच्च आणविक भार का जटिल यौगिक होता है जो सेलुलर प्रोटीन संश्लेषण में कार्य करता है और कुछ वायरस में आनुवंशिक कोड के वाहक के रूप में डीएनए की जगह लेता है। आरएनए और डीएनए न्यूक्लिक एसिड हैं, और लिपिड, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के साथ, जीवन के सभी ज्ञात रूपों के लिए आवश्यक चार प्रमुख मैक्रोमोलेक्यूल्स का गठन करते हैं। आरएनए एक सिंगल बहु न्यूक्लियोटाइड श्रंखला वाला तंतुनुमा अणु जिसमे फॉस्फेट और राइबोज़ शर्करा की इकाइयां अलटरनेट क्रम में स्थापित होती हैं। आरएनए शरीर में डीएनए के जींस को नक़ल करके व्यापक रूप में आगे बढ़ाने का काम करता है। साथ ही साथ आरएनए कोशिकाओं में अन्य जेनेटिक सामग्री पंहुचाने का काम करता है।
आर एन ए का फुलफॉर्म राइबोज़ न्यूक्लिक एसिड होता है। आर एन ए की खोज फ्रेडरिक मीचेर ने की थी।
आर एन ए के निर्माण में राइबोज़ से जुड़े चार नाइट्रोजन बेस होते हैं जिनके नाम युरासील, एडेनिन, ग्वानिन और साइटोसीन होते हैं। आर एन ए में राइबोज़ न्यूक्लियोटाइड्स होते हैं जो अलग अलग लम्बाई के तंतु बनांते हैं। डीएनए के विपरीत आर एन ए सिंगल स्ट्रैंड का बना होता है। डीएनए की तरह, mRNA, tRNA, rRNA, snRNAs, और अन्य गैर-कोडिंग RNAs सहित अधिकांश जैविक रूप से सक्रिय RNA में सेल्फ कॉम्प्लिमेंट्री सीक्वेंस में होते हैं जो RNA के कुछ हिस्सों को मोड़ने की अनुमति देते हैं और जोड़े को खुद को दुहराते हैं। इन आरएनए के विश्लेषण से पता चलता है कि वे अत्यधिक संरचित हैं। डीएनए के विपरीत, उनकी संरचनाओं में लंबे समय तक दोहरे हेलिक्स (कुंडलित घुमाव ) शामिल नहीं हैं, बल्कि प्रोटीनों की संरचना में एक साथ पैक किए गए छोटे हेलिक्स का संग्रह है।
आर एन ए कई तरह के होते हैं जिनमे तीन प्रमुख हैं राइबोसोमल आर एन ए, ट्रांसफर आर एन ए और मेसेंजर आर एन ए।
आर एन ए का कार्य मुख्य रूप से प्रोटीन संश्लेषण करना होता है। mRNA के रूप में, डीएनए में संग्रहीत क्रम के अनुरूप अमीनो एसिड के क्रम के साथ राइबोसोम द्वारा प्रोटीन संश्लेषण के लिए एक टेम्पलेट प्रदान करता है। राइबोसोमल आर एन ए के रूप में, राइबोसोम संरचना का आधा हिस्सा बनाता है (दूसरे आधे प्रोटीन होते हैं) इसके साथ ही ट्रांसफर आर एन ए के रूप में, पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला में शामिल होने के लिए अमीनो एसिड को एक पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला में शामिल करने के लिए संश्लेषित किया जाता है। इसके अतिरिक्त कुछ आरएनए में एंजाइम गतिविधि (राइबोजाइम) होती है, और एंजाइम के रूप में कार्य करती है।
उपसंहार
डीएनए और आरएनए हमारे जीवन के लिए आवश्यक अणुओं में हैं। ये हमारे आनुवंशिक गुणों की प्रतिलिपि होते हैं या उस प्रतिलिपि तैयार करने में मदद करते हैं। हालाँकि डीएनए और आरएनए की संरचना एक दूसरे से भिन्न होती है और इनके कार्यों में भी फर्क होता है। किन्तु कुल मिलाकर ये दोनों मिलकर ही अपने उद्द्येश्यों को अंजाम तक पँहुचाते हैं।
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