रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा के लिए अकसर पुलिस वाले दीखते हैं जो वर्दियों में यात्रियों और स्टेशन की सुरक्षा के लिए तैनात होते हैं। ये सुरक्षाबल या तो RPF के जवान होते हैं या फिर GRP के। अकसर लोग कन्फ्यूज्ड हो जाते हैं आखिर रेलवे स्टेशनों पर ये दो तरह के सुरक्षा बल क्यों होते हैं। एक ही जगह दो तरह के पुलिस की क्या आवश्यकता है और ये RPF और GRP में अंतर क्या है ? आईये इस पोस्ट के माध्यम से जानें RPF और GRP क्या हैं और इनमे क्या अंतर है ?
RPF जिसका फुल फॉर्म होता है रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स यह रेलवे की सम्पत्तियों की सुरक्षा के लिए उत्तरदायी होता है। RPF की स्थापना रेलवे की परिसम्पत्तियों की बेहतर सुरक्षा के लिए भारतीय संसद के द्वारा पारित रेलवे प्रोटेक्शन एक्ट 1957 के तहत एक सुरक्षा बल के रूप में की गयी थी।
RPF भारत के रेल मंत्रालय के अधीन काम करता है। RPF के पास तलाशी, गिरफ़्तारी, जांच और मुकदमा चलाने की शक्ति होती है किन्तु इस मामले में इसे पूरी स्वतंत्रता नहीं है। इस मामले में पूरी शक्ति जीआरपी के अधीन होती है।
भारत में रेलवे का संचालन शुरू होने के साथ ही इसकी सुरक्षा की आवश्यकता महसूस की जाने लगी। चूँकि रेलवे एक अंतर्राज्यीय परिवहन व्यवस्था थी अतः इसे सामान्य सुरक्षा बल को अपना कार्य करने में कठिनाई हो सकती थी। अतः शुरू में भारतीय रेलवे ने पुलिस अधिनियम 1861 को लागू करके कुछ कर्मचारियों को एक सुरक्षा बल के रूप में नियुक्त किया। उस समय इन्हीं कर्मचारियों के द्वारा रेलवे अपनी सुरक्षा और संरक्षा का कार्य लेती थी। फिर 2 जुलाई 1872 में रेलवे पुलिस कमिटी की सिफारिश पर इसे दो भागों में पृथक कर दिया गया। रेलवे में वाच और वार्ड कर्तव्यों के लिए कंपनी पुलिस का गठन किया गया जिसे RPF की शुरुवात कहा जा सकता है। उस समय इसे कंपनी पुलिस कहा जाता था। रेलवे पुलिस का दूसरा भाग जिसे कानून प्रवर्तन की जिम्मेदारी दी गयी थी वह जीआरपी के गठन की नींव माना जा सकता है। इन दोनों ही तरह की पुलिस के कर्तव्यों का वास्तविक पृथक्करण हालाँकि 1881 में प्रभावी हुआ। 1957 में इसी कंपनी पुलिस को RPF के रूप में गठित किया गया। RPF के नियम 10 सितम्बर 1959 को बने और 1966 में इसके रेगुलशनों को तैयार किया गया। 1965 में RPF को पिछले चीनी आक्रमण को मद्दे नज़र रखते हुए सीमावर्ती ट्रेनों में सुरक्षा के लिए एक विशेष नाम RPSF रेलवे सुरक्षा विशेष बल का नाम दिया गया। 1966 में रेलवे संपत्ति अधिनयम लागू हुआ जिसमे RPF को रेल संपत्ति सुरक्षा के लिए कुछ विशेष अधिकार दिए गए। पुनः RPF अधिनियम 1957 में संघ के सशस्त्र बल के गठन और रखरखाव के लिए 1985 में संशोधन किया गया। और फिर अधिनियम के उद्द्येश्यों को पूरा करने के लिए RPF अधिनियम 1987 बनाया गया।
इन्हें भी पढ़ें
स्टेट हाईवे, नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे में क्या अंतर है
स्टेशन, जंक्शन, टर्मिनस और सेंट्रल स्टेशन में क्या अंतर है
डेमू और मेमू ट्रेनों में क्या अंतर है
भारतीय रेलवे में कानून और व्यवस्था स्थापित करने की जिम्मेदारी जीआरपी की होती है। जीआरपी का फुलफॉर्म होता है Government Railway Police जीआरपी की स्थापना संसद के रेलवेज एक्ट 1989 के तहत की गयी थी। जीआरपी रेलवे परिसर में कानून और व्यवस्था बनाये रखने के साथ साथ लोगों की सुरक्षा और अपराध की रोकथाम जैसी गतिविधियों को अंजाम देती हैं।
जीआरपी भारतीय रेलवे मंत्रालय और अलग अलग राज्यों के राज्य पुलिस के संयुक्त नियंत्रण और निगरानी में काम करती है। जीआरपी के अधिकारीयों की नियुक्ति भारतीय पुलिस सेवा के द्वारा होता है।
अनौपचारिक रूप जीआरपी की स्थापना का इतिहास भारत में रेलवे की शुरुवात के साथ ही माना जा सकता है जब रेलवे ट्रेनों में और रेलवे परिसर में सुरक्षा और संरक्षा के लिए एक पुलिस बल की स्थापना की आवश्यकता महसूस हुई और इसके लिए एक सुरक्षा बल का गठन किया गया। जिसे बाद में 2 जुलाई 1872 में रेलवे पुलिस कमिटी की सिफफिश के आधार पर कार्यों के आधार पर दो भागों में बाँट दिया गया। इसमें कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी निभाने वाले विभाग को सरकारी रेलवे पुलिस के रूप में परिभाषित किया गया। यह प्रक्रिया 1881 में प्रभावी हुई और इस तरह से जीआरपी की शुरुवात हुई।
जीआरपी का मुख्य काम भारत के रेलवे स्टेशनों के भीतर यात्री यातायात नियंत्रण करना, भीड़ भाड़ रोकना, रेलवे परिसर में वाहन यातायात नियंत्रण करना, अपराध रोकना और अपराधियों को गिरफ्तार करना आदि है। इसके साथ ही प्लेटफार्म और ट्रेनों के अंदर हॉकरों को नियंत्रित करना, भिखारियों पर रोकथाम करना, यात्रियों द्वारा छोड़ी गयी सम्पत्तियों और ट्रेन की बोगियों की सुरक्षा हेतु जांच करना, स्टेशन परिसर में मृत व्यक्तियों के शवों को हटवाना, बीमार तथा घायल व्यक्तियों की चिकित्सा व्यवस्था करना आदि है।
जीआरपी रेलवे अधिनियम 1989 का उल्लंघन करने वाले यात्रियों को गिरफ्तार कर सकती है मसलन बिना टिकट यात्रा में टिकट परीक्षक द्वारा पकडे गए यात्री को गिरफ्तार करना , चोरी, यौन उत्पीड़न आदि। रेलवे कर्मचारियों की खिलाफ धोखाधड़ी आदि या रेलवे कर्मचारियों के मध्य होने वाले मारपीट, धमकी आदि के विरुद्ध कार्रवाई करने का भी अधिकार जीआरपी के पास होता है। किसी भी विशेष परिस्थिति में जीआरपी रेलवे अधिकारीयों और RPF के लिए सहायता भी प्रदान करता है।
RPF का फुलफॉर्म होता है Railway Protection Force यानि रेलवे सुरक्षा बल जबकि GRP का फुलफॉर्म होता है Government Rail Police
उपसंहार
भारतीय रेलवे पुरे विश्व के सबसे भीड़ भाड़ और सबसे विशाल नेटवर्कों में से एक है। रोज करोड़ों लोग भारतीय रेलवे से यात्रा करते हैं। इसके साथ ही लाखों टन माल की ढुलाई भी इसके मार्फ़त से होती है। ऐसे में रेलवे सम्पत्तियों और यात्रियों की सुरक्षा और बाधारहित यात्रा एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। और इस बड़ी जिम्मेदारी RPF और GRP की वजह से ही संभव हो पाती है। RPF और GRP दोनों की जिम्मेदारियां हालाँकि अलग अलग है और दोनों की नियुक्ति, रिपोर्टिंग और कार्यक्षेत्र में अंतर है किन्तु फिर भी दोनों ही भारतीय रेलवे के महत्वपूर्ण अंग हैं और रेल की जिम्मेदारियों को सरलता और सुरक्षित कार्यान्वित करने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
Surya
Acchi jaankari thi
Thanks