स्टेट हाईवे, नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे में क्या अंतर है
सड़कें किसी देश की अर्थव्यवस्था को उन्नत और सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये किसी देश की आर्थिक सेहत को प्रतिबिंबित करती हैं। भारत में भी सड़कों का एक विशाल नेटवर्क है और इस मामले में पूरी दुनिया में भारत का स्थान चीन के बाद दूसरा है। भारत में सड़क नेटवर्क में मुख्य रूप से तीन तरह की सड़कें आती हैं स्टेट हाईवे, नेशनल हाईवे तथा एक्सप्रेसवे। यात्री परिवहन तथा माल ढुलाई में इन तीनों ही तरह की सड़कों का महत्वपूर्ण योगदान है। आज के इस पोस्ट में हम पढ़ेंगे राज्य राजमार्ग यानि स्टेट हाईवे क्या है, नेशनल हाईवे अर्थात राष्ट्रीय राजमार्ग क्या है, एक्सप्रेसवे किसे कहते हैं और इन तीनों में क्या अंतर है ,एक्सप्रेसवे और हाईवे में क्या फर्क है।
What is State Highway ?
जैसे राष्ट्रीय राजमार्ग की देखभाल केंद्र सरकारें करती हैं, वैसे ही राजकीय राजमार्ग की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार के जिम्मे होती है। हालांकि राज्य राजमार्गों का निर्माण और रखरखाव संबंधित राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है, फिर भी सन 2000 में केंद्रीय सड़क निधि (सीआरएफ) के पुनरुद्धार के साथ, केंद्र राज्य सड़कों के विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। इसके अलावा, केंद्र सरकार अंतर-राज्य कनेक्टिविटी के लिए 100% अनुदान और सीआरएफ से आर्थिक महत्व की परियोजनाओं के लिए 50% अनुदान प्रदान करती है।
पुरे देश में स्टेट हाईवे की लम्बाई कितनी है ?
पूरे देश में राजकीय या राज्य राजमार्ग की लंबाई 1,48,256 किमी है। भारत में स्टेट हाइवेज की लम्बाई के मामले में महाराष्ट्र अग्रणी राज्य है। इसके बाद कर्णाटक, राजस्थान और तमिलनाडु आते हैं।
What is National Highway
जो हाईवे या सड़क एक राज्य से दूसरे राज्य को जोड़ते हैं, राष्ट्रीय राजमार्ग यानि नेशनल हाईवे कहलाते हैं। ये राजमार्ग भारत के प्रमुख शहरों को जोड़ती है, राज्य की राजधानी और औद्योगिक शहरों को बंदरगाहों से जोड़ती हैं । कभी कभी पड़ोस के देशों को भी जोड़ने वाली सडकों को भी नेशनल हाईवे कहा जाता है। यह मुख्य रूप से लंबी दूरी की सड़कें हैं और दो लेन में होती हैं। हर दिशा में जाने के लिए एक लेन। हालांकि कुछ राज्यों में 4 से 6 लेन की सड़कों का भी विकास हुआ है। इनके माइलस्टोन पर पीले रंग की पट्टी लगी होती है। राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई भारत की कुल सड़कों का मात्र 2 फीसद हिस्सा है लेकिन यह कुल ट्रैफिक का 40 फीसद भार उठाते हैं। नेशनल हाईवे पहले 75 मीटर चौड़ा बनाया जाता था लेकिन अब नेशनल हाईवे की चौड़ाई बढाकर 90 मीटर के करीब कर दी गई हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों की गति सीमा 80 से 100 किमी प्रति घंटा है।
नेशनल हाईवे का निर्माण और रखरखाव कौन करता है
इसे भी पढ़ें
भारत की सबसे लम्बी नेशनल हाईवे की बात करे, तो इसका नाम NH 44 (NH-44) है, जो जम्मू और कश्मीर में श्रीनगर को देश के दक्षिणी भाग में स्थित तमिलनाडु के कन्याकुमारी को जोड़ता है, इस राष्ट्रीय राजमार्ग की कुल दूरी 3 हजार 745 किमी० है।
भारत का सबसे छोटा नेशनल हाईवे NH 47 ए (NH-47A) है, जो एर्णाकुलम को कोच्चि बंदरगाह से जोड़ता है तथा इस राजमार्ग की लम्बाई मात्र 6 किमी० है |
उत्तर से दक्षिण जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों की संख्या सम होती है। सभी पूर्व से पश्चिम की ओर जाने वाले राजमार्गों के लिए विषम संख्या का इस्तेमाल होता है।
अगर किसी राजकीय राजमार्ग को या एक्सप्रेसवे को राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा देना होता है तो इसके लिए प्रदेश सरकार केंद्र से अनुमति मांगती है। केंद्र सरकार को देश की किसी सड़क को राष्ट्रीय राजमार्ग में तब्दील करने का अधिकार है। राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 की धारा 2 के तहत केंद्र सरकार किसी सड़क को एनएच घोषित करती है। किसी सड़क को राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने का प्रस्ताव प्रदेश सरकार केंद्र के पास भेजती है। यह प्रस्ताव केंद्रीय परिवहन मंत्रालय और राजमार्ग, योजना आयोग के पास भेजा जाता है। फिर इस पर केंद्रीय कैबिनेट फैसला लेती है उसे मंजूरी देती है। ये सब होने के बाद इसे राष्ट्रीय राजपत्र के जरिए अधिसूचित किया जाता है। फिर सरकार की ओर से राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची में संशोधन भी होता है।
भारत में नेशनल हाईवे की कुल लम्बाई
एक्सप्रेसवे क्या होते हैं
एक्सप्रेसवे जिन्हें हिंदी में द्रुतगामी मार्ग भी कहा जाता है, सबसे एडवांस ,हाई टेक और उच्च गुणवत्ता वाली सड़के होती हैं। इनका निर्माण अंतराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। एक्सप्रेसवे का निर्माण यात्रा तथा ट्रांसपोर्टेशन में लगने वाले समय को कम करने के उद्द्येश्य से किया जाता है। इन सड़कों पर स्पीड लिमिट से लेकर वाहनों के साइज के आधार पर उनकी लेन भी तय की जाती है। साथ ही अलग-अलग वाहनों के लिए अलग स्पीड लिमिट तय की जाती है। इन सड़कों पर एडवांस ट्रैफिक सिस्टम, टोल प्लाजा, यात्री लॉज जैसी सुविधाएं होती हैं। इनके अतिरिक्त एक्सप्रेसवे में एक्सेस रैंप, ग्रेड सेपरेशन, लेन डिवाइडर और एलिवेटेड सेक्शन जैसी सुविधाएं भी होती हैं। इनमें प्रवेश और निकास छोटी सड़कों के द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
सुरक्षा की दृष्टि से इन सड़कों पर जगह जगह कैमरे भी लगाए जाते हैं। इन सड़कों पर कोई तिराहा या चौराहा नहीं होता। बल्कि ऐसी जगहों पर फ्लाईओवर के माध्यम से इन सड़को को ऊपर ऊपर निकाल लिया जाता है। अन्य सड़कों से एक्सप्रेसवे पर जाने के लिए कुछ पॉइंट्स निर्धारित होते हैं। इसके लिए उन स्थानों पर रैंप या लूप बने होते हैं।