कहते हैं प्राचीन भारत में दूध दही की नदियां बहती थीं। इस बात में कहाँ तक सचाई है यह तो पता नहीं किन्तु भारत में दूध, दही, घी और मक्खन खूब खाया और खिलाया जाता रहा है। घी और मक्खन तो आज भी हर रसोई में मौजूद एक अनिवार्य सी चीज़ हैं। घी और मक्खन जहाँ अपने स्वाद और सुगंध से हर पकवान की लज्जत को बढ़ा देते हैं वहीँ ये स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं। घी और मक्खन दोनों अपने तैलीय गुणों और लगभग समान उत्पादन प्रक्रिया की वजह से कई बार एक दूसरे के समान मान लिए जाते हैं और एक दूसरे के विकल्प के रूप में इन्हे प्रयोग करने की सलाह दी जाती है। किन्तु यह सही नहीं है। घी और मक्खन समान नहीं होते हैं इनमे काफी अंतर है। आइए देखते हैं घी और मक्खन क्या हैं और इनमे क्या अंतर है
घी जिसे देसी घी या शुद्ध घी भी कहा जाता है इसे अमृत के सामान माना गया है। इसका उपयोग वैदिक काल से पहले से ही भारत में होता आया है। यह भारतीय भोजन का एक महत्वपूर्ण अवयव माना जाता रहा है। घी को ऐसे ही या दाल में या फिर रोटी में चुपड़ कर खूब खाया जाता है। मिठाइयों और अन्य व्यंजनों को तलने के लिए भी घी का प्रयोग होता है। खाद्य सामग्री के अतिरिक्त घी पूजा पाठ, यज्ञ और हवन में भी खूब इस्तेमाल किया जाता है। हमारे देश में घी के दिए जलाने की परंपरा रही है। आयुर्वेद में घी को दवा के रूप में भी प्रयोग की परंपरा रही है। इसके अलावा अनेक आयुर्वेदिक औषधियों के निर्माण में भी घी की आवश्यकता होती है।
घी गाय या भैंस के दूध से बनाया जाता है। अन्य जानवरों के दूध से भी घी निकाला जा सकता है किन्तु चूँकि उनका दूध उतनी मात्रा में नहीं मिलता इसलिए उनसे घी नहीं बनाया जाता। घी बनाने के लिए दूध को दही जमा कर उसकी मलाई को मथा जाता है जिससे उसमे से घी अलग हो जाता है।इस घी को उच्च ताप पर गर्म किया जाता है जिससे इसमें मौजूद अशुद्धियाँ निकल जाती हैं। कई बार सीधे दूध की मलाई को मथ कर और फिर उबाल कर के घी निकाला जाता है।
घी वसा का ही रूप होता है। इसमें विटामिन ए और विटामिन डी, विटामिन K2 के अतिरिक्त विटामिन ई होता है। इनके अतिरिक्त घी में ब्यूटिरिक, कैपरोइक, कैप्रीलिक, कैप्रिक, लोरिक, मिरिस्टीक, पामिटिक, स्टीएरिक आदि कई अम्ल मौजूद होते हैं। घी के पोषक तत्वों की मात्रा की बात की जाये तो प्रति 100 ग्राम घी में 99.5 ग्राम वसा होती है जो सैचुरेटेड, मोनो सैचुरेटेड या पाली अनसैचुरेटेड अवस्था में होते हैं विटामिन ए 3069 IU और विटामिन इ 2.8 मिलीग्राम होती है। इसके साथ ही इसमें 256 मिलीग्राम कोलेस्ट्रॉल पाया जाता है।
भारत में घी को भले ही अमृत के समान माना गया हो और इसे अच्छे स्वास्थ्य की निशानी समझा जाता हो किन्तु आज की चिकत्सा पद्धति इसे हमेशा ही संशय की दृष्टि से देखती है। इसकी मुख्य वजह इसमें पाए जाने वाले कोलेस्ट्रॉल की मात्रा है जिसे रक्तचाप और ह्रदय रोगों का मुख्य कारण माना जाता है। वास्तव में जिन देशों में घी और मक्खन का ज्यादा प्रयोग होता है वहां पाया गया है कि अधिक संख्या में ह्रदय रोगियों की संख्या होती है।
मक्खन पुरे विश्व में सबसे लोकप्रिय दुग्ध उत्पादों में से एक है जिसे रोटी, डबल रोटी, पराठे आदि पर लगाकर खाया जाता है। मक्खन कई बार खाद्य तेल के रूप में खाना बनाने के माध्यम के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त किसी चीज़ को तलने, बेकिंग करने में, सॉस बनाने में भी इसका प्रयोग किया जाता है। मक्खन दूध और क्रीम वसा के साथ साथ प्रोटीन के घटकों से बना एक डेयरी उत्पाद होता है।
मक्खन मुख्य रूप से गाय के दूध से प्राप्त किया जाता है किन्तु इसे अन्य दूधारू जानवरों जैसे भैंस, भेंड़, बकरी, याक आदि के दूध से भी बनाया जा सकता है। मक्खन बनाने के लिए दूध या क्रीम को खूब मथा जाता है जिससे उसमे से वसा ग्लोब्युल्स अलग हो जाते हैं। मक्खन में प्रायः नमक और खाद्य रंग भी मिलाया जाता है। मक्खन पानी में तेल इमल्शन होता है जिसमे दुग्ध प्रोटीन इसके इमल्सीकरण में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। मक्खन प्रशीतक में ठोस किन्तु कमरे के तापमान पर मुलायम होता है किन्तु 32 से 35 डिग्री पर यह पिघलने लगता है। यदि मक्खन में कोई खाद्य रंग का प्रयोग नहीं किया गया हो तो इसका रंग हल्का पीला या पीला और सफ़ेद होता है।
मक्खन में वसा और प्रोटीन की प्रचुर मात्रा होती है। इसमें वसा की मात्रा 80 प्रतिशत 15 प्रतिशत पानी और पांच प्रतिशत प्रोटीन होता है। मक्खन की एक टेबल स्पून मात्रा में 101.8 किलो कैलोरीज ऊर्जा, कार्बोहायड्रेट और शुगर 0.01 ग्राम, वसा 11.52 ग्राम, प्रोटीन 0.12 ग्राम के अतिरिक्त विटामिन ए, विटामिन बी 12 ,विटामिन इ और करीब 30.5 मिलीग्राम कोलेस्ट्रॉल होता है।
उपसंहार
घी और मक्खन दोनों ही उच्च वसा और कोलेस्ट्रॉल के स्रोत होते हैं। दोनों ही दूध से प्राप्त होने वाले उत्पाद हैं जिसमे मक्खन को खौला कर घी प्राप्त किया जाता है। घी का आयुर्वेदिक और धार्मिक महत्त्व के साथ साथ स्वाद और स्वास्थ्य में भी काफी महत्व माना जाता है। मक्खन भी अपने तैलीय गुण, स्वाद और स्निग्धता के गुण की वजह से घर घर में लोकप्रिय है।
Avinash
यह सिर्फ उन पर फैली मलाईदार अच्छाई द्वारा प्रदान किए गए स्वाद की बात है। स्वादिष्ट पनीर और मक्खन इन व्यंजनों को इतना अनूठा बनाते हैं। जबकि वे दोनों दूध से बने होते हैं, स्वाद और बनावट उन्हें अलग बनाते हैं,
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