हिमनद
ऐसी विशाल बर्फ की चट्टानें जो गतिशील होती हैं, हिमनद कहलाती हैं। हिमनद जिन्हें हिमानी या ग्लेशियर भी कहा जाता है विशाल हिमखंड होते हैं और अपने भार की वजह से पर्वतीय ढालों से नीचे की ओर प्रवाहमान होते हैं। हिमनद बहुत ही बड़े बर्फ की चट्टान होते हैं अतः इनके सरकने की गति काफी मंद होती है। सामान्य अवलोकन में इनके प्रवाह का पता नहीं चल पाता। यही कारण है पुराने ज़माने लोगों के अंदर धारणा थी कि हिमनद स्थिर होते हैं।
हिमनद की परिभाषा
“हिम रेखा के ऊपर स्थित विशाल हिम खंड जो गुरुत्वाकर्षण बल के कारण नीचे की तरफ गतिशील होते हैं, हिमनद कहलाते हैं। ये उच्च अक्षांशों या उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित हिमक्षेत्रों में गतिशील होते हैं।”
हिमरेखा क्या है
हिमनदों का निर्माण
हिमनद हिमरेखा के ऊपर बर्फ के संचयन तथा संहनन (Accumulation and Compaction) से बनते हैं।हिमनद की उत्पत्ति ऐसे क्षेत्रों में होती है जहाँ हिमपात की मात्रा अत्यधिक होती है और यह हिम क्षय की तुलना में हमेशा ज्यादा होती है जिससे प्रतिवर्ष हिम की कुछ मात्रा अधिशेष के रूप में बच जाता है। हिम के वर्ष दर वर्ष जमा होने से निचली परतों पर अत्यधिक दबाव बनता है और इस वजह से ये सघन हिम के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं। यही सघन हिमराशि अपने भार की वजह से नीचे ढलानों पर सरकने लगती है जिसे हिमनद कहा जाता है। वर्ष दर वर्ष हिमपात की हिम जमा होने की वजह से हिमनद में कई हिमस्तर देखे जा सकते हैं। प्रत्येक स्तर एक वर्ष के हिमपात का द्योतक होता है। हिमनद के सघन, संपीड़ित बर्फ या फर्न के रूप में बर्फ के जमने की प्रक्रिया को फर्निफिकेशन कहा जाता है। सामान्यतः बर्फ की परत काफी मोटी लगभग 50 मीटर की हो जाने पर फर्निफिकेशन की प्रक्रिया प्रारंभ होती है और इससे हिमनद धीरे-धीरे प्रवाहित होने के साथ ही एक हिम-नदी का स्वरूप धारण करते हैं। दबाव के कारण नीचे के हिमस्तर अधिक सघन होते हैं और इस प्रकार पहले दानेदार हिम “नैवे” और बाद में ठोस हिम की रचना होती है।
हिमनद के प्रवाह की गति बहुत ही मंद होती है। प्रायः एक हिमनद एक दिन में चार से पांच इंच आगे खिसकता है। किन्तु ध्यान देने वाली बात है कि अलग अलग हिमनदों की गति अलग अलग होती है। अलास्का और ग्रीनलैंड के हिमनद तीव्र गति से आगे बढ़ते हैं। ये एक दिन में 12 मी से भी अधिक खिसक जाते हैं। हिमनद की गति हिम की मात्रा, उसके मार्ग के ढलान और ताप पर निर्भर करती है। बड़े हिमनद छोटे हिमनद की अपेक्षा तीव्र गति से आगे बढ़ते हैं। मार्ग का ढलान भी इनकी गति को काफी प्रभावित करता है। ज्यादा ढलान वाले मार्ग पर इनकी गति तेज होती है। ग्रीष्म ऋतू में हिमनदों के बहने की गति बढ़ जाती है। इसका कारण है कि ताप अथिक होने से हिम शीघ्र पिघलता है।
हिमनद के प्रकार
अल्पाइन या घाटी हिमनद (Alpine or Valley Glaciers) : पर्वतीय भागों से गुरुत्वाकर्षण के कारण हिम टोपी नीचे की तरफ प्रवाहित होती है तो इसे अल्पाइन या घाटी हिमनद कहते हैं। सर्वप्रथम इनका अध्ययन आल्पस पर्वत पर किया गया जिसके नाम पर इसे अल्पाइन हिमनद भी कहते हैं। हिमालय तथा रॉकीज पर्वत श्रृंखलाओं पर ऐसे हिमनद काफी मिलते हैं।
महाद्वीपीय हिमनद (Ice Cap Glaciers) : ये विस्तृत हिम चादर होते हैं जो जो अपने क्षेत्र की सम्पूर्ण भूसतह को घेरे रहते हैं। इनका विकास किसी विस्तृत क्षेत्र में हिम के सतत् संचयन से विस्तृत हिम चादर बनने से होता है। अण्टार्कटिका में 13,000,00 वर्ग किमी क्षेत्र में महाद्वीपीय हिमनद का विस्तार है।
हिमनद हेतु आवश्यक दशाएँ:
हिमनद के अपरदन से बनी स्थलाकृति : हिमनद अपने अपरदन के द्वारा बड़ी बड़ी घाटियों का निर्माण करती हैं। इनमे U आकार की घाटी, लटकती घाटी आदि मुख्य हैं। इन घाटियों के ऊपरी हिस्से में हॉर्न तथा सर्क का निर्माण करती हैं।
हिमनद के निक्षेपण से बनी स्थलाकृति : हिमानियों के निक्षेपण क्रिया से भी कई स्थलाकृतियों का निर्माण होता है जिनमे मुख्य हैं हिमोढ़, ड्रमलिन, एस्कर तथा मोरेन आदि।
नदी
नदी की परिभाषा
“नदी भूतल पर प्रवाहित एक जलधारा है, जिसका स्रोत प्रायः कोई झील, हिमनद, झरना या बारिश का पानी होता है तथा किसी सागर अथवा झील में गिरती है।”
https://hi.wikipedia.org/wiki/नदी
“A river is a natural flowing watercourse, usually freshwater, flowing towards an ocean, sea, lake or another river.”
https://en.wikipedia.org/wiki/River
“A river is a ribbon-like body of water that flows downhill from the force of gravity. A river can be wide and deep, or shallow enough for a person to wade across.”
https://www.nationalgeographic.org/encyclopedia/river/
नदी के प्रकार
पानी के स्रोत के आधार पर नदियां दो प्रकार की होती हैं सदानीरा तथा बरसाती। सदानीरा उन नदियों को कहा जाता है जिनमे सालो भर पानी रहता है। ये नदियां प्रायः किसी हिमनद या झरना से निकलती हैं। उत्तर भारत की प्रायः सभी नदियां इसी प्रकार की नदियां हैं। कुछ नदियां अपने पानी के लिए बरसात पर निर्भर होती हैं। इनको बरसाती नदी कहते हैं। ये नदियां प्रायः पठारी क्षेत्रों में बहती हैं। इस प्रकार की नदियां दक्षिण भारत में पायी जाती हैं।
नदी के कार्य
नदी के मुख्य तीन कार्य अपरदन, परिवहन और निक्षेपण हैं। यद्यपि ये तीनों ही कार्य नदी की विभिन्न अवस्थाओं में संपन्न किये जाते हैं फिर भी थोड़ा बहुत हर अवस्था में तीनो कार्य होते रहते हैं। नदी की तीन मुख्य अवस्था होती है।
युवा अवस्था : यह नदी की शुरुवाती अवस्था है। इसमें नदी की धारा तीव्र होती है। इस वजह से यह अपरदन का कार्य करती है। इस अवस्था में चट्टानों की काट छांट, पाट चौड़ा करना आदि होता रहता है। इस अवस्था में तीव्र अपरदन होने की वजह से गॉर्ज, V आकार की घाटी, क्षिप्रिकाएँ आदि स्थलाकृतियों का निर्माण होते हैं।
प्रौढ़ अवस्था : यह अवस्था नदी तब शुरू होती है जब नदी पहाड़ों से नीचे मैदानी भागों में उतरती है। इस अवस्था में नदियां परिवहन का कार्य ज्यादा करती हैं। इस अवस्था में नदियां अपने साथ मिटटी, चट्टानों के टुकड़े, बालू आदि का परिवहन करती हैं। नदियां इस अवस्था में गोखुर झील का निर्माण करती हैं।
वृद्धा अवस्था : इस अवस्था में नदी की धारा सुस्त पड़ जाती है। यह नदी की अंतिम अवस्था होती है। मंद गति के कारण नदियां इस अवस्था में निक्षेपण का कार्य ज्यादा करती हैं। मंद गति की वजह से नदियां इस अवस्था में कई शाखाओं में बँट जाती हैं और त्रिभुजाकार आकृति बनाती हैं जिसे डेल्टा कहा जाता है।
जलविद्युत : नदियों पर बड़े बड़े बाँध बनाकर उसपर पनबिजली संयंत्र लगाए गए हैं। यह हमारे विद्युत् आवश्यकताओं के एक बड़े हिस्से को पूरा करता है।
सिंचाई : यह हमारी प्राचीन सभ्यताओं के नदी घाटियों में विकसित होने का सबसे पहला कारण था। आज भी, नदियों से नहरे निकाल एक बड़े क्षेत्र में सिंचाई की जाती है।
परिवहन तथा व्यापार : अंतर्देशीय जल परिवहन अत्यधिक नदियों पर आधारित है। उदाहरण के लिए भारत में राष्ट्रीय जलमार्ग हैं।
सीमा : नदियाँ देशों तथा राज्यों के बीच राजनीतिक सीमाओं के रूप में भी कार्य करती हैं।
हिमनद तथा नदी में क्या अंतर है
उपसंहार
संक्षेप में कहा जा सकता है कि बड़े बड़े हिमखंडों के बहाव को हिमनद कहा जाता है जबकि जमीन पर जल की प्रवाहित धारा को नदी कहते हैं। हिमनद का निर्माण हिमरेखा के ऊपर होता है जबकि नदी की उत्पत्ति हिमरेखा के नीचे होती है। एक हिमनद से नदी निकल सकती है किन्तु नदी से हिमनद नहीं।
Ref:
https://www.drishtiias.com/hindi/to-the-points/paper1/glaciers-4
https://www.scotbuzz.org/2019/05/him-kshetra-eva-himanad.html
https://www.sbancollege.org/study-material/148769089512.%20Geog.%20Ravindra%20Keshao_27.05.2020.pdf
https://www.mountainratna.com/2021/05/blog-post_10.html
https://hindi.indiawaterportal.org/content/nadai-paraicaya-aie-nadai-kao-jaanaen-lets-know-river/content-type-page/61005