प्रतिस्पर्धा के इस दौर में हर कंपनियां अपने ग्राहकों का भरोसा जीतने के लिए अपने उत्पादों को बाजार में उतरने के पहले उसे खूब ठोकबजा कर देख लेती हैं। इसके लिए हर प्रोडक्ट को कई परीक्षणों से गुजरना पड़ता है और जब वे एकदम खरे उतरते हैं तब ही उन्हें बाजार में उतरा जाता है। इन सब के बावजूद निर्माता ग्राहकों का विश्वास जीतने के लिए अपने उत्पादों पर गारंटी या वारंटी देते हैं। इन गारंटी और वारंटी की वजह से ग्राहक प्रोडक्ट के प्रति आस्वस्त होते हैं और निश्चिन्त होकर उस सामान की खरीदारी करते हैं। लेकिन कई बार गारंटी और वारंटी का मतलब नहीं समझने की वजह से कस्टमरों को परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। बहुत से लोग गारंटी और वारंटी दोनों का एक ही मतलब निकलते हैं और दोनों को एक ही समझते हैं किन्तु यह सही नहीं है। हालाँकि यह बात सही है कि गारंटी और वारंटी की वजह से हम प्रोडक्ट पर भरोसा करते हैं और उसका लाभ उठाते हैं किन्तु यदि हम गारंटी और वारंटी के मध्य अंतर को जानने के बाद खरीदारी करें तो उस समय अपना निर्णय हम उसी हिसाब से लेंगे और अपने लिए उपयुक्त प्रोडक्ट का चुनाव करेंगे।
गारंटी और वारंटी के मध्य अंतर जानने के पहले आईये देखते हैं गारंटी और वारंटी कहते किसे हैं
वारंटी क्या होती है
वारंटी विक्रेता के द्वारा ग्राहक को दिया जाने वाला एक आश्वासन है जो ग्राहक को उस प्रोडक्ट के सही और जेन्युन होने का भरोसा दिलाता है और साथ ही ग्राहक को प्रोडक्ट के ख़राब होने की स्थिति में उसे बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के ठीक कराकर दिलाने का करार होता है। यह लिखित में होता है और इसपर दुकानदार की साइन और मुहर होती है। वारंटी पेपर पर वारंटी की अवधि लिखित होती है। किसी प्रोडक्ट की वारंटी एक्सटेंडेबल होती है यानि उसकी अवधि को अतिरिक्त शुल्क देकर आगे भी बढ़ाया जा सकता है।
गारंटी वास्तव में निर्माता का ग्राहक को किया गया एक कमिटमेंट होता है जिसमे वह घोषणा करता है कि एक खास अवधी तक उसके प्रोडक्ट एकदम सही काम करेंगे, यदि ऐसा नहीं होता है तो वह उस प्रोडक्ट के बदले नया प्रोडक्ट बदल कर देगा या उसका मूल्य वापस करेगा। गारंटी की अवधी सिमित होती है और इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सकता।
गारंटी और वारंटी में क्या अंतर है ?
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