किसी भी कंप्यूटर को ऑपरेट करने के लिए मेमोरी की आवश्यकता होती है। मेमोरी में उपस्थित कमांड्स ही कंप्यूटर को दिशा निर्देश देते हैं जिससे कि वह सुचारु रूप से काम कर पाता है और इच्छित परिणाम देता है। कंप्यूटर या मोबाइल की मेमोरी में ही उसके फंक्शन से सम्बंधित सारी सूचनाएं उपस्थित होती हैं। कंप्यूटर में मेमोरी दो तरह की होती है एक RAM तथा दूसरी ROM, दोनों ही मेमोरी मिलकर कंप्यूटर या मोबाइल को ऑपरेट करने में मदद करती हैं। RAM और ROM हैं तो दोनों मेमोरी किन्तु दोनों के फंक्शन, बनावट और क्षमता सहित कई अंतर होते हैं।
कंप्यूटर में आमतौर पर दो प्रकार की मेमोरी होती है एक फिक्स्ड या स्थाई मेमोरी और दूसरी अस्थाई मेमोरी। यह एक चिप के रूप में होता है। RAM कंप्यूटर में एक अस्थाई मेमोरी के रूप में काम करता है। इसमें उपस्थित सभी DATA या INFORMATION तभी तक रहते हैं जबतक कंप्यूटर ऑन रहता है। जैसे ही कंप्यूटर ऑफ होता है इसमें उपस्थित सभी डाटा डिलीट हो जाता है। यही कारण है कि इसे Volatile Memory कहा जाता है। वास्तव में कंप्यूटर के CPU में वर्तमान में जो कार्य चल रहे होते हैं उसके डाटा और कमांड्स RAM में स्टोर रहते हैं।
RAM का फुलफॉर्म Random Access Memory होता है। इसमें डाटा और कमांड्स छोटे छोटे सेल्स में स्टोर रहते हैं। ये सेल कुछ raws और columns से मिलकर बने होते हैं जिसका अपना यूनिक एड्रेस होता है। इसे सेल पाथ कहा जाता है। CPU इन सेल्स से बिना सीक्वेंस के सीधे डाटा प्राप्त कर सकता है यानि रैंडम्ली एक्सेस कर सकता है। इसी वजह से इस मेमोरी को रैंडम्ली एक्सेस मेमोरी कहा जाता है।
RAM कंप्यूटर की प्राइमरी मेमोरी होती है। यह CPU का भी भाग होती है इस वजह से इसके डाटा को डायरेक्ट एक्सेस किया जा सकता है।
RAM मेमोरी वास्तव में कंप्यूटर या मोबाइल का वर्किंग प्लेस या प्लेग्राउंड होता है। जब भी हम कप्यूटर या मोबाइल को चलाते हैं तो सम्बंधित फाइल ROM से होकर RAM में लोड होती हैं और वहीँ पर उनपर वर्क होता है। RAM में जो वर्क होते हैं वह डाटा CPU तक RAM के द्वारा पंहुचाने का काम होता है। यही वजह है अच्छी RAM क्षमता वाली मोबाइल के हैंग होने की संभावना कम होती है।
RAM दो प्रकार की होती है
SRAM या Static RAM
DRAM या Dynamic RAM
Static RAM : इस RAM का प्रयोग CPU की Cache मेमोरी के लिए किया जाता है। यह मेमोरी अपेक्षाकृत तेज होती है। यह CMOS तकनीक से बनी होती है जिसमे छह ट्रांजिस्टर का प्रयोग होता है।
DYNAMIC RAM : यह अपेक्षाकृत स्लो होता है। इसमें कैपिसिटर और कुछ ट्रांजिस्टर का प्रयोग होता है। कैपिसिटर का प्रयोग डाटा संचय के लिए किया जाता है। प्रायः यह मेन मेमोरी की तरह काम करता है। इसे बार बार रिफ्रेश करने की आवश्यकता होती है।
ROM का पूरा नाम READ ONLY MEMORY है। जैसा इसका नाम है इस मेमोरी को केवल रीड किया जा सकता है इसमें कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता। वास्तव में ROM एक विशिष्ट सॉफ्टवेयर या फाइल के साथ सॉफ्टवेयर वाली मेमोरी होती है जो उस डिवाइस के मैन्युफेक्चर के समय उसमे उसको ऑपरेट करने के लिए दी जाती है। ROM मेमोरी में परिवर्तन संभव नहीं होता है यदि इसमें कोई परिवर्तन किया भी जाय तो वह आसानी से नहीं होता। ROM में ही सारे डाउनलोड किये हुए प्रोग्राम या फाइल जैसे म्यूजिक, गेम आदि स्टोर होती हैं। इसके साथ ही ROM में ही सभी सेव किये हुए प्रोग्राम रखे जाते हैं।
PROM : PROGRAMMABLE READ ONLY MEMORY इस प्रकार के रोम में डाटा या प्रोग्रामिंग केवल एक बार राइट किया जा सकता है। इसे डिवाइस के निर्माण के दौरान ही प्रोग्राम्ड किया जाता है।
EPROM : ERASABLE AND PROGRAMMABLE ROM जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है इस मेमोरी को ERASE और रिप्रोग्राम किया जा सकता है। इसके डाटा को ERASE करने के लिए अल्ट्रा वायलेट रेज़ का इस्तेमाल करना पड़ता है। पीसीओ और टीवी ट्यूनर में इसी प्रकार की मेमोरी का प्रयोग किया जाता है।
EEROM : ELECTRICALLY ERASABLE एंड PROGRAMABLE ROM इस मेमोरी को हजारों बार इरेज और रिप्रोग्राम किया जा सकता है। इसे इलेक्ट्रिक चार्ज का प्रयोग करके इरेज किया जा सकता है।
उपसंहार
RAM और ROM दोनों ही एक दूसरे से भिन्न होते हुए भी दोनों एक दूसरे की पूरक होती हैं अर्थात कंप्यूटर या मोबाइल को सुचारु रूप से चलाने के लिए दोनों की आवश्यकता पड़ती है। RAM जहाँ ROM को ऑपरेट करने की और CPU को एक्सेस करने का माध्यम होता है वहीँ ROM में उपस्थित कमांड्स कंप्यूटर को दिशा निर्देश देते हैं और RAM को काम करने के लिए फाइल उपलब्ध कराते हैं।