चुनावों का मौसम आते ही अख़बारों और टीवी पर ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल की चर्चा बड़े जोर शोर से होने लगती है। इस तरह के सर्वेक्षण काफी पहले से ही जनता की राय बताने लगते हैं। चुनाव में किसका पलड़ा भारी रहेगा, किसकी सरकार बन रही है कौन जीत रहा है कौन हार रहा है सारे विश्लेषण सामने आने लगते हैं। क्या आपने कभी गौर किया है ये ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल क्या हैं और ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल में क्या अंतर है ? आइये आज इस पोस्ट के माध्यम से हम जानकारी हासिल करे इन दोनों में क्या अंतर है
टीवी पर आने वाले चुनावी विश्लेषण में ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल की बड़ी भूमिका रहती है किन्तु बहुत से लोग समझ नहीं पाते कि ओपिनियन पोल क्या है, एग्जिट पोल किसे कहते हैं और ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल में क्या अंतर है ? यदि आप जानना चाहते हैं ओपिनियन पोल क्या है, एग्जिट पोल क्या है और दोनों के बीच क्या अंतर है तो इस पोस्ट को आखिर तक ध्यान से पढ़ें।
जब भी किसी चुनाव की घोषणा होती है लोगों के मन में उत्सुकता होने लगती है कौन जीतेगा, किसकी सरकार बनने जा रही है, हवा किधर की चल रही है। हर कोई जानना चाहता है कौन मुख्यमंत्री बनने जा रहा है या प्रधानमंत्री के रूप में जनता किसको पसंद कर रही है। लोग अपनी इस उत्सुकता को शांत करने के लिए जगह जगह चर्चा करते हैं मसलन चाय की दुकान पर, पान की दुकान पर, ट्रेनों में, बसों में और इसतरह से माहौल को परखने का प्रयास करते हैं। इस तरह से उन्हें एक सामूहिक राय का अनुमान या संकेत मिल जाता है। कई बार इस तरह के प्रयास कई एजेंसियों के द्वारा किये जाते हैं जो इस काम की विशेषज्ञ और प्रोफेशनल होती हैं। ये एजेंसियां मतदाताओं से कई प्रश्न करती हैं और इस सर्वे के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार करती है जिसमे किस पार्टी को जनता पसंद कर रही या मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री के तौर पर अधिकांश लोग किसको देखना चाहते हैं आदि का अनुमान लगाया जाता है। इस तरह के सर्वे को ओपिनियन पोल कहते हैं।
ओपिनियन पोल जिसे प्रायः सर्वे कहा जाता है वह वास्तव में पूरी जनसँख्या में से रैंडमली कुछ हिस्से से कुछ सूचनाएं, उनका पक्ष, उनकी पसंद, नापसंद आदि को इकठ्ठा करने की एक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में लोगों से कुछ प्रश्न पूछे जाते हैं। इन लोगों को सैंपल कहा जाता है। सैंपल जितना बड़ा होता है ओपिनियन पोल की सटीकता उतनी ही ज्यादा मानी जाती है। इन सभी सूचनाओं को इकठ्ठा करके उसका विश्लेषण किया जाता है और इस विश्लेषण के आधार पर ओपिनियन पोल की सही तश्वीर सामने आती है।
दुनिया का सबसे पहला ज्ञात ओपिनियन पोल द हैरिसबर्ग पेंन्सिल्वॅनियन के द्वारा कराया गया था। 1824 में इस ओपिनियन पोल में दिखाया गया था कि एंड्रू जैक्सन अमेरिकी प्रेजिडेंट चुनाव में जॉन क्विंसी एडम्स से 335 से 169 मतों से लीड कर रहे हैं। जैकसन की जीत के साथ ही इस तरह के ओपिनियन पोल की लोकप्रियता बढ़ने लगी। किन्तु पहली बार नेशनल लेवल पर द लिटरेरी डाइजेस्ट ने 1916 में वुडरो विल्सन की जीत की भविष्वाणी अपने ओपिनियन पोल के माध्यम से बिलकुल ही सही सही की तब इसकी लोकप्रियता और भी बढ़ गयी। आज के दौर में ओपिनियन पोल की महत्ता काफी बढ़ चुकी है और यह मतदाताओं के साथ साथ उम्मीदवारों और पार्टियों को भी सावधान करने का काम करता है।
ओपिनियन पोल हमेशा चुनाव के सन्दर्भ में ही हो आवश्यक नहीं है। कई बार देश की नीतियों, सामाजिक रिवाजों आदि के बारे में जनता की राय जानने के लिए भी ओपिनियन पोल कराये जाते हैं।
एग्जिट पोल ओपिनियन पोल की तरह ही एक जन सर्वेक्षण होता है जिसमे मतदाताओं के एक वर्ग से वोट देने के बाद उनसे उनके मतदान के बारे में कुछ तथ्य इकट्ठे किये जाते हैं। इन आकड़ों में उनसे उनके द्वारा दिए गए मत के बारे में पूछा जाता है कि उन्होंने किसके पक्ष में अपना वोट दिया है। इस सर्वेक्षण के आधार पर एजेंसियां उम्मीदवारों और उनकी पार्टियों के बारे में उनके प्रदर्शन और जीत का एक अनुमान पेश करती हैं। हालाँकि चुनाव आयोग के सख्त निर्देश पर इस तरह के एग्जिट पोल को चुनाव ख़त्म होने के बाद ही एजेंसियां इसके परिणाम की घोषणा करती हैं।
एग्जिट पोल में ध्यान यह देने की बात है कि इसके परिणाम की घोषणा चुनाव ख़त्म होने के बाद ही की जा सकती है। कई बार बड़े राज्यों में ये पुरे देश के चुनाव में चुनाव प्रक्रिया काफी लम्बी होती है तो भी जब तक चुनाव की पूरी प्रक्रिया समाप्त न हो जाय अर्थात पुरे जगह के चुनाव न संपन्न हो जाएँ तब तक एग्जिट पोल के अनुमानों को प्रदर्शित नहीं किया जाता है।
एग्जिट पोल की शुरुआत कहाँ से हुई इसके बारे में कोई सर्वमान्य मत नहीं है। ऐसा माना जाता है कि मार्सेल वैन डैम जो एक डच समाजशास्त्री था उसने डच लेजिस्लेटिव इलेक्शन जो फरवरी 1967 में संपन्न हुए थे उसमे इसका सबसे पहले प्रयोग किया था। कुछ अन्य लोगों का मानना है कि केंटकी गबर्नटोरिअल चुनाव में CBS न्यूज़ के लिए एग्जिट पोल की रुपरेखा तैयार की थी।
एग्जिट पोल हमेशा ही सही साबित नहीं होते। 2004 का एग्जिट पोल इसका एक उदाहरण है जब एनडीए को जीतता हुआ दिखाया गया था किन्तु जब रिजल्ट आये तो यूपीए की सरकार का गठन हुआ।
एग्जिट पोल या ओपिनियन पोल छोटे देशों में जहाँ लोग ज्यादा फ्रैंक हैं और खुलकर अपनी राय रखते हैं काफी सटीक साबित होते हैं। भारत जैसे विशाल और विविधता वाले देश में इस तरह के सर्वेक्षण बहुत हद तक सही अनुमान नहीं दे पाते। इसके साथ ही ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल में सैंपल कितना लिया गया है इस बात पर भी इसके परिणाम की विश्वसनीयता टिकी हुई होती है।
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